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Friday, 29 March, 2024
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जब स्कूलों में टीचर ही नहीं हैं तो शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाए

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

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नई दिल्ली: देशभर में शिक्षकों की भारी कमी है. स्कूलों और कॉलेजों में हज़ारों पद खाली पड़े हुए हैं. पिछले कुछ सालों में इन पदों को भरने की कवायद भी नहीं हुई है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में कुल 10 लाख शिक्षकों की कमी है. जिनमें से 9 लाख शिक्षक प्राथमिक स्कूलों में और सेकेंडरी स्कूलों में 1.1 लाख शिक्षकों की कमी है. ये जानकारी राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने दी थी.

पिछले कुछ सालों के भीतर देश भर के कई राज्यों से शिक्षकों के सड़क पर उतरने के मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें शिक्षक यह मांग करते हुए देखे गए कि उन्हें सही समय से वेतन नहीं मिल रहा है तो कहीं शिक्षकों ने नौकरी पक्की करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की.

इन समस्याओं से इतर देश में शिक्षकों के संकट पर विचार करें तो हजारों ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षकों की भारी कमी है. स्कूल से लेकर कॉलेजों तक में कमोबेश यही हालत है. सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है. लेकिन जब स्कूल में मास्टर ही नहीं है तो बच्चे स्कूल में क्या ही सीखेंगे.

शिक्षक समाज के लिए रोशनदान की तरह होते हैं

नई शिक्षा नीति बनाने वाली के. कस्तूरीरंगन समिति के सदस्य रहें एमके श्रीधर ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘हमें देखना चाहिए कि देश में शिक्षकों की स्थिति क्या है, उनकी सर्विस की क्या स्थिति है, प्रमोशन कैसे हो रहा है, उनका रहन-सहन कैसा है? अगर शिक्षकों को यह सुविधा दी जाती है तो उनके लिए और छात्रों के लिए अच्छी बात है. लेकिन यह सुविधाएं देश के सभी शिक्षकों को नहीं मिल पाती हैं. जो शिक्षक स्थायी हैं उन्हें तो सुविधाएं मिलती है लेकिन जो नियोजन पर काम करते हैं उनको सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं.’

श्रीधर बताते हैं, ‘देश में बड़ी संख्या में शिक्षकों की हालत ठीक नहीं है.’ आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों से उनके यहां शिक्षकों की स्थिति की जानकारी देने की बात कही थी. यह जानकारी 10 अगस्त तक देनी थी. यही नहीं यूजीसी ने खाली पड़े पदों की जानकारी भी मांगी थी.’

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वह आगे कहते हैं, ‘इसलिए हमें सोचना चाहिए कि शिक्षकों की स्थिति कैसे अच्छी की जाए. शिक्षकों के हालात को सुधारने के लिए उन्हें स्थायी किया जाना पहला कदम होना चाहिएय  लेकिन हमें सभी शिक्षकों की सुरक्षा और सर्विस कंडीशन के बारे में सोचना चाहिए और उसे बेहतर करने की दिशा में काम करना चाहिए.’

शिक्षकों को प्रोफेशनल बनाने की जरूरत

एम.के. श्रीधर आगे कहते हैं, ‘शिक्षकों को पढ़ाने में जो फ्रीडम मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है. शिक्षकों को प्रोफेशनल डेवलेपमेंट का मौका बहुत कम मिलता है. शिक्षकों को प्रोफेशनल बनाने के लिए हमें आगे बढ़ने की जरुरत है. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे शिक्षकों की तादाद बहुत ज्यादा है जो प्रोफेशनल नहीं है.’

यदि शिक्षकों की स्थिति अच्छी है, प्रमोशन भी समय पर मिल रहा है लेकिन इसके बावजूद उनके सशक्तिकरण के लिए काम नहीं हो पा रहा है, तो यह भी ठीक नहीं है. ऐसे में उनको बढ़ावा देने की जरूरत है.

श्रीधर बताते हैं, ‘अगर कोई बतौर शिक्षक 10-15 साल से काम कर रहा है तो उन लोगों को काम करने के लिए च्वाइस मिलनी चाहिए. शिक्षकों को तीन तरह की च्वाइस मिलनी चाहिए. पहली, जो वो काम कर रहे हैं वो उसे करें. दूसरा, पुराने शिक्षक नई खेप तैयार करें और तीसरी, प्रशासनिक क्षेत्र में जाएं और टीचिंग लाइन में आ रही परेशानी के निप्टारे के लिए काम करें. अगर शिक्षकों को उनका करियर बढ़ाने के लिए च्वाइस दिया जाए तो वो अच्छे से काम कर पाएंगे.’

