गुरुग्राम : हरियाणा के 2023-24 के बजट में हरियाणा गौ सेवा आयोग के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, जो राज्य में गाय के कल्याण के लिए 2022-23 के आवंटन से 10 गुना ज्यादा है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, जो कि वित्त विभाग भी अपने पास रखते हैं, ने शुक्रवार को विधानसभा में 2023-24 के बजट पेश करते हुए यह घोषणा की.
उन्होंने कहा, ‘पंचायत भूमि जो कि हरियाणा गौ सेवा आयोग के साथ पंजीकृत है, नई गौशालाओं (गाय आश्रयों) के लिए ग्राम पंचायतों की सहमति से उपलब्ध कराई जाएगी. गौशालाओं को गोबरधन योजना से जोड़ा जाएगा, जिसके तहत हर जिले में बायोगैस प्लांट बनाए जाएंगे.’
गोबरधन योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों के कचरे, कृषि अपशिष्ट और जैविक कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के साथ गांवों की मदद करना है, जो वेक्टर जनित बीमारियों पर अंकुश लगाने में मदद करता है.
खट्टर ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि इन दो उपायों से हम आवारा गायों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और साथ ही सड़कों पर आवारा मवेशियों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को भी समाप्त करेंगे.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ‘632 गौशालाएं’ हैं जो हरियाणा गौ सेवा आयोग के साथ रजिस्टर्ड हैं और इनमें करीब 4.6 लाख आवारा मवेशी हैं.
इस बढ़ोत्तरी का स्वागत करते हुए, हरियाणा गौ सेवा आयोग के क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष श्रवण कुमार गर्ग और पूरन मल यादव ने कहा कि आवंटन से राज्य में गायों की ‘सेवा (सेवा)’ में 10 गुना सुधार होगा.
गर्ग और यादव ने बजट पेश होने के बाद तत्काल एक प्रेस बयान जारी किया, ‘यह बजट केवल आम लोगों के ही कल्याण के लिए नहीं है, बल्कि गौवंश के कल्याण के लिए भी है.’
गोबरधन योजना के तहत बयान में कहा गया है, ‘यह किसानों के कृषि क्षेत्रों के लिए जैविक खाद के उत्पादन और प्राकृतिक खेती को बढ़ाने में किसानों की मदद भी करेगी. बजट से अधिक पैसा आने के साथ, गांव की कॉमन भूमि पर गौ वन (गाय के जंगल) तैयार किए जाएंगे, ताकि कोई भी गाय बेसहारा न रहे.’
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गौ सेवा आयोग, जिला और राज्यस्तरीय टास्क फोर्स
हरियाणा गौ सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसे हरियाणा गौ सेवा आयोग अधिनियम, 2010 की धारा 3 के तहत स्थापित किया गया था, जिसे राज्य में ‘गायों के संरक्षण और कल्याण’ के लिए विधायिका द्वारा अधिनियमित किया गया था.
इसमें कहा गया है आयोग का, ‘मुख्य उद्देश्य गायों के वध या उनके साथ क्रूरता को रोकने के संबंध में कानूनों को उचित तरीके से लागू करने के लिए काम करना है.’
विजय कुमार यादव हरियाणा सिविल सर्विस (एचसीएस) अधिकारी, जो कि अभी हरियाणा गौसेवा आयोग के सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं.
इसके पदेन सदस्य राज्य सरकार के राजस्व और आपदा प्रबंधन, शहरी विकास, कृषि, वित्त, पशुपालन और डेयरी, और विकास और पंचायत विभागों के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), पशुपालन महानिदेशक हैं. और इसमें डेयरी विभाग व भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का एक प्रतिनिधि है.
हरियाणा में सत्ता में आने के एक साल के भीतर, खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम, 2015 को लागू किया, जिसमें गोहत्या को 10 साल तक के कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ दंडनीय बनाया गया है.
2015 में अधिनियम के तहत, ‘गाय’ शब्द के अर्थ में बैल, बर्धा, बधिया बैल, बछड़ा, बछिया, साथ ही विकलांग, रोगग्रस्त और बांझ गाय शामिल हैं.
जुलाई 2021 में, राज्य सरकार ने गौ तस्करी और वध को रोकने और आवारा मवेशियों के पुनर्वास और गौ तस्करों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के उद्देश्य से एक विशेष गौ संरक्षण कार्य बल एससीपीटीएफ (SCPTF) को भी नोटिफाइड किया है. इस टास्क फोर्स को राज्य और जिला स्तर पर गठित किया गया था.
राज्य स्तर पर, टास्क फोर्स को हरियाणा गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हेड करते हैं, और राजस्व और आपदा प्रबंधन, और पशुपालन व डेयरी विभागों के विशेष सचिवों को इसके सदस्यों के रूप में गिना जाता है. राज्यस्तरीय टास्क फोर्स में अन्य सदस्यों में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG), राज्य के अतिरिक्त कानूनी सलाहकार और गौ सेवा आयोग के सचिव शामिल हैं.
जिला स्तर पर, टास्क फोर्स में उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, नगरपालिका आयुक्त, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला अटार्नी और पशुपालन और डेयरी विभाग के उप निदेशक सहित 11 सदस्य हैं.
इसके अलावा, जिला-स्तरीय टास्क फोर्स के गैर-आधिकारिक सदस्यों में हरियाणा गौ सेवा आयोग द्वारा नामित तीन सदस्य और उपायुक्त द्वारा नामित दो ‘गौ सेवक (गौ रक्षक)’ शामिल हैं.
हालांकि, आवारा मवेशी हरियाणा में एक खतरा बने हुए हैं, फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं के कारण बन रहे हैं.
अगस्त 2022 में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान, हरियाणा सरकार ने सदन को सूचित किया था कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में आवारा पशुओं से जुड़ी दुर्घटनाओं में कम से कम 900 लोग मारे गए थे.
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(अनुवाद और संपादन- इन्द्रजीत)
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