नयी दिल्ली: चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के पिछले 11 साल में सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाने के अनुमान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और इसमें फिर से तेज वृद्धि की राह पर लौटने की पूरी क्षमता है.
पिछली दो तिमाहियों के दौरान लगातार कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि के बाद सरकार काफी सक्रिय हो गई लगती है और यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे विभिन्न मुद्दों पर अलग अलग पक्षों के साथ पिछले कुछ दिनों में ही 12 बैठकें की हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया है और आगामी बजट में यथोचित नीतिगत दखल देने की तैयारी है.
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों, निजी इक्विटी एवं उद्यम पूंजी कोषों, कारोबारियों और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया और भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मिलकर प्रयास करने को कहा.
बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर दृढ़! आज अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों और विभिन्न क्षेत्रों के नीतिगत विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विषयों पर चर्चा हुई. ऐसा मेलजोल राष्ट्रीय प्रगति के लिये अच्छा है.’
इस उच्चस्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देवरॉय भी बैठक में मौजूद थे.
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बैठक में उपस्थित नहीं थी. वह भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बजट-पूर्व बैठकें कर रही थीं. वित्त मंत्री एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार मोदी ने बैठक में कहा, ‘हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा और एक राष्ट्र की तरह सोचने की शुरुआत करनी होगी.’
मोदी भारतीय अर्थव्यस्था को तेजी से पटरी पर लाने को लेकर नीतिगत उपायों को व्यक्तिगत स्तर पर देख रहे हैं और इस पर काफी समय खर्च कर रहे हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही जो कि दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई.
सरकार के अग्रिम अनुमान के मुताबिक अर्थव्यवस्था के 2019-20 में पांच प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करने का अनुमान है. यह पिछले वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत से काफी कम है. यह वैश्विक आर्थिक संकट के समय 2008-09 के बाद की सबसे धीमी वृद्धि दर होगी.
विशेषज्ञों के सुझावों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह नीति निर्माताओं और विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल बढ़ाने का प्रयास करेंगे. यह बैठक ढाई घंटे तक चली.
वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट से पहले आयोजित इस बैठक के दौरान विशेषज्ञों ने आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए कई सुझाव दिए.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का विचार अचानक से नहीं आया है. यह देश की ताकत की गहरी समझ पर आधारित है.’
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव झेलने की ताकत, अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारकों की मजबूती और उसके फिर से पटरी पर लौटने की क्षमता को दर्शाती है.
बयान के मुताबिक, मोदी ने कहा कि पर्यटन, शहरी विकास, बुनियादी ढांचा और कृषि आधारित उद्योग जैसे क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने और रोजगार सृजित करने की काफी क्षमता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत असीमित संभावनाओं की धरती है. उन्होंने जोर दिया कि सभी हितधारकों को हकीकत और विचार के बीच की खाई पाटने के लिए काम करना है.
उन्होंने कहा, ‘हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए और एक राष्ट्र की तरह सोचना शुरू करना चाहिए.’
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने सरकार से कर्ज वृद्धि, निर्यात वृद्धि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन, उपभोग और रोजगार बढ़ाने पर ध्यान देने का आग्रह किया. बैठक में करीब 40 विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया.
प्रधानमंत्री ने उन्हें भरोसा दिया कि वह उन सुझावों पर काम करेंगे, जिन्हें जल्द लागू किए जाने की जरूरत है. साथ ही दीर्घकालिक अवधि में लागू होने वाले सुझावों पर भी विचार किया जाएगा क्योंकि यह बुनियादी सुधारों के लिए जरूरी है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने ट्वीट में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ आज नीति आयोग में चर्चा की. इसमें आर्थिक वृद्धि, स्टार्टअप और नवाचार से जुड़े कई मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.’
सरकार 2020-21 के लिए बजट प्रस्ताव तैयार करने में जुटी है. ऐसे में यह बैठक अहम है. सरकार का ध्यान आर्थिक वृद्धि को फिर से रफ्तार देने पर है. अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत रह सकती है.
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के शीर्ष उद्योगपतियों के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की. समझा जाता है कि बैठक में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने तथा रोजगार सृजन बढ़ाने के उपायों पर विचार विमर्श किया गया.
नीति आयोग में हुई इस बैठक में एनआईपीएफपी की अर्थशास्त्री इला पटनायक, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य, आईजीआईडीआर के प्रोफेसर आर. नागराज, केकेआर इंडिया के सीईओ संजय नायर, एथर एनर्जी के सह-संस्थापक एवं सीईओ तरुण मेहता, मेकमायट्रिप के सीईओ दीप कालरा, डाबर इंडिया के प्रमुख मोहित मल्होत्रा, बंधन बैंक एमडी एवं सीईओ चंद्र शेखर घोष और क्रिसिल के एमडी एवं सीईओ आशु सुयश भी शामिल रहे.