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Saturday, 27 April, 2024
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मुर्मू ने की किफायती ऊर्जा खपत वाले एवं दिव्यांगों के अनुकूल बुनियादी ढांचा विकसित करने की अपील

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( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को इंजीनियरिंग सेवा अधिकारियों के एक समूह से किफायती ऊर्जा खपत वाला और दिव्यांगों के अनुकूल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा विकसित करने को कहा।

मुर्मू ने अभियंताओं से अपने दृष्टिकोण में नवीनता लाने को भी कहा ताकि वे उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें।

राष्ट्रपति केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (2022 और 2023 बैच) के सहायक कार्यकारी अभियंताओं (सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल) के एक समूह को संबोधित कर रही थीं। इन अभियंताओं ने यहां राष्ट्रपति भवन में मुर्मू से मुलाकात की थी।

उन्होंने युवा अधिकारियों से सामाजिक विवेक के साथ अभियंत्रण का अभ्यास करने को कहा।

मुर्मू ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना आपका कर्तव्य है कि आपके द्वारा डिजाइन किये गये सार्वजनिक बुनियादी ढांचे दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के इस्तेमाल के लिए सुगम होना चाहिए, चाहे वह कार्यालय हो, आवास या सड़क हो। यह पहलू परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन का अभिन्न अंग बनना चाहिए।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आपके द्वारा बनाई जाने वाली इमारतें, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे टिकाऊ, किफायती ऊर्जा खपत वाले और पर्यावरण के अनुकूल होने चाहिए।

उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘आपको अपने दृष्टिकोण में नवोन्वेषी होना चाहिए ताकि आप उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें।’’

मुर्मू ने कहा कि थ्री-डी प्रिंटिंग के युग में भवन निर्माण तकनीक में व्यापक बदलाव आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे और निर्माण परियोजनाओं को अब जलवायु-अनुकूल और ऊर्जा खपत की दृष्टि से किफायती बनाया जा सकता है।’’

मुर्मू ने कहा कि ‘‘हरित निर्माण’’ समय की मांग है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘निर्माण के नवीन तरीकों में इस क्षेत्र में बदलाव की क्षमता है।’’

मुर्मू ने इंजीनियरिंग सेवा में बहुत कम महिलाओं के शामिल होने के ‘‘कारणों की जांच’’ का भी सुझाव दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं निर्णयकर्ताओं के विचारार्थ एक बिंदु छोड़ना चाहूंगी। मुझे बताया गया है कि इस सेवा में बहुत कम महिलाएं आती हैं। इस साल (महिलाओं का) कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘आपको न केवल निर्माण प्रक्रिया में तेजी लानी होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि महत्तम संसाधनों का इस्तेमाल करके कचरे को कम किया जा सके।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम मेधा, मशीन लर्निंग, रोबोट, ड्रोन जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियां पारंपरिक सोच को बाधित कर रही हैं।

भाषा सुरेश मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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