गुजरात की रहने वाली पायल देर रात तक काम करती हैं. उनका काम काफी खतरनाक है जिसमें उन्हें चोटें भी आ सकती हैं. वह छोटे कस्बों में होने वाले मेलों की राउडी महिला हैं जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है. पायल मेलों में लगने वाले मौत के कुए में काम करती हैं.
31 साल की पायल दीवारों पर मोटलसाइकिल चलाती हैं और स्टंट करती हैं.
गुजरात के राजपीपला में लगे मेले के बीचों-बीच एक बड़ा-सा पोस्टर लगा है जिस पर लिखा है ‘मौत का कुआं’, यह मेले का मुख्य आकर्षण हैं. मेले में बड़े-बडे़ झूले लगे हैं, टॉय ट्रेन हैं, कई सारी दुकानें हैं लेकिन लोगों की ज्यादा भीड़ इस पोस्टर के पास लगी है,
पोस्टर के ठीक नीचे एक स्टेज बना है जिस पर बैठा एक व्यक्ति टिकट के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा कर रहा है. वह कहता हैं, ‘छोकरी चलाएगी मोटरसाइकिल.’ इस स्टेज के ठीक नीचे पायल हरे रंग की मोटरसाइकिल पर बैठ कर उससे व्रूम-व्रूम की आवाज निकाल रही हैं, ताकि वह लोगों को बता सकें कुए के अंदर एक महिला ही बाइक चलाने वाली है.
गुजरात की पहली स्टंटवुमन पायल कहती हैं, ‘जब लोग सुनते हैं एक लड़की स्टंट करेगी तो वो उत्सुक हो जाते हैं. शो के बाद वो मुझसे मिलते हैं, हाथ मिलाते हैं. मेरी तस्वीरें खिंचते हैं और बगशीश भी देते हैं.’
पायल 18 साल की उम्र से इस काम को कर रही हैं. अब उनके बाद दो और लड़कियां हैं जो इस पेशे में आई हैं. शुरुआत में लोग पायल को गंभीरता से नहीं लेते थे. पुरुषों की दुनिया में वह अकेली महिला थीं. शुरू में उन्हें अपने माता-पिता का इस काम के लिए मनाना पड़ा था. अपने पति और ससुराल वालों को भी पायल ने बड़ी ही मशक्कत के बाद मनाया था.
अपनी मोटरसाइकिल की ब्रेक में एक छोटी रस्सी बांधत हुए पायल कहती हैं, “मैंने अपने ससुराल वालों से कह दिया था कि मैं घर का या खेत का काम नहीं करूंगी. मैंने अपने पति को भी बता दिया था कि मैं अपना काम नहीं छोड़ूंगी. अगर मुझसे शादी करनी है तो मेरा काम स्वीकार करना होगा. ”
डेयर डेविल बनने का सपना
आज पायल अपनी जान हथेली पर रखकर तेज स्पीड में बाइक चलाती हैं और स्टंट करती हैं. जब देखने वाले ऊपर से नोट फेंकने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हैं तो पायल एक हाथ से मोटरसाइकिल चलाते हुए उनके हाथों से नोट ले आती हैं.
13 साल कुए में मोटरसाइकिल चलाने के बाद पायल अपने काम में माहिर हो गई हैं. बचपन से ही पायल की जिंदगी मेलों के इर्द-गिर्द रही है. 16 साल की उम्र में पायल अपनी मां के साथ मौत के कुएं के गेट पर टिकट चेक करने का काम करती थीं. उसी बीच पायल दूसरे लोगों को मोटरसाइकिल पर स्टंट करते हुए देखा करती थीं.
उनका सपना था एक डेयरडेविल बनने का. सबसे पहले उन्होंने मोटरसाइकिल चलाना सिखा. इसके बाद बड़ी हिम्मत करके वह टीम लीडर अब्दुल रहनाम के पास गईं जो नए लोगों को इस काम की ट्रेनिंग देते थे. जब पायल अब्दुल रहमान के पास गईं तो तब टीम में 6-7 पुरुष थे जो यह काम करते थे.
अब्दुल रहमान शुरू में पायल को सिखाने के लिए इतने अग्रसर नहीं थे लेकिन उन्होंने बताया, “मैंने उसमें एक निडरता देखी, इससे पहले भी मैंने 20 साल पहले गोआ में एक लड़की को ट्रेन किया था.” अब्दुल रहमान पायल का सिखाने के लिए मान गए. ट्रेनिंग में जिस चीज से सबसे ज्यादा उबरने की जरूरत होती है वह है- चक्कर आना. कुए में बाइक चलाते समय उसकी स्पीड 40 के करीब रहती है. शुरुआत में अब्दुल रहमान ने पायल को बाइक के आगे बैठाया. उसके बाद कुए में गोल-गोल बाइक घुमाई. जिसके बाद दुनिया घुमने लगती है और आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है.
