scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशलॉकडाउन के दौरान छात्रों की आत्महत्या पर शिक्षा मंत्रालय ने संसद में कहा- नहीं रखते सेंट्रलाइज़ डेटा

लॉकडाउन के दौरान छात्रों की आत्महत्या पर शिक्षा मंत्रालय ने संसद में कहा- नहीं रखते सेंट्रलाइज़ डेटा

शिक्षा मंत्रालय के पास भले ही एनसीआरबी या किसी तरह का डेटा न हो लेकिन जुलाई में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान अकेले केरल से 66 बच्चों की आत्महत्या का मामला सामने आया है.

Text Size:

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान छात्रों की आत्महत्या से जुड़े एक सवाल के जवाब में 19 सितंबर को शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा में कहा कि मंत्रालय आत्महत्या से जुड़ा सेंट्रलाइज़ डेटा इकट्ठा नहीं करता है.

छात्रों की आत्महत्या से जुड़ा सवाल कनिमोझी करुणानिधि ने पूछा था. संसद में अनस्टार्ड प्रश्न संख्या 1337 में उन्होंने शिक्षा मंत्रालय से बीते शनिवार पूछा, ‘डिजिटल माध्यमों तक पहुंच नहीं होनी की वजह से क्या लॉकडाउन के दौरान छात्रों की आत्महत्या बढ़ी है?’

उन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के छात्रों की आत्महत्या का भी आंकड़ा मांगा. वहीं, उन्होंने लॉकडाउन लागू होने के बाद 18-30 साल की उम्र वालों की आत्महत्या का डेटा और इसका कारण भी पूछा था. नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) और ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) में शामिल होने वाले छात्रों की आत्महत्या का भी डेटा उन्होंने मांगा था.

आत्महत्या के आंकड़ों पर मंत्रालय ने एक लाइन में जवाब देते हुए कहा, ‘मंत्रालय द्वारा आत्महत्या से जुड़ा सेंट्रलाइज़ डेटा मेंटेन नहीं किया जाता है.’


यह भी पढ़ें: योगी आदित्यनाथ की मुग़लों से नफ़रत का कारण जज़िया है, लेकिन BJP के पास मुसलमानों के लिए इसके बहुत से आधुनिक संस्करण हैं


लॉकडाउन के बीच भी छात्रों की आत्महत्या के आए मामले 

एक रिपोर्ट के मुताबिक नीट की परीक्षा से जुड़े चार छत्रों ने अपनी जान दी थी. वहीं जेईई के दबाव में भी एक छात्र की जान जाने का मामला सामने आया था.

मंत्रालय के पास भले ही एनसीआरबी या किसी तरह का डेटा न हो लेकिन जुलाई में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान अकेले केरल से 66 बच्चों की आत्महत्या का मामला सामने आया. केरल ने ये डेटा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के हवाले से दिया था.

हालांकि, 2019 के दिसंबर में लोकसभा में ही पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने आईआईटी-आईआईएम में छात्रों की आत्महत्या से जुड़ा डेटा साझा किया था.

इसके पहले भी कई मौकों पर मंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हवाले से छात्रों की आत्महत्या से जुड़ा डेटा संसद में बताया है. हालांकि, एनसीआरबी ने अपना लेटेस्ट डेटा रिलीज़ नहीं किया है और सार्वजविक तौर पर एनसीआरबी का 2019 तक का ही डेटा मौजूद है.

एनसीआरबी ने 2019 के जो आंकड़े जारी किए थे उसके मुताबिक 10,355 छात्रों ने आत्महत्या की थी. आंकड़ों के मुताबिक हर दिन औसतन 28 बच्चों ने अपनी जान दी.

इस विषय में दिप्रिंट ने उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवाल और शिक्षा मंत्री के निजी सचिव बी वी आर सी पुरुषोत्तम को मेल, व्हाट्सएप मैसेज और फोन कॉल के जरिए पूछा कि जब मंत्रालय ने पहले आत्महत्या से जुड़ा डेटा दिया है तो लॉकडाउन के दौरान आत्महत्या से जुड़ा डेटा उसने क्यों नहीं दिया?

रिपोर्ट पब्लिश होने तक मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.


यह भी पढ़ें: दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया की घोषणा के एक साल बाद भी मैथिली पर नहीं हुआ काम, शिक्षकों के सैंकड़ों पद खाली


शिक्षा मंत्रालय ने लॉकडाउन में हर तबके तक शिक्षा पहुंचाने का किया दावा

कनिमोझी के सवालों के जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान सरकार समाज के हर तबके तक शिक्षा पहुंचाने को लेकर अति संवेदनशील है. मंत्रालय ने मनोदर्पण नाम की एक पहल की है. इसके तहत छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता देने को लेकर काफी कुछ किया जाता है.’

मंत्रालय ने कहा कि इसके तहत ना सिर्फ छात्र बल्कि, परिजन और शिक्षकों का भी मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है और ये कोविड-19 महामारी और इसके बाद भी जारी रहेगा.

मंत्रालय ने जानकारी दी कि मनोदर्पण के जरिए टेलिकॉउसिंलिंग होती है.

वहीं, मंत्रालय ने नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) द्वारा जारी की गई प्रज्ञता गाइडलाइन का भी ज़िक्र किया जिसमें डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल के दौरान ख्याल रखे जाने वाली बातें बताई गई हैं.


यह भी पढ़ें: बिहार के 17 केंद्रीय विद्यालय अपनी बिल्डिंग मिलने का कर रहे हैं इंतज़ार, हज़ारों बच्चों को नसीब नहीं हुआ ‘अपना स्कूल’


अन्य मंत्रालयों के पास भी डेटा नहीं होने से हुई सरकार की किरकिरी

इसके पहले भी अन्य मंत्रालयों के पास महत्वपूर्ण डेटा नहीं होने की वजह से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जमकर किरकिरी हुई है.

भारत सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में लिखित में ये जनकारी दी कि उसके पास प्रवासी कामगरों की मौत से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं.

इसके अलावा कोविड से रोज़गार पर पड़े प्रभाव और महामारी के कारण स्वास्थ्यकर्मियों की मौत का डेटा देने में भी सरकार असफल रही है. हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 382 डॉक्टरों की लिस्ट जारी कर केंद्र सरकार से उनके लिए ‘शहीद’ के दर्जे की मांग की है.


यह भी पढ़ें: सब पर शक करो, सबको रास्ते पर लाओ! क्या यही हमारे नये ‘राष्ट्रीय शक्की देश’ का सिद्धांत बन गया है


 

share & View comments