नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को संसद को बताया कि कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को गंवा देने वाले कुल 220 बच्चों को पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में एडमिशन दिया गया है.
यह योजना पिछले साल मई में उन बच्चों की ‘व्यापक देखभाल और सुरक्षा’ के लिए शुरू की गई थी, जिन्होंने महामारी के कारण अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था. इस साल सांसदों की विशेष सिफारिश पर छात्रों की भर्ती की व्यवस्था खत्म किए जाने के बाद यह विशेष कोटा लाया गया था.
भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या के सवाल पर अपने लिखित जवाब में प्रधान ने बताया, ‘केवीएस प्रवेश दिशा-निर्देश 2022-23 में कक्षा में छात्रों की स्वीकृत संख्या से ऊपर उन बच्चों के प्रवेश के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को कोविड महामारी में खो दिया है.’
जवाब में यह भी बताया गया कि इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 17, कर्नाटक में 16 और ओडिशा में 15 बच्चों की तुलना में पंजाब, मणिपुर और छत्तीसगढ़ में केवल एक-एक छात्र को केवी में प्रवेश दिया गया.
केंद्रीय विद्यालयों की मांग काफी ज्यादा रहती है क्योंकि वे केंद्र सरकार की तरफ से चलाए जाते हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिहाज से यहां पर पढ़ाई का शुल्क बहुत कम है. इसमें मासिक ट्यूशन फीस 200 रुपये से 400 रुपये तक है.
शिक्षामंत्री, सांसदों का कोटा खत्म
बेंगलुरू दक्षिण सीट से सांसद सूर्या ने उन सीटों की संख्या का ब्यौरा मांगा था, जो केवी में प्रवेश संबंधी सांसदों और शिक्षा मंत्री का कोटा खत्म करने के सरकार के फैसले के परिणामस्वरूप खाली हुई थीं.
अपने जवाब में प्रधान ने बताया, ‘सिस्टम में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने कुछ ऐसे प्रावधान वापस ले लिए हैं जो विवेकाधीन थे, जैसे शिक्षामंत्री, संसद सदस्य, अध्यक्ष आदि का कोटा. ये कोटा स्वीकृत छात्र संख्या से ऊपर होता था इसलिए कोई सीट मुक्त नहीं हुई है.’
उन्होंने कहा कि इस कोटे में कमी के साथ केवी बेहतर छात्र-शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने में सक्षम हो पाएंगे.
केवीएस ने 2021 में केवीएस में प्रवेश के लिए नामों की सिफारिश करने का केंद्रीय शिक्षामंत्री—जो केवीएस अध्यक्ष होते हैं—का कोटा खत्म कर दिया था. इसी तरह इस साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने एक और कोटा हटा दिया, जिसमें सांसदों को केवी में प्रवेश के लिए अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से 10 छात्रों के नामों की सिफारिश करने की अनुमति दी गई थी.
दिप्रिंट की तरफ से किया गया डेटा विश्लेषण बताता है कि 2017 और 2020 के बीच शिक्षा मंत्रियों और सांसदों के कोटे के आधार पर हर साल केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में 16,000 से 20,000 अतिरिक्त छात्रों को प्रवेश दिया गया था.
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