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Thursday, 25 April, 2024
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वित्तमंत्री सीतारमण बोलीं- आयकरदाताओं पर अचानक दबाव नहीं पड़े इसीलिये रखे गए हैं विकल्प

वित्त मंत्री ने कहा कि करदाता का भरोसा कायम करने के लिये सरकार ने करदाता अधिकार-घोषणा पत्र लाने की घोषणा की है.

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नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत आयकर के पुराने ढांचे को लागू रखते हुए बजट में नया वैकल्पिक कर-ढांचा पेश करने का औचित्य समझाते हुए रविवार को कहा कि करदाता ‘अचानक किसी दबाव में न पड़े’ इसलिये नई व्यवस्था को वैकल्पिक रखा गया है.

वर्ष 2020- 21 का आम बजट पेश करने के एक दिन बाद रविवार को संवाददाताओं के साथ विशेष चर्चा में वित्त मंत्री ने कहा की सरकार ने कर ढांचे को सरल बनाने का कदम उठाया है, लेकिन अचानक होने वाले बदलाव से करदाता दबाव में नहीं आयें और उन्हें नई प्रणाली को समझने का समय मिले इसलिये नई और पुरानी दोनों व्यवस्थाओं का विकल्प रखा है.

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने व्यक्तिगत आयकर की सात स्लैब वाली नई व्यवस्था की घोषणा की है. वित्त मंत्री ने इसमें करदाताओं पर कर बोझ कम होने का दावा किया है. हालांकि, नई व्यवस्था में कई तरह की कर रियायतों और दी जाने वाली छूट को समाप्त कर दिया गया है. पुरानी व्यवस्था में जहां पांच लाख तक, पांच से दस लाख तक और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर क्रमश: पांच, 20 और 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का प्रावधान है वहीं नए ढांचे में 15 लाख रुपये तक आय के विभिन्न स्तरों पर पांच, दस, 15, 20, 25 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से कर का प्रस्ताव किया गया है.

संवाददाताओं के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘कारपोरेट कर को सरल बनाया गया, चारों तरफ उसकी सराहना हुई. दरें घटी, ठीक लगा. पिछले कई सालों के दौरान जितनी सरकारें आई उन्होंने एक के बाद एक नई रियायतें इसमें जोड़ी हैं. कुल मिलाकर आयकर कानून में अब तक 120 तक रियायतें जुड़ गईं. नये करदाता इस पूरी सूची में अपनी सहूलियत के मुताबिक रियायत को तलाशते हैं.’


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उन्होंने कहा इस व्यवस्था में करदाता की कितनी क्षमता है तकनीकी रूप से उसके बारे में पता नहीं चल पाता है. क्षमता के बारे में आंकड़ा मिलना मुश्किल होता है.

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नई व्यवस्था में जाने पर क्या बचत को मिलने वाला प्रोत्साहन समाप्त नहीं हो जायेगा? इस सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा, बचत करने से किसी को रोका नहीं जायेगा. ‘आप खर्च कीजिये, बचत कीजिये यह पूरी तरह आपके विवेक पर है. लेकिन पूरी व्यवस्था में सुधार लाने के बारे में सोचना होगा.’

सीतारमण ने कहा कि कर ढांचे को सरल बनाने के लिये समय समय पर कई समितियां बनाई गईं. लेकिन इस दिशा में ज्यादा कुछ नहीं हो पाया. ‘आज 10 साल बाद यह स्थिति बनी है कि रियायतों को कुछ कम किया जाये. कर दरें भी कम हों रियायतें भी कम हों. नए कर ढांचे को वैकल्पिक इसलिये रखा है कि अचानक नई व्यवस्था का दबाव नहीं पड़े. हालांकि, नई व्यवस्था में भी कुछ रियायतें दी गईं हैं. नई व्यवस्था में दी जाने वाली रियायतों के मापदंड अलग हैं.’

वित्त मंत्री ने कहा कि करदाता का भरोसा कायम करने के लिये सरकार ने करदाता अधिकार-घोषणा पत्र (करदाता चार्टर) लाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि गुमनाम तरीके से कर आकलन, करदाता को निचले स्तर के अधिकारियों के हाथों परेशानी से बचाने और ऐसे कई अन्य उपायों के बावजूद करदाताओं को परेशान किए जाने की शिकायतों के बने रहने के बाद करदाता अधिकार पत्र की बात की गई है. ‘कोई भी कर अधिकारी यदि किसी करदाता को नोटिस भेजता है तो उसे नोटिस को पहले उच्च अधिकारियों से जुड़े पोर्टल में डालना होगा. शीर्ष स्तर पर उसे जांचा परखा जायेगा, सही होने पर उसे दस्तावेज पहचान संख्या यानी डीआईएन नंबर दिया जायेगा. बिना डीआईएन नंबर के कोई भी कर नोटिस मान्य नहीं होगा. बिना नंबर के नोटिस को करदाता अवैध मानकर कूड़ेदान में डाल सकते हैं.’

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