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Saturday, 20 April, 2024
होमदेशनिजीकरण की दिशा में कैबिनेट का बड़ा कदम, भारत पेट्रोलियम में 53 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंज़ूरी

निजीकरण की दिशा में कैबिनेट का बड़ा कदम, भारत पेट्रोलियम में 53 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंज़ूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.

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नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), पोत परिवहन कंपनी भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) और माल ढुलाई से जुड़ी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकार) में सरकारी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी. साथ ही चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से नीचे लाने को मंजूरी दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की देश की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी बीपीसीएल से नुमालीगढ़ रिफाइनरी को अलग किया जायेगा. उसके बाद प्रबंधन नियंत्रण के साथ बीपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी गई.

मंत्रिमंडल ने एससीआई में सरकार की पूरी 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी तथा कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में 30.9 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को भी मंजूरी दे दी. सरकार की कॉनकार में फिलहाल 54.80 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

मंत्री ने कहा कि इसके अलावा सरकार टीएचडीसी इंडिया तथा नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लि (एनईईपीसीओ) में सरकार की हिस्सेदारी को सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी लिमिटेड को बेच दिया जायेगा.

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सरकार ने इसके साथ ही इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) जैसे चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने को मंजूरी दे दी. हालांकि, इनमें प्रबंधन नियंत्रण सरकार अपने पास ही रखेगी.

विनिवेश की जाने वाली कंपनी की हिस्सेदारी दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचे जाने के आधार पर सरकार का उस इकाई में प्रबंधन नियंत्रण होगा.

सरकार की फिलहाल आईओसी में 51.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसमें 25.9 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की एलआईसी के पास तथा ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) तथा ऑयल इंडिया लि. के पास है. सरकार 26.4 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 33,000 करोड़ रुपये में बेच सकती है.

सीतारमण ने कहा कि नुमालीगढ़ रिफाइनरी को सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी को सौंपा जायेगा. पूर्वोत्तर में निजीकरण की पहल को लेकर चिंता को दूर करते हुए यह कदम उठाया गया है.

दिल्ली की अवैध कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक देने वाले विधेयक को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली में अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोगों को मालिकाना हक देने के लिए कानूनी रूपरेखा मुहैया कराने वाले विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी.

यह प्रस्ताव राष्ट्रीय राजधानी के 175 वर्ग किलोमीटर में फैली 1,797 चिह्नित अवैध कॉलोनियों पर लागू होगा. सरकार के इस फैसले से करीब 40 से 50 लाख लोगों को फायदा होगा.

मंत्रिमंडल ने हाल ही में मालिकाना हक देने का फैसला लिया था और बुधवार को उसने विधेयक को मंजूरी दे दी. यह विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया जाना है.

इससे पहले 23 अक्टूबर को मंत्रिमंडल ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसके तहत राष्ट्रीय राजधानी के 175 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली 1,797 अनधिकृति कॉलोनियों की पहचान कर उन्हें नियमित करने की बात कही गई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में इन कॉलोनियों के कल्याण संघों के कुछ प्रतिनिधियों से भेंट के दौरान कहा था कि निर्णय को लागू करने के लिए एक विधेयक लाया जाएगा.

गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली में आप सरकार ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार अपने वादे के मुताबिक विधेयक नहीं लाएगी.

1.2 लाख टन प्याज आयात को मंजूरी मिली

सरकार ने बुधवार को घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिये 1.2 लाख टन प्याज आयात करने के खाद्य मंत्रालय के निर्णय को मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी.

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने 16 नवंबर को कहा था कि सरकारी कंपनी एमएमटीसी के जरिये सरकार एक लाख टन प्याज का आयात करेगी.

सरकार ने प्याज की उपलब्धता बेहतर बनाने के लिये निजी आयात को भी मंजूरी दी है और ध्रुमीकरण एवं स्वच्छता के प्रावधानों को भी सरल बनाया है.

निर्माण क्षेत्र को मिलेगी राहत, मध्यस्थता फैसले को चुनौती पर ठेकेदार को मिलेगा भुगतान

निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कहा कि अगर सरकारी संस्थाएं किसी मध्यस्थता फैसले को चुनौती देती हैं, तो उस मामले में इन संस्थाओं को इस बात की अनुमति दी जाएगी कि वे बैंक गारंटी के एवज में ठेकेदारों को मध्यस्थता राशि का 75 प्रतिशत भुगतान करें.

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) द्वारा मंजूर किए गए इन उपायों से निर्माण क्षेत्र को मदद मिलेगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘जहां भी सरकारी संस्था किसी मध्यस्थता फैसले को चुनौती देगी, और इसके परिणामस्वरूप जिस मध्यस्थता राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा, उस राशि का 75 प्रतिशत भुगतान ठेकेदार, कन्सेशनर को सरकारी संस्था द्वारा बैंक गारंटी के बदले किया जाएगा.’

कॉरपोरेट कर में कटौती पर अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 22 प्रतिशत करने संबंधी अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को बुधवार को मंजूरी दी. सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ये उपाय किए थे.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अध्यादेश की जगह विधेयक लाने का फैसला किया गया है.

सूत्रों ने कहा कि इस विधेयक को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.

सीतारमण ने 20 सितंबर को कहा था कि कॉरपोरेट कर और अन्य उपायों से सरकारी खजाने को सालाना 1.45 करोड़ रुपये की हानि होने का अनुमान है.

इस फैसले के बाद, घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर कम होकर 22 प्रतिशत पर आ गई थी. हालांकि इसके लिये शर्त थी कि वे किसी प्रोत्साहन का लाभ नहीं लेंगे.

एक अक्टूबर 2019 या इसके बाद गठित नई घरेलू विनिर्माण कंपनी के लिए कर की दर को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया था.

इसके अलावा, जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी किसी प्रकार का कर नहीं देना होगा.

लेह में राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान के गठन को मंजूरी मिली

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लेह में स्वायत्त संगठन के तौर पर राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान के गठन को बुधवार को मंजूरी दी.

सोवा-रिग्पा भारत के हिमालयी क्षेत्र में औषधि की पारंपरिक तिब्बती प्रणाली है. यह सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लोकप्रिय है.

जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद 31 अक्टूबर को लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से यह वहां के विकास पर केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए संभवत: पहले फैसलों में से एक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आयुष मंत्रालय के तहत 47.25 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्वायत्त निकाय एनआईएसआर के गठन को मंजूरी दी.

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