नई दिल्लीः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल की सीमा वर्तमान दो साल से बढ़ा कर पांच साल तक करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई.
राज्यसभा में आज ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक 2021’ और केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. लोकसभा में यह दोनों विधेयक नौ दिसंबर को पारित हो चुका है. उच्च सदन में कार्मिक, शिकायत एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इन विधेयकों को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया.
उच्च सदन में जब विधेयक पर चर्चा शुरु हुई तब निलंबित 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्य वाकआउट कर गए.
विधेयक पेश करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सतत कार्य कर रही है. उन्होंने कहा ‘देश को भ्रष्टाचार, काले धन और अंतरराष्ट्रीय अपराध के खतरों का सामना करना पड़ा है और इसका संबंध मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद तथा अपराध से है. ये सभी देश की सुरक्षा और वित्तीय ढांचे के लिए खतरा हैं.’
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में नरेंद्र मोदी ने काले धन के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया था.
उन्होंने कहा, ‘इस निर्णय के द्वारा प्रधानमंत्री ने देश में यह संदेश भेजा कि एक संकल्प से सिद्धि की यात्रा का प्रारंभ हुआ है. आज मैं देख सकता हूं कि हम उस संकल्प की सिद्धि की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़े हैं. और लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर ने इस पर मुहर लगाकर मान्यता दी है. मुझे खुशी है कि आज उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित करने का फैसला किया है और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्ध कोशिशों का साथ दिया है.’
उन्होंने कहा ‘आज अपराध के तरीकों में बदलाव हो गया है तथा यह पहले की तुलना में अधिक आधुनिक एवं संरचनात्मक हो गए हैं जिससे जांच एजेंसियों के लिए इनकी जांच करना मुश्किल हो गया है. यह विधेयक जांच में और उनकी गति बनाए रखने में मददगार होगा.’
सिंह ने कहा ‘यह संशोधन विधेयक इसलिए भी लाया गया है क्योंकि ‘फायनेन्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ भी हमसे वित्तीय अपराधों की जांच तथा अंतरराष्ट्रीय अपराधों की जांच के लिए संसाधनों के उन्नयन की अपेक्षा रखता है. भारत ‘फायनेन्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ का सदस्य है.’
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