scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमएजुकेशन'रीडिंग करते हैं या रील देखते हैं': ऑनलाइन को समस्या नहीं अवसर की तरह देखिए: PM मोदी

‘रीडिंग करते हैं या रील देखते हैं’: ऑनलाइन को समस्या नहीं अवसर की तरह देखिए: PM मोदी

परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है, हमारी विकास यात्रा का एक पड़ाव है और हम इससे बहुत बार गुजर चुके हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के 5वें संस्करण के दौरान तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एग्जाम में त्योहार का वातावरण बनाकर उसे रंगों से भरने की बात कही. पीएम मोदी ने कहा कि ये कार्यक्रम मेरे लिए विशेष खुशी का है क्योंकि एक लंबे अंतराल के बाद आप लोगों से मिलने का मौका मिला है.

परीक्षा को लेकर तनाव की स्थिति में क्या किया जाए, इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने छात्रों से कहा, ‘परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है, हमारी विकास यात्रा का एक पड़ाव है और हम इससे बहुत बार गुजर चुके हैं.’

उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया, ‘जितने सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उतनी ही सहजता से परीक्षा के दिनों में भी बिताइए.’

‘आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए.’

प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि किसी की बात पर न जाएं बल्कि जो पहले से आता है उसे लेकर आत्मविश्वास से आगे बढ़िए.


यह भी पढ़ें: आज से कमर्शियल एलपीजी सिलिंडर के दाम बढ़े, 250 रुपये ज्यादा चुकानी होगी कीमत


समस्या की जगह अवसर की तरह देखिए: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं, या रील देखते हैं?’

पीएम मोदी ने कहा, ‘दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है. क्लासरूम में भी कई बार आपका शरीर क्लासरूम में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी, लेकिन कान में एक भी बात नहीं जाती होगी, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा.’

उन्होंने कहा, ‘माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है. युग के साथ-साथ माध्यम बदलता रहता है.’ पीएम मोदी ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई को समस्या की जगह अवसर की तरह देखना चाहिए.’

उन्होंने एक सिद्धांत देते हुए कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए हैं, ऑफलाइन बनने के लिए हैं. ऑनलाइन के जरिए दुनिया की कोई भी चीज़ मिल सकती है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है. इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ बढ़ जाए, इससे बचने का प्रयास करें.’


यह भी पढ़ें: इंजीनियरिंग शिक्षा को उद्योगों के अनुरूप बनाने के लिए बड़े बदलाव, IT सिक्योरिटीज और पब्लिक हेल्थ जैसे विषय शामिल


‘व्यक्तित्व विकास के लिए अवसर दे रही है राष्ट्रीय शिक्षा नीति’

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि व्यापक चर्चा के बाद ये नीति आई है. उन्होंने कहा, ‘कोई न कोई तो विरोध का मौका ढूंढता रहता है. इस शिक्षा नीति का हिंदुस्तान के हर तबके से पुरजोर समर्थन मिला है.’

उन्होंने कहा कि इसे देश के भविष्य के लिए बनाया गया है जिसे लाखों लोगों, शिक्षकों ने मिलकर बनाया है.

पीएम मोदी ने कहा, ‘बिना खेले कोई खिल नहीं सकता है. जीवन में खेल बहुत जरूरी है. इससे टीम स्प्रिट और साहस आता है. खेल-कूद को इन दिनों एक प्रतिष्ठा मिली है.’

उन्होंने कहा, ’20वीं सदी की व्यवस्था या नीति से 21वीं सदी से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है, इसलिए हमें अपनी सारी व्यवस्थाओं को बदलने की जरूरत है वरना हम पिछड़ जाएंगे.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति व्यक्तित्व के विकास के लिए अवसर दे रही है. इसे जितना हम प्रत्यक्ष तौर पर धरती पर उतारेंगे तो इसके काफी फायदा मिलेगा.’


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार ने केंद्र में IAS की कमी दूर करने के लिए DoPT की समिति बनाई, सदस्य बोले—सिर्फ भर्ती बढ़ाना इसका समाधान नहीं


‘पढ़ाई के साथ-साथ आत्मविश्वास जरूरी’

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि कोरोना के कारण परीक्षा पे चर्चा का चौथा संस्करण नहीं हो पाया था. उन्होंने कहा कि परीक्षा पे चर्चा का ये पांचवा संस्करण है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब स्कूल खुल चुके हैं. उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ आत्मविश्वास जरूरी है.


यह भी पढ़ें: UP में भाजपा की ‘प्रतिक्रांति’ से निपटना क्यों है अखिलेश यादव की सबसे बड़ी चुनौती


 

share & View comments