scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशवेद समाज को उन्नत करते हैं इसलिए इसके पुर्नतेजस्वीकरण की है आवश्यकता - मोहन भागवत

वेद समाज को उन्नत करते हैं इसलिए इसके पुर्नतेजस्वीकरण की है आवश्यकता – मोहन भागवत

सरसंघचालक भागवत ने कहा, वेदों के पुर्नतेजस्वीकरण से पूरे संसार का कल्याण होगा इसके लिए हम सबको समपर्ण करना पड़ेगा.

Text Size:

नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद और अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा बिड़ला मंदिर में आयोजित चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में शुक्रवार शाम संघ प्रमुख मोहन राव भागवत भी शामिल हुए. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष के सभी लोगों के नित्य जीवन का ‘वेदों’ से सम्बन्ध है.

‘वेद का अर्थ जानना होता है. जिसको हम साइंस कहते हैं वो बाहर की बातें जानना है, वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी, वह भी है जो समझ में नहीं आता. वेदों का ज्ञान अपने अंदर की खोज करता है. वेद समाज को उन्नत करते हैं, समाज को उन्नत धर्म करता है और धर्म का मूल वेद हैं.’

भागवत ने आगे कहा, ‘विभिन्न सम्प्रदाय के संतो ने यह भी बताया कि वेद धर्म मूल कैसे है. रूढ़ी को रीति हमने बना दिया. यह हमारा दोष है, इसमें वेदों का कोई दोष नहीं है. वेदों के ज्ञान के कारण ही भारत कम से कम 3 हजार वर्ष तक विश्व गुरु रहा. लेकिन इसके अभाव के कारण ही युद्ध हुए, इस अभाव के कारण ही विनाश हुआ और पर्यावरण को नुकसान हुआ है. इन्ही वेदों के ज्ञान को हमको अपने परिश्रम से फिर से पुनर्जीवित करना पड़ेगा. हिन्दू धर्म नहीं पूरे मानव जाति के जीवन का प्रश्न मानकर वेदों को समझना पड़ेगा. फिर से उसे तेजस्वी करन करना पड़ेगा. ये काम सिर्फ आचार्यों को नही पूरे समाज के करना चाहिए.’

वेद में विज्ञान और धर्म दोनों

संघ प्रमुख मोहनराव भागवत ने कहा, ‘वेदों के संदर्भ से ही सब चलता आ रहा है. विचारधारा भी वैदिक और अवैदिक होती है. कोई मानते है कोई नहीं मानते है. आज का दौर विज्ञान का ज़माना है. लेकिन वेदों का अर्थ वही होता है जो पहले था. आज हम जिसको विज्ञान कहते है वह बाहर की बाते जानता है . इसी के आधार पर हमारा आज भौतिक जीवन चल रहा है. लेकिन वेद में यह भी है औऱ जो इससे समझ मे नहीं आता वह भी है. वह ध्यान है. ध्यान अपने अंदर की खोज करता है. विज्ञान अपने बाहर की खोज करता है. दोनो को जानने की ज़रूरत रहती है.’

‘वेदों में दोनों का ज्ञान होने के कारण समाज को बढ़ाते है. समाज की धारणा तय करते है. समाज को जोड़ते और उन्नत करते है. समाज को जोड़ने औऱ उन्नत करने वाला धर्म होता है. वेदों को धर्म का मूल कहा गया है.’

सरसंघचालक भागवत ने यह भी बताया कि जो भौतिक ज्ञान आज की दुनिया को प्राप्त है उसको सम्भालने के लिए जो आंतरिक ज्ञान चाहिए जिसके अभाव में युद्ध हो रहे हैं, जिसके अभाव में विनाश और पर्यावरण की हानि हो रही है. उस ज्ञान को यह पूर्णतया देने वाला वेद ज्ञान हमको फिर अपने परिश्रम से पर्नजीवित करना पड़ेगा.

वेदों का पुर्नतेजस्वीकरण हिन्दुओं की नहीं पूरी मानवजाति के जीवन का प्रश्न है, यह कोई पूजा कर्मकांड की सीमित बात नहीं है. वेदों के पुर्नतेजस्वीकरण से पूरे संसार का कल्याण होगा इसके लिए हम सबको समपर्ण करना पड़ेगा.

महायज्ञ के आयोजक अशोक सिंघल फाउंडेशन के प्रमुख श्री महेश भागचंदका ने इस अवसर पर कहा, ‘अशोक सिंघल की अंतिम इच्छा रही कि वेदों को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए. विश्व शांति के लिए लोगों को वेदों को सुनना चाहिए.’

भागचंदका ने बताया कि किस तरह युवा पीढ़ी को वेदों की जानकारी हो इसके लिए विश्व स्तर का चारों वेदों का स्वाहाकार दिल्ली में किया जाए. इसके लिए योजनाएं बनती रहीं थीं. अशोक सिंघल के रहते हुए 2015 में यह योजना बनी थी लेकिन चार दिन पहले उनका शरीर शांत हो गया था. इस कार्यक्रम को इसको स्थगित कर दिया था.

अब चार पर्व के पश्चात हम इस कार्यक्रम को कर रहे हैं और इसमें दक्षिण भारत से रामानुजाचार्य चिन्जय स्वामी जी की देखरेख में 60 आचार्यों के साथ चारों वेदों का स्वाहाकार हो रहा है. 9 तारीख से यह स्वाहाकार शुरु हुआ है और 14 तारीख को सुबह इसकी पूर्णाहुति होगी. इसमें समाज की सभी वर्गों के व्यक्तियों को बुलाया है चाहे वह राजनीति में हों, सामाजिक हों, धार्मिक हों, सब लोगों को आमंत्रित किया है. इसमें अधिक से अधिक युवा भाग लें इसके लिए सोशल मीडिया में भी इसको प्रमोट किया है. आज एक लाख लोग जो सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं वो इस यज्ञ को देख रहे हैं.

बता दें कि इस कार्यक्रम में सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी शनिवार सुबह के सत्र में आएंगे. गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं.

share & View comments