लखनऊ: गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या का मामला गर्म है. हर ओर से यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश में पत्रकार पर हमला हुआ है. पिछले तीन साल में ऐसे कई मौके आए जब यूपी के पत्रकारों पर हमले हुए, मुकदमे और तमाम तरह की धमकियों का सामना करना पड़ा.
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार व पाॅलिटिकल काॅमेंटेटर शरद प्रधान का कहना है कि जिस तरह से पत्रकारों पर लगातार हमले, एफआईआर, उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं ये दिखाता है कि चौथे स्तंभ की आवाज प्रदेश में किस तरह से दबाई जा रही है. पत्रकार पर हमला तो सीधे लाॅ एंड ऑर्डर की लचरता दर्शाता है. सारे पत्रकारों को एकजुट होकर सभी मामलों में उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए अपने हक की लड़ाई लड़नी चाहिए. इस सरकार ने पत्रकारों के हित में कुछ भी ऐसा नहीं किया जो उदाहरण के तौर पर पेश किया जा सके.
उन्नाव में पत्रकार की दिनदहाड़े हत्या
बीते 19 जून को उन्नाव में स्थानीय पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की हत्या कर दी गई. शुभम ने गंगा घाट थाना क्षेत्र में सरकारी जमीन लूट मामले की बात मीडिया में उठाई थी. इसके बाद पत्रकार की उन्नाव-शुक्लागंज रोड पर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. बाद में पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी महिला भूमाफिया दिव्या अवस्थी को पति कन्हैया अवस्थी के साथ गिरफ्तार किया गया है. इनके अलावा चार अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किये गए.
20 जून 2019 को शाहजहांपुर के स्थानीय पत्रकार राजेश तोमर द्वारा अवैध वसूली का विरोध करने पर कुछ दबंगों ने चाकू और सरिया से हमला कर दिया. इस दौरान उका भाई और बेटा भी घायल हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने अवैध वसूली का विरोध किया था और ह्वाट्सएप ग्रुप पर पूरे प्रकरण को शेयर किया था, जिससे नाराज दबंगों ने उन पर और उनके भाई व बेटे पर जानलेवा हमला कर दिया.
बीते वर्ष अक्टूबर 2019 में कुशीनगर जिले के स्थानीय पत्रकार राधेश्याम शर्मा की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. राधेश्याम एक हिंदी दैनिक में पत्रकार थे और साथ ही एक निजी स्कूल में शिक्षक भी थे. वहीं अगस्त 2019 में सहारनपुर में एक पत्रकार और उसके भाई को कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में गला रेतकर पत्रकार की हत्या, इलाके में फैली सनसनी
खबर दिखाने पर एफआईआर
वहीं 13 जून को स्क्रोल वेबसाइट की पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी के रामनगर नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई. सुप्रिया पर अपनी स्टोरी में एक दलित महिला की गरीबी व जाति का मजाक उड़ाने का आरोप लगा. इसके बाद स्क्रोल वेबसाइट की ओर से कहा गया कि वह अपनी रिपोर्ट पर कायम रहेंगे. सुप्रिया की स्टोरी में बताया गया था कि डोमरी गांव जिसे पीएम मोदी ने 2018 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था वहां लॉकडाउन के दौरान लोग भूख से परेशान रहे.
इसी तरह बीती 1 अप्रैल को यूपी पुलिस ने ‘द वायर’ वेबसाइट के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. उन पर सीएम योगी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि जिस दिन तबलीग़ी जमात ने दिल्ली में कार्यक्रम किया था उसी दिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अयोध्या में रामनवमी मेला पहले की तरह ही लगेगा. इसी ट्वीट को आधार बनाते हुए उन पर एफआईआर हुई.
इससे पहले सीएम योगी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दिल्ली के पत्रकार प्रशांत कनौजिया के खिलाफ भी लखनऊ में एफआईआर दर्ज हुई थी जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी.
मिड डे मील की पोल खोलने वाले पर ही एफआईआर
इसी तरह 2 सितंबर 2019 को मिर्जापुर के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक के साथ रोटी खिलाने का मामला सामने आया था. इस मामले का खुलासा करने वाले स्थानीय पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर ली थी जिसके बाद पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी. पवन पर गलत साक्ष्य बनाकर वीडियो वायरल करने और छवि खराब करने के आरोप लगे थे.
मिड डे मील में नमक-रोटी परोसे जाने का खुलासा करने वाले पत्रकार पर यूपी में हुआ मुकदमा
बीते साल 24 अगस्त को नोएडा में पांच पत्रकारों को गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया. इस मामले में बाद में कई पुलिस अधिकारियों संग सांठ-गांठ की भी बात सामने आई.
जल सत्याग्रह करने को मजबूर पत्रकार
यूपी के फतेहपुर जिले में स्थानीय पत्रकार अजय भदौरिया पर स्थानीय प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करा दी जिसके खिलाफ जिले के तमाम पत्रकारों ने बीती 7 जून को जल सत्याग्रह किया. दरअसल पत्रकार अजय भदौरिया ने बीती 13 मई को दो ट्वीट किए थे जिनमें उन्होंने एक नेत्रहीन दंपत्ति को लॉकडाउन में राशन से संबंधित दिक्कतों का जिक्र करते हुए जिले में चल रहे कम्युनिटी किचन पर सवाल उठाए थे जिसके बाद उन पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया.
यूपी के फतेहपुर में पत्रकार ‘जल सत्याग्रह’ के जरिए मांग रहे इंसाफ, प्रशासन ने कराई थी एफआईआर
विपक्षी दलों ने घेरा
कांग्रेस के कम्युनिकेशन हेड रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि यूपी में पत्रकारिता करना पाप हो गया है. यूपी में पत्रकारों के साथ हुई अन्य घटनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘लखीमपुर में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई, मिर्जापुर में मिड-डे मील में मिलावट उजागर करने वाले पत्रकार पर एफआईआर कर दी गई, बनारस में पीएम मोदी के गोद लिए गांव की सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार पर केस दर्ज किया गया, फैजाबाद में योगी आदित्यनाथ द्वारा लॉकडाउन का उल्लंघन करने की खबर करने वाले पत्रकार पर एफआईआर, बिजनौर में पांच पत्रकार पर एफआईआर, आजमगढ़ में पत्रकार को जेल भेज दिया गया, नोएडा में पत्रकारों पर आदित्यनाथ की पुलिस ने गैंगस्टर का केस लगा दिया.’
सुरजेवाला के अलावा यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मायावती भी पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं.
किसी समस्यात्मक स्टोरी करने में अब यूपी में डर लगता है।ख़बर लिखने पर बीजेपी सरकार,सरकार विरोधी बताती हैं,अपराधियों पर कार्यवाही करने के बजाय उल्टे उन्हें ये सरकार संरक्षण देती है।आयेदिन पत्रकारो की हत्या, मुकदमे, मारपीट की घटना आमबात हो गयी है।सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं यूपी के पत्रकार।घबराहट होती हैं घर से निकलने में ना जाने कब कोई माफिया हमला कर दे,जिलाप्रशासन को शिकायत करने पर भी न्याय नही मिलता, अधिकारियों को डर लगता है कार्यवाही करने में कही उनका ट्रांसफर न करा दे माफिया लोग, क्योकि इनके पहुँच राजनैतिक पार्टियों के आकाओं से होती हैं।
कुछ नही हो सकता यूपी का,
अगर यूपी पत्रकारिता करना है तो बाकियों की तरह चापलूसी करनी पड़ेगी।