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Saturday, 4 May, 2024
होमदेशराज्यसभा में भावुक नायडू बोले- कल जो हुआ उससे बहुत दुखी हूं, लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई

राज्यसभा में भावुक नायडू बोले- कल जो हुआ उससे बहुत दुखी हूं, लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई

वेंकैया नायडू ने कहा कि कल की घटना से मैं बहुत आहत हूं. कुछ सदस्य सदन की आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, कुछ मेज पर बैठ गए.... मेरे पास अपनी पीड़ा जाहिर करने और कल की घटना की निंदा के लिए शब्द नहीं हैं.

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नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कल मंगलवार को हुई घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए बुधवार को भावुक हो कर कहा कि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई.

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कल की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि वह सो नहीं सके क्योंकि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई. उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए. उन्होंने कहा ‘कल जो सदन में हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ. मैं बहुत दुखी हूं.’

उन्होंने कहा कि आधिकारियों की मेज और उसके आसपास का हिस्सा सदन के पवित्र गर्भ गृह की तरह है. इस मेज पर राज्यसभा के महासचिव, पीठासीन अधिकारी, अधिकारी और संवाददाता काम करते हैं.

भरे गले से नायडू ने कहा कि इस स्थान की भी पवित्रता है. उन्होंने कहा कि मंदिर में जब श्रद्धालु जाते हैं तो उन्हें एक निश्चित स्थान तक जाने की अनुमति होती है, उसके आगे नहीं. उन्होंने कहा कि सदन के बीचों बीच (आसन के समक्ष, मेज तक) आना इसकी पवित्रता को भंग करने जैसा है और पिछले कुछ वर्षों से ऐसा अक्सर हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह कल सदन की पवित्रता भंग की गई, उससे मैं बेहद दुखी और आहत हूं. कुछ सदस्य सदन की आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, कुछ मेज पर बैठ गए…. मेरे पास अपनी पीड़ा जाहिर करने और कल की घटना की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं.’

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विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा आसन के समक्ष आ कर हंगामा किए जाने का संदर्भ देते हुए सभापति ने कहा कि संसदीय परंपराओं को ताक पर रखने के लिए मानो होड़ सी मची हुई है. उन्होंने कहा कि कल जो अप्रिय घटना हुई, उस समय सदन में कृषि क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हो रही थी जो एक महत्वपूर्ण विषय है. नायडू ने हंगामे का संदर्भ देते हुए कहा कि सदस्य हंगामा करके, सरकार को अपनी मांग को लेकर बाध्य नहीं कर सकते.

सभापति अपनी बात कह रहे थे, इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के चलते सभापति ने बैठक शुरू होने के करीब पांच मिनट बाद ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

गौरतलब है कि कल मंगलवार को, दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 2 बजे जब बैठक पुन: शुरू हुई तो पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों का सदन में हंगामा फिर शुरू हो गया. हंगामे के बीच ही पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने ‘देश में कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान’ पर अल्पकालिक चर्चा शुरू कराई. इसी दौरान विपक्षी दलों के कुछ सदस्य आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, उन्होंने काले कपड़े लहराए और कुछ दस्तावेज फेंके.

आधिकारिक मेज पर राज्यसभा के महासचिव, अधिकारी और रिपोर्टर काम करते हैं. कल भी घटना के दौरान ये लोग वहीं काम कर रहे थे.

सदन में अव्यवस्था के चलते पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने 2 बज कर 17 मिनट पर बैठक पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दी थी. पंद्रह मिनट बाद उन्होंने हंगामे के चलते बैठक और आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी थी.

आधे घंटे बाद यानी दोपहर करीब 3 बजे बैठक जब फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने घोषणा की कि उपसभापति ने विभिन्न दलों के नेताओं को विचार-विमर्श के लिए अपने कक्ष में आमंत्रित किया है. इसके बाद उन्होंने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया. इसके बाद जब 4 बजे उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो हंगामे के बीच, कालिता ने बैठक को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया था.

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