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Friday, 22 November, 2024
होमदेशएमजे अकबर ने प्रिया रमानी के हर आरोप का खंडन किया

एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के हर आरोप का खंडन किया

पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व विदेश मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. फिर एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

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नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने साथी पत्रकार प्रिया रमानी को अपने होटल के कमरे में बुलाने की बात को इनकार किया. रमानी ने आरोप लगाया था कि 25 साल पहले एक नौकरी के लिए साक्षात्कार के बहाने अपने कमरे में बुलाकर यौन उत्पीड़न किया गया था.

पिछले साल अक्टूबर में रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करने वाले अकबर की सोमवार को राउज़ एवेन्यू ज़िला अदालत परिसर में मामले में सुनवाई की जा रही थी.

रमानी की बचाव रणनीति

रमानी के वकील रेबेका जॉन ने दिसंबर 1993 में रात को फिर से सजीव करने के लिए सब कुछ किया जब उत्पीड़न की कथित घटना हुई. हालांकि, अकबर ने वकील द्वारा बताए गए हर ब्योरे का खंडन किया.

अखबार के पूर्व संपादक ने कहा, ‘मुझे उस दिन रिसेप्शन से प्रिया रमानी से कोई फोन कॉल नहीं आया था, और यह कहना भी गलत है कि मैंने रमानी को फोन किया था और वह संकोच कर रही थी या मैंने जोर दिया.

अकबर ने इस बात से भी इनकार किया कि यह बातचीत उनके आग्रह पर पेशेवर से अधिक व्यक्तिगत थी और उन्होंने ‘उससे पूछा कि क्या वह शादीशुदा है’, जब रमानी ने पुष्टि की कि उसे संगीत पसंद है. उसने ‘हिंदी गाने गाए या उसने उसे शराब की ‘पेशकश की जिसे उसने मना कर दिया.’

उन्होंने कहा कि उन्हें ये याद नहीं है कि प्रिया रमानी ने दिल्ली में ज्वाइन करने के 10 दिन बाद ही एशियन एज बॉम्बे कार्यालय में स्थानांतरण के लिए कहा.

एमजे अकबर ने कहा, अगर ऐसा होता तो वह संपादक की अनुमति से बॉम्बे चली जाती. मामले को दोहराते हुए अपनी स्मृति खामियों को सही ठहराने के लिए एमजे अकबर ने कहा था कि यह घटना 25 -30 साल पहले हुई थी.

रमानी का बचाव अदालत में तीन तथ्यों को स्थापित करने पर आधारित था. सर्वप्रथम उसकी कहानी, जिसे उनकी वकील ने कई सुझावों के जरिए पेश करने की कोशिश की. हालांकि अकबर की वकील लगातार उनको टोकती रहीं.

जॉन ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया. दूसरा यह बताना था कि रमानी के 2017 में वोग के अपने लेख केे में केवल एक हिस्सा अकबर से संबंधित लिखा था. बाकी #MeToo आंदोलन के तहत अपने मालिकों के साथ अन्य महिलाओं के अनुभवों को दिखा रहा था. तीसरा ‘अकबर के व्यवहार का एक पैटर्न दिखाना था, जिन पर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था.

ऐसा सिद्ध करने के लिए पूर्व संपादक एमजे अकबर को उनकी पूर्व महिला सहयोगियों द्वारा किए गए ट्वीट्स दिखाये गए. इन्होंने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लिखा था. इनमें  गज़ाला वहाब, शुमा राहा, हरिंदर बावेजा, कादंबरी एम वेड और सुतापा पॉल शामिल थी.

एमजे अकबर ने स्वीकार किया कि उन्होंने पहले वहाब और बावेजा के ट्वीट देखे थे. लेकिन वेड या राहा के नहीं देखे थे. उन्होंने द वायर में गज़ला वहाब के उनके खिलाफ लिखी गई आपबीती को पढ़ना भी स्वीकार किया था.

विदेशी महिला के आरोपों पर

अकबर ने पुष्टि की कि माजली डी पुय कम्प एक अन्य महिला है. जिसने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. वह 2006 और 2007 के बीच द एशियन एज में इंटर्न थी. जब वह पेपर चलते थे उन्होंने कहा कि उन्होंने हफिंगटन पोस्ट द्वारा प्रकाशित यौन उत्पीड़न के कैम्प के लेख को नहीं पढ़ा है. लेकिन उसके पिता से एक ईमेल प्राप्त होने को भी स्वीकार किया है. उन्होंने यह भी कहा कि वह ‘ईमेल की कंटेंट की पुष्टि नहीं कर सकते है’.

उन्होंने यह कहा है कि मैं सच में कह सकता हूं कि महिला के उत्पीड़न का कोई सवाल ही नहीं था. मुझे याद है कि कुछ गलतफहमी का जिक्र था, जिसे सुलझा लिया गया था.

इस मामले को 6 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, अदालत ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई करेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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