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Thursday, 25 April, 2024
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इंजीनियरिंग शिक्षा को उद्योगों के अनुरूप बनाने के लिए बड़े बदलाव, IT सिक्योरिटीज और पब्लिक हेल्थ जैसे विषय शामिल

AICTE ने टेक्निकल कॉलेजों के लिए इस सप्ताह जारी की गई अपनी 2022-23 रूल बुक में इंजीनियरिंग कोर्स में उद्योगों के अनुरूप विषयों को शामिल करने के लिए विशेषज्ञ समिति के सुझाव को स्वीकार कर लिया है.

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नई दिल्ली: ‘पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग’ और ‘कम्युनिकेशन एंड सिक्योरिटी इंजीनियरिंग’ जैसे विषय जल्द ही देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रमों की सूची में शामिल हो जाएंगे.

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने मंगलवार को जारी अपनी अप्रुवल हैंडबुक 2022-23 में टेक्निकल कॉलेजों के लिए एक रूल बुक में दोनों सुझावों को लागू कर दिया है.

एक विशेषज्ञ कमेटी ने पिछले साल दिसंबर में दी गई अपनी एक रिपोर्ट में देश में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक लगाने की सिफारिश की थी और सुझाव दिया था कि ‘उद्योगों के अनुरूप’ यानी बाजार की मांग वाले विषयों मसलन आईटी सिक्योरोटिज और पब्लिक हेल्थ जैसे विषयों को मौजूदा कॉलेजों में शुरू किया जाए.

पब्लिक हेल्थ इंजीनियर पेशेवर पर्यावरण संबंधी स्वास्थ्य के अलावा पब्लिक हेल्थ जैसे पानी और अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावित करने वाले मुद्दों से निपटने में माहिर होंगे. वहीं संचार और सुरक्षा इंजीनियरों की भूमिका में साइबर हमले से संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करना शामिल होगा.

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे पारंपरिक विषयों में ‘सुधार की तत्काल आवश्यकता’ है. इस रिपोर्ट की एक कॉपी दि प्रिंट के पास भी है.

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आईआईटी हैदराबाद बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन बी.वी.आर. मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में यह समिति गठित की गई थी. समिति ने कहा था, सिवाए नए विषयों में पढ़ाई के, किसी भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज को शुरू करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

समिति का गठन अक्टूबर 2021 में ‘अकादमिक वर्ष 2022-23 से नए इंजीनियरिंग संस्थानों को मंजूरी की समीक्षा’ के लिए किया गया था. साथ ही कमेटी ने एआईसीटीई-अनुमोदित संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा कार्यक्रमों में प्रवेश क्षमता, नामांकन के रुझान और प्लेसमेंट की समीक्षा भी की.

2022 से 2024 तक पाबंदी जारी रखने का निष्कर्ष मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और अन्य पारंपरिक विषयों में नामांकन कम होने का आधार पर लिया गया.


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उद्योग की जरूरतों को पूरा करना

‘नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान’ नामक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कम्युनिकेशन एंड सिक्योरिटी इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियरिंग, ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग, एनर्जी इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन इंजीनियरिंग, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (जल, पर्यावरण, प्रदूषण, सीवेज आदि), हेल्थकेयर इंजीनियरिंग, कम्प्यूटेशनल इंजीनियरिंग, एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग और जियोमैटिक्स/जियोस्पेशियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी/ जियोइनफॉरमैटिक्स जैसे ‘उद्योगो के अनुरूप’ विषयों को शामिल करने के लिए कहा.

समिति ने माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक और वीएलएसआई, स्मार्ट मोबिलिटी , इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्रौद्योगिकी, ट्रांसपोर्टेशन, हाईवे इंजीनियरिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, क्लाइमेट चेंज, अर्थ सिस्टम साइंसेज, फ्यूचर कम्युनिकेशन, विशेषकर 5G, सस्टेनेबल डवलपमेंट एंड सर्कुलर इकोनॉमी, वेस्ट मैनेजमेंट, प्रोडेक्ट डिजाइन और AI-प्लस टेक्नॉलजी जैसे स्पेशलाइजेशन कोर्स शुरू करने का सुझाव भी दिया.

मुख्य विषयों के बारे में बात करते हुए, समिति ने कहा: ‘उद्योग की बढ़ती मांग और तकनीक में तेजी से हो रहे बदलावों को पूरा करने के लिए मुख्य विषयों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है. इंजीनियरिंग उद्योग को अपने हितों का ध्यान रखते हुए, कुशल इंजीनियरों को तैयार करने में इंजीनियरिंग संस्थानों को सक्रिय रूप से समर्थन देना चाहिए.’

समिति के अनुसार, इससे छात्रों को भविष्य में नौकरी खोजने में भी मदद मिलेगी. समिति ने आगे सुझाव दिया कि ‘प्रत्येक इंजीनियरिंग उद्योग को कम से कम 3-5 इंजीनियरिंग कॉलेजों के मुख्य इंजीनियरिंग विभागों के साथ गठजोड़ करना चाहिए या उन्हें अपनाना चाहिए, उन्हें कोर इंजीनियरिंग विभागों में पाठ्यक्रम विकसित करने में मदद करनी चाहिए. साथ ही छात्रों और शिक्षकों को सलाह भी देनी चाहिए.’

ग्रेजुएशन के लिए क्रेडिट नंबर को 160-180 से घटाकर 135-140 करने का लिए भी कहा है.

अकादमिक क्रेडिट की गणना एक छात्र द्वारा कक्षा में किए गए कार्य के आधार पर की जाती है. इसमें वास्तविक उपस्थिति, असाइनमेंट और प्रजेंटेशन शामिल हैं. विभिन्न पाठ्यक्रमों में अलग-अलग क्रेडिट की जरूरत होती हैं.

समिति ने कहा, ‘इसका उद्देश्य छात्रों को सेल्फ स्टडी, ग्रुप डिस्कशन / प्रोजेक्ट और पीर-ग्रुप लर्निंग के लिए अधिक समय देने के लिए प्रोत्साहित करना है. क्लास में बैठकर कुछ न सीखने की बजाय ये खुद से सीखने की संस्कृति को आगे बढाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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