scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशममता की 'सुपर कैबिनेट'- मुख्यमंत्री के भरोसेमंद चार रिटायर्ड अधिकारी किस तरह चला रहे हैं राज्य

ममता की ‘सुपर कैबिनेट’- मुख्यमंत्री के भरोसेमंद चार रिटायर्ड अधिकारी किस तरह चला रहे हैं राज्य

बुज़ुर्ग सिविल सर्वेंट्स का कहना है कि ये व्यवस्था, सेवारत अधिकारियों को हतोत्साहित करती है और विपक्ष इसे शासन का राजनीतिकरण कहता है लेकिन टीएमसी सरकार का कहना है कि वो कुछ गलत नहीं कर रही.

Text Size:

कोलकाता: सितंबर के अंत में, जब पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, तो वो एक चुनिंदा ताकतवर क्लब में शामिल हो गए- रिटायर्ड अधिकारियों का ग्रुप जो राज्य को चला रहा है.

सिन्हा को, जो उसी समय आईएएस से रिटायर हुए थे, तीन साल का कार्यकाल दिया गया है. राज्य की अर्थव्यवस्था में उनकी एक प्रमुख भूमिका है, चूंकि डब्ल्यूबीआईडीसी इंडस्ट्री के लिए सरकार की नोडल एजेंसी है और सिन्हा के पूर्ववर्ती राज्य के वित्त, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अमित मित्रा थे.

सिन्हा उन चार रिटायर्ड सिविल सर्वेंट्स में हैं, जिनपर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भरोसा करती हैं- अन्य तीन हैं 70 वर्षीय पूर्व सीएसएस (सेंट्रल सेक्रिटेरिएट सर्विस) अधिकारी गौतम सान्याल, आईपीएस अधिकारी सुरजीत कर पुरकायस्थ (63) और रीना मित्रा (61).

चारों में सान्याल मुख्यमंत्री के सबसे करीबी सहायक हैं. 70 वर्षीय सान्याल 2011 में सीएसएस से रिटायर हो गए थे. उस समय वो मुख्यमंत्री के सचिव के तौर पर काम कर रहे थे, जिन्होंने नया-नया कार्यभार संभाला था.

जून 2015 में, ममता ने सान्याल का पद बदलकर, उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव बना दिया, जो मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में सबसे वरिष्ठ पद था. ये पद जिसपर वो पिछले पांच साल से बने हुए हैं, दरअस्ल एक काडर पोस्ट है और आईएएस