अब्दुल रहमान ने बताया, ‘हमें 15 दिन में पता चल जाता है कि कौन यह काम कर सकता है और कौन नहीं, पायल ने टेस्ट पास कर लिया था.’ टेस्ट पास करने के बाद अब पायल को टीम के दूसरे पुरुष साथियों के साथ काम करना था.
कुछ अच्छे थे, अन्य लोग तिरस्कारपूर्ण थे, और कुछ ने पायल को दूसरा काम करने की सलाह दी.
पायल बताती हैं. ‘वे लोग मुझे चेतावनी देते थे कि अगर मुझे चोट लग गई, तो मेरे हाथ और पैर टूट जाएंगे. कोई मुझे पानी पिलाने वाला भी नहीं होगा और इसमें मेरी जान भी जा सकती है.’
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टीम की स्टार
18 साल की उम्र में डेयरडेविल बनने के बाद पायल ने शादी भी कर ली थी. आज पायल मेलों में पसंद की जाने वाली सबसे आकर्षक इंसान हैं. सैकड़ों-हजारों लोग लाइन में लग कर उनके स्टंट देखने के लिए 50 रुपये का टिकट लेते हैं. टीम को उनकी वजह से ज्यादा कॉन्ट्रेक्ट मिलते हैं. अब्दुल रहमान बताते हैं, पायल की वजह से ही ज्यादा लोग हमें बुलाते हैं. वो कहते हैं कि लड़की को लेकर आना, यह हमारी टीम की स्टार है.”
पहली बार देखने पर लोगों को भरोसा ही नहीं होता है. अब्दुल रहमान कहते हैं, “पायल के स्टंट देखने के लिए लोग दो-दो बार टिकट लेते हैं पहली बार में वे विश्वास ही नहीं कर पाते हैं.”
एक दशक से ज्यादा समय काम करने के बाद अब पायल की इच्छाओं में बदलाव भी हुआ है. अब वो गांव की दूसरी लड़कियों को आगे बढ़ते देखना चाहती हैं, पायल कहती हैं, कई लड़के हैं जो कुएं में मोटरसाइकिल चलाते हैं. लेकिन लड़कियां न के बराबर हैं. मैं चाहती हूं लड़कियां ज्यादा से ज्यादा उन कामों में आए जिन्हें समाज ने कथित रूप से सिर्फ लड़कों के लिए बनाया है. लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं लेकिन उसके लिए उन्हें घरों से बाहर निकलना होगा.
पिछले कुछ सालों में दो और लड़कियों ने टीम जॉइन की है, लेकिन दोनों में सो कोई भी ड्राइव नहीं करती हैं. 24 साल की सोनू कहती हैं, ‘मैं मोटरसाइकिल या गाड़ी नहीं चला सकती हूं. लेकिन पायल को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं भी इसी निडरता के साथ जीवन में कुछ करना चाहती हूं.’
और राज्य भर में पायल के प्रशंसक और शुभचिंतक हैं. अड़तीस वर्षीय उर्मिला पायल का कोई शो मिस नहीं करती हैं. वो कहती हैं, ‘मुझे अच्छा लगता है कि जहां हम केवल पुरुषों को देखते थे, वहां इन सभी पुरुषों के बीच एक महिला है जो इतना खतरनाक काम कर रही है.’
घर में अकेली कमाने वाली
यह कहा जा सकता है कि पायल ने समाज के बनाए कई ढांचों को तोड़ने का काम किया है. उन्होंने कम उम्र में शादी की और उनके दो बच्चे हैं. उनके काम की लाइन में, कोई मातृत्व अवकाश या मानव संसाधन नीतियां नहीं हैं, लेकिन उन्होंने गर्भावस्था के दौरान दो साल की छुट्टी ली थी.
बच्चे पैदा करने के बाद बाइक पर वापसी करना आसान नहीं था. लेकिन उनके पैशन के प्रति उनका प्यार और उनकी ट्रेनिंग दिमाग में जिंदा थी तो उन्होंने वापसी की और अब भी अच्छे से काम कर रही हैं.