शिक्षकों को टेक्नोलॉजी से जोड़ना ज़रूरी 

एम.के. श्रीधर बताते हैं, ‘जिस तरह से टेक्नॉलाजी का हस्तक्षेप  लगातार बढ़ता जा रहा है वैसे में शिक्षकों को इससे जोड़ने की ज़रुरत है. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अगर शिक्षकों को रिप्लेस कर दिया जाएगा तो उनमें असंतोष की भावना बढ़ेगी. नई शिक्षा नीति तैयार करते वक्त हमने इन सब बातों पर ध्यान दिया है.’

‘शिक्षक समाज के लिए रोशनदान की तरह होते हैं जो समाज को बढ़ाने के लिए काम करते हैं.’

शिक्षक दिवस का महत्व

हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए भारत भर में इस दिन को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान दार्शनिक और शिक्षक थे. उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था. इस दिन पूरे देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है.

शिक्षक की प्रतीकात्मक तस्वीर |फोटो : ब्लूमबर्ग

नई शिक्षा नीति से उठते सवाल

अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में बनी समिति को भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति बनाने का जिम्मा सौंपा था. हाल ही में के. कस्तूरीरंगन ने मानव संसाधन मंत्रालय को नई शिक्षा नीति का मसौदा पेश किया था. 484 पन्नों के इस मसौदे के पांचवें चैप्टर में देश के शिक्षकों की स्थिति और उनके हालातों में सुधार कैसे हो इस पर गहनता से बताया गया है. इस समिति ने अपने लक्ष्य में कहा है कि सभी स्तरों के स्कूलों में बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए अच्छे अध्यापकों की ज़रूरत है. इसके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग हो इसे जरूरी बताया गया है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शिक्षको की ट्रेनिंग के लिए बहुत धीमी गति से काम हो रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिक्षकों की भर्ती भी नहीं हो रही है जिससे बच्चों पर काफी बुरा असर पड़ रहा है.

समिति ने बताया कि सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में लगभग 10 लाख शिक्षकों की कमी है. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी बुरी है. देश के कई स्कूलों में शिक्षक नहीं है. जहां है भी वहां एक ही शिक्षक कई -कई विषय पढ़ाने पर मज़बूर हैं.

समिति ने शिक्षकों की कमी होने के पीछे एक कारण यह भी बताया है कि स्कूलों की बुनियादी ढांचे इतने कमजोर हैं कि प्रशासन शिक्षकों के अच्छी सुविधाएं नहीं दे पा रही हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शिक्षकों को स्कूलों में अच्छा माहौल नहीं मिल पा रहा है.

एएसईआर की रिपोर्ट

एएसईआर की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में 6-14 साल के बच्चों की स्कूल में इनरोलमेंट के प्रतिशत में 2007 के मुकाबले 95 फीसदी की वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्कूलों में लड़कियों की संख्या में भी पिछले कुछ सालों में वृद्धि हुई है. लेकिन स्कूलों में शिक्षक न हो पाने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

इस रिपोर्ट से पता चलता है कि छात्रों और शिक्षकों की स्कूलों में उपस्थिति में ज्यादा फर्क नहीं आया है. पूरे भारत के आंकड़ों को देखें तो प्राशमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का प्रतिशत लगभग 85 फीसदी है वहीं छात्रों का 72 फीसदी.

देश भर में शिक्षकों की भारी कमी

देश भर के कई राज्यों में स्कूलों, कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है. एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार के प्राथमिक स्कूलों में 37.3 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है. यानी की लगभग 2 लाख 80 हजार शिक्षकों की बिहार में कमी है. 2019 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार के शिक्षा मंत्री ने राज्य के स्कूलों में खाली 1.4 लाख शिक्षकों के पद नवंबर तक भरने का आश्वासन दिया है.

2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश में 1.6 लाख सिक्षकों के पद खाली है. राज्य में केवल 585,232 शिक्षक ही काम कर रहे हैं जबकि कुल शिक्षकों की संख्या 759,958 होनी चाहिए. एक रिपोर्ट के अनुसार रमेश पोखरियाल निशंक ने देश के सभी आईआईटी से जुड़े आकंड़ो को बताया. जिसमें पता चलता है कि देश के 23 आईआईटी में कुल शित्रकों के 6043 पद निर्धारित हैं लेकिन उनमें से 2813 पद खाली पड़े हैं. देश के 31 एनआईटी के कुल 7413 पदों में से 3211 पद खाली है.

नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘शिक्षक कभी रिटायर नहीं होते.’ वो हमेशा समाज में शिक्षा के क्षेत्र में काम करते रहते हैं. इसके बाद हर साल शिक्षक दिवस के दिन सरकारी कार्यक्रम आयोजित होते आए हैं. सरकारी खर्चे पर हर साल शिक्षक दिवस तो मनाया जाता है लेकिन कोई भी सरकार चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, शिक्षकों की भर्ती के लिए कोई कदम उठा नहीं रही है.

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