कोटद्वार (उत्तराखंड), 26 जनवरी (भाषा) कला और संस्कृति के क्षेत्र में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित हुई माधुरी बर्थवाल ने कहा कि उन्हें जीवन भर की तपस्या का फल मिला है।
यहां ‘पीटीआई/भाषा’ से बातचीत में बर्थवाल ने कहा, ‘‘आज जब मुझे पता चला कि मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है तो मैं बहुत खुश हुई। मुझे लगा कि मेरी इतने वर्षों की तपस्या सफल हुई और आखिरकार उसका फल मिला।’’
उन्होंने कहा कि संगीत में वह ताकत है जो सम्पूर्ण मानव जाति को एकता के सूत्र में बांधती है। उन्होंने कहा कि संगीत के मंच पर न कोई जाति देखी जाती है न ही कोई धर्म।
गढ़वाली गीतों में राग—रागनियां विषय पर शोध कर चुकी बर्थवाल ने कहा कि उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा हजारों, उत्तराखंडी लोकगीतों का संरक्षण और उनका संवर्द्धन करने के लिए दिया गया है।
कला और संगीत के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली से बर्थवाल का जन्म पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक के गाँव चाई दमराड़ा में 10 जून 1950 को हुआ। उन्होंने सैकड़ों गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी तथा रुहलखंडी गीतों का संरक्षण किया है।
कोविड के दौरान बर्थवाल ने गढ़वाली लोक संगीत पर पाँच पुस्तकें लिखीं हैं। इससे पहले 2018 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, नारी शक्ति पुरस्कार, उत्तराखंड रत्न और उत्तराखंड भूषण सहित अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
भाषा सं दीप्ति अर्पणा
अर्पणा
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