आज पायल 35 हजार रुपये प्रति महीना कमा रही हैं. वह अपने घर में अकेली कमाने वाली हैं. वह अपने माता-पिता की भी देखभाल करती हैं और अपने बच्चों का भी. उनका एक 10 साल का बेटा और 9 साल की एक बेटी है. पायल के पति एक ऑटो ड्राइवर थे जिनका 8 महीने पहले निधन हो गया.
जब वह मेलों के लिए शहर से बाहर जाती है तो उनके माता-पिता उसके बच्चों की देखभाल करते हैं. ‘मेरे पति की मृत्यु के बाद, कुछ कठिनाइयाँ थीं लेकिन मैंने अपना ख्याल रखा और काम पर लौट आई. अब मैं बहुत काम करती हूं और जब मेले नहीं होती तो मैं अपने बच्चों के साथ समय बिताती हूं.’
त्योहारी सीजन के दौरान जब अधिक बुकिंग होती है, तो वह लगभग 20 दिनों के लिए घर से दूर रहती हैं.
जब उनके बच्चे छोटे थे, तो वे अक्सर उनके साथ मेलों में जाया करते थे. पायल का बेटा अपने पड़ोसियों और दोस्तों को बताता है, ‘मेरी मां वह महिला है जो मौत के कुएं पर बाइक चलाती है. वह निडर है और वह मेरी हीरो हैं.’
लेकिन अब जब वे स्कूल में हैं, तो वे सूरत में पायल के माता-पिता के साथ घर पर रहते हैं. ‘मेरे पति हमारी बेटी को पुलिसवाला, हमारे बेटे को वकील बनते देखना चाहते थे. अब मैं उनके लिए कड़ी मेहनत करती हूं.’
काम करते समय पायल किसी सेफ्टी गेयर का इस्तेमाल नहीं करती हैं. हेलमेट भी नहीं. उनके मां-बाप को उनकी चिंता होती है लेकिन साथ में गर्व भी होता है. पायल की मां कहती हैं- ‘शुरुआत में मैं बहुत चिंता किया करती थी. लेकिन उसे अपना काम बहुत पसंद है और किसी से वह अपनी सारी जिम्मेदारी भी पूरी करती है. हमारे आस-पास रहने वाले लोग भी उसके काम को लेकर ताज्जुब करते हैं.’
अधिकांश मेले गुजरात और महाराष्ट्र तक सीमित हैं. सड़क पर होना भीषण है क्योंकि शाम से देर रात तक कुछ शो आयोजित किए जाते हैं. भीड़ को बांधे रखने के लिए आठ घंटे के दौरान पायल को 10-15 बार कुएं में बाइक चलानी पड़ती है.
देर रात तक काम और तंबू में नींद
जब शाम का मेला होता है, तो वह आधी रात तक काम करती हैं और फिर अगले दिन की शुरुआत करने से पहले एक तंबू में सोती हैं, इसके बाद वह मुस्कुराने और एक प्यारी भीड़ को देखने के लिए तैयार होती हैं.
सूरज ढलने के साथ ही प्रवेश द्वार पर लोगों की कतार लगनी शुरू हो जाती है. कई महिलाएं और बच्चे भी इन लाइनों में शामिल हैं. वे सभी पायल को देखने आए हैं. 37 साल के सुंदर अपनी पत्नी, बेटी और सास के लिए टिकट लेने को लाइन में लगे हैं, ‘मेरा बजट थोड़ा कम है इसलिए मैं अपने लिए टिकट नहीं खरीद रहा हूं, लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी और बेटी पायल को देखें ताकि वे उससे प्रेरणा ले सकें.’
एक और आवाज उठती है. यह नौ साल की किंजल है, जो ‘एक झूले की सवारी’ करना चाहती है, लेकिन ‘मोटरसाइकिल चलाने वाली साहसी महिला’ के पास आई है. उसकी मां ने उसे और उसके भाई को मेले के लिए 100 रुपये दिए हैं. वो कहती हैं, “मैं देखना चाहती थी कि एक महिला इस कुएं में कैसे बाइक चलाती है.’
पायल जानती है कि कुए में उसका समय सीमित है; ज्यादातर राइडर्स 40-45 की उम्र में रिटायर हो जाते हैं. लेकिन वह पहले से ही भविष्य की योजना बना रही है. वह गांव की लड़कियों को मोटरसाइकिल चलाना सिखाना चाहती है. वो कहती हैं, ‘कुएं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों पर निर्भर हुए बिना उन्हें कॉलेज जाने या खरीदारी करने की आजादी देने के लिए.’
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