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Thursday, 25 April, 2024
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उपेंद्र कुशवाहा बिहार के विकास की तुलना पाकिस्तान से क्यों कर रहे हैं

यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार बिहार का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 0.566 है. जबकि पाकिस्तान की एचडीआई 0.562 है.

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नई दिल्ली : आज बिहार के हालात ठीक वैसे हैं जैसे पड़ोसी देश पाकिस्तान के. ये हम नहीं कह रहे हैं, यह कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का. कुशवाहा ने पाकिस्तान की गरीबी से बिहार की गरीबी की तुलना की है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. वह लिखते हैं कि पाकिस्तान और बिहार का मानव विकास सूचकांक लगभग बराबर हैं. चाहे बात करें स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय की या फिर दिहाड़ी मजदूर की, अपना काम कर रहे लोगों की या फिर खेती किसानी में जुटे मजदूरों की. बिहार और पाकिस्तान के हालात लगभग बराबर ही हैं और यह भयानक है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) का हवाला देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार की एचडीआई की तुलना पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) से की है.

उपेंद्र कुशवाहा पिछली लोकसभा के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार का हिस्सा थे लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने एनडीए से निकलने का फैसला किया और राजद के साथ गठबंधन किया था. उनकी पार्टी की बुरी तरह हार हुई थी. टीम मोदी से अलग होने के बाद से ही कुशवाहा लगातार नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हैं.


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दिप्रिंट की खोज में पता चला कि उनका सोशल मीडिया पर किया गया यह ट्वीट और उसमें दिए गए आंकड़े सरासर गलत हैं.

कुशवाहा ने ट्वीट किया कि बिहार और पाकिस्तान की एचडीआई 0.536 है. जबकि हमारी खोज में पता चला कि यूएनडीपी की 2017 में प्रकाशित रिपोर्ट में बिहार की एचडीआई 0.566 बताया गया है. जबकि पाकिस्तान का एचडीआई 0.562 है. जो तुलनात्मक तौर पर लगभग बराबर है.

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यूएनडीपी की 2017 में आई रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत का स्थान 130वां है. विश्व के 189 देशों के बीच कई स्तरों पर मानव विकास के मापदंडों को ध्यान में रखकर यह सूची तैयार की जाती है. इसमें देश की शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा दर, जीडीपी, गरीबी और प्रति व्यक्ति आय जैसे मानकों पर रिपोर्ट तैयार की जाती है.

2017 की रिपोर्ट में भारत की एचडीआई 0.640 थी. यूएनडीपी की रिपोर्ट में भारत के सभी राज्यों की एचडीआई रैंक भी जारी की गई है. इस रिपोर्ट में केरल का स्थान पहला और बिहार सबसे पीछे है.

नामीबिया और भारत की एचडीआई बराबर है. बिहार, बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ भारत की औसत एचडीआई से पीछे है. गौरतलब है कि इनमें से ज्यादातर राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार काम कर रही है.

क्या है मानव विकास सूचकांक

यह एक सूचकांक है जिससे किसी देश के मानव विकास का आकलन किया जाता है. इसके तहत देश की गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय के बारे में आंकड़ा जुटाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा यह रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है.

बिहार और पाकिस्तान के बीच सामाजिक सूचकांकों की तुलना

राष्ट्रीय आय

पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय की बात करें तो 2017-18 में सालाना प्रति व्यक्ति आय 1641 डॉलर थी. जो पिछले कुछ सालों की तुलना में बढ़ी है. यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 189 देशों की सूची में पाकिस्तान का स्थान 150वां है और वह भारत से 20 स्थान पीछे है. वहीं बिहार की प्रति व्यक्ति आय 40 हज़ार प्रतिवर्ष है जो देश की औसत आय (1,26,406 ) से काफी कम है.

स्वास्थ्य

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में स्वास्थ्य की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले काफी खराब है. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार उन छह राज्यों में शामिल है जो स्वास्थ्य व्यवस्था में सबसे पीछे है.

एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 195 देशों में स्वास्थ्य स्थितियों में पाकिस्तान का स्थान 154वां है. पाकिस्तान अपने पड़ोसी बांग्लादेश, भारत और श्रीलंका से काफी पीछे है.

जीवन प्रत्याशा दर

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में जीवन प्रत्याशा दर 66.5 साल है. वहीं नीति आयोग की 2013-14 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में यह आंकड़ा 68.1 साल है.


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गरीबी

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की 29.5% आबादी गरीबी रेखा से कम में गुज़र-बसर कर रही है. वहीं बिहार की बात करें तो 2013 की आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 33.74% लोग गरीबी आंकड़े के नीचे रह रहे हैं. इसका मतलब यह है कि बिहार की जनता पाकिस्तान से ज्यादा गरीब है.

शिशु मृत्यु दर

विश्व बैंक के अनुसार 2016 में पाकिस्तान में शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा 64.2 है. यानी की 1000 बच्चों में 64.2 बच्चों की मौत हो जाती है. बिहार में शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 38 है. भारत में केरल इस मामले में सबसे बेहतर है. वहां सबसे कम शिशु मृत्यु दर है. वहां यह आंकड़ा प्रति 1000 पर 10 है. पूरे भारत का औसत शिशु मृत्यु दर 34 है. बिहार औसत आकंड़े से काफी पीछे है.

जीडीपी

2018-19 के दौरान बिहार की जीडीपी 5.73 लाख करोड़ रुपए है. देश में बिहार का स्थान 8वां है और इसकी  जीडीपी 11.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.

वहीं जबकि 2018 में पाकिस्तान की जीडीपी 312.57 बिलियन डॉलर थी. 2019 में उसकी जीडीपी का आकार कम होने की संभावना है. विश्व में जीडीपी के मामले में पाकिस्तान का स्थान 39वां है.


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साक्षरता दर

यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की साक्षरता दर 58 प्रतिशत है. जिसमें पुरुषों में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत है तो वहीं महिलाओं में साक्षरता 48 फीसदी है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में बिहार की साक्षरता दर 64 प्रतिशत थी जो राष्ट्रीय औसत के 74 फीसदी से काफी कम है.

इन आंकड़ों से पता चलता है कि कई मापदंडों पर पाकिस्तान बिहार से आगे है तो कई में बिहार बाजी मार ले गया है. यहां एक बात और नहीं भूलनी चाहिए कि पाकिस्तान एक देश है और बिहार भारत का एक पिछड़ा राज्य. लेकिन कुशवाहा द्वारा उठाए गए सवालों को गौर करें तो बिहार की स्थिति काफी खराब दिखती है. ऐसे में अगर बिहार की तुलना पाकिस्तान से की जा रही है तो बात गौर करने वाली है. कुशवाहा का यह तरीका राजनीतिक भी हो सकता है. पाकिस्तान का नाम लेकर कुशवाहा शायद अपनी पार्टी को संजीवनी देने की कोशिश कर रहे हैं.

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