शिलांग, 14 अगस्त (भाषा) मेघालय उच्च न्यायालय ने बार-बार न्यायिक निर्देश दिए जाने के बावजूद शिलांग हवाईअड्डे के विस्तार में देरी पर केंद्र और राज्य सरकार की खिंचाई की।
मुख्य न्यायाधीश इंद्र प्रसन्न मुखर्जी और न्यायमूर्ति वानलुरा डिएंगदोह की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही बड़े विमानों के संचालन के लिए रनवे के विस्तार की अहमियत से भलीभांति अवगत हैं, लेकिन उनका रवैया परियोजना की जरूरत के मुताबिक तात्कालिकता के बजाय ‘‘बिल्कुल सामान्य सरकारी रफ्तार’’ को दर्शाता है।
अदालत ने कहा कि 11.75 एकड़ निजी भूमि अधिग्रहण के लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) को 72.17 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई बिक्री या हस्तांतरण समझौता नहीं हुआ है। इसके बजाय अधिकारी अब भी प्रारंभिक सीमांकन कार्य में लगे हुए हैं।
उप सॉलिसिटर जनरल नितेश मोजिका ने अदालत को बताया कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) निर्माण अनुबंध को तभी अंतिम रूप दे सकता है जब तीन पूर्व-आवश्यक मंजूरियां मिल जाएं, जिसमें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की मंजूरी, पर्यावरण स्वीकृति और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होना शामिल है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण स्वीकृति 31 अक्टूबर तक मिलने की संभावना है, लेकिन डीजीसीए की मंजूरी अभी लंबित है।
अदालत ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में हम केवल यही निर्देश दे सकते हैं कि अब तक जो काम सामान्य सरकारी रफ्तार से हुए हैं, उन्हें तेज किया जाए। अब समय आ गया है कि राज्य के कल्याण के लिए इस परियोजना को यथाशीघ्र पूरा किया जाए।’’
उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य को निर्देश दिया कि वे आठ दिसंबर को अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करें।
वर्तमान में उमराई स्थित शिलांग हवाईअड्डा रनवे की सीमाओं के कारण केवल छोटे विमानों का संचालन करता है, जिससे अधिकांश यात्रियों को लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित गुवाहाटी हवाईअड्डे पर निर्भर रहना पड़ता है।
भाषा गोला वैभव
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