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Thursday, 25 April, 2024
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मणिपुर हाईकोर्ट ने एनएसए के तहत गिरफ्तार पत्रकार की रिहाई का आदेश दिया

पत्रकार पर बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के साथ पीएम मोदी और आरएसएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक वीडियो अपलोड करने का आरोप है.

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नई दिल्लीः मणिपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को गिरफ्तार किये गये पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम की रिहाई का आदेश दिया है, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत पिछले साल नवम्बर में गिरफ्तार किया गया था. पत्रकार पर बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के साथ पीएम मोदी और आरएसएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक वीडियो अपलोड करने का आरोप था. मामले में पत्रकार की पत्नी रंजीता एलांगबम ने याचिका दायर कर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी. कोर्ट ने 4 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

इंफाल स्थित आईएसटीवी न्यूज चैनल में काम करने वाले पत्रकार किशोरचंद्र को राज्य पुलिस ने नवंबर 2018 में हिरासत में लिया था. उन्हें एनएसए के तहत अधिकतम 12 महीने की जेल की सजा की मांग की गई थी. यह फैसला स्थानीय कोर्ट ने सुनाया था. पत्रकार ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

वाांगखेम की दो छोटी बच्चियां हैं उन्हें सोशल मीडिया पर अपमानजनक वीडियो अपलोड करने पर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वीडियो में पत्रकार पर सीएम को ‘पपेट ऑफ हिंदुत्व’ कहने का आरोप है. पत्रकार ने यह बातें तब कही थी जब मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस पर एक समारोह में उन्हें याद किया था.

गिरफ्तारी के तुरंत बाद किशोरचंद्र ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की सुरक्षा के खिलाफ उन्होंने कोई खतरनाक काम नहीं किया है. उन्होंने पत्र में लिखा था कि, ‘मुझे सरकार की आलोचना करने के कारण एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है. इस तरह की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है. लोकतंत्र में लोगों को सरकार की आलोचना करने का हक है.

गौरतलब है पत्रकार गिरफ्तारी के दौरान सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि वह किसी भी मामले में आलोचना सह सकते हैं, लिकेन अपने किसी नेता को नीचा दिखाना बर्दाश्त नहीं करेंगे. वह देश की हीरो रानी लक्ष्मीबाई और पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी कर रहे थे, जो कि अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है.

सीएम ने उस समय कहा था कि क्या सही है क्या गलत यह कोर्ट में तय होगा. यह लोकतांत्रिक देश है सबको आलोचना का हक है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हमारी कुछ सीमाएं हैं.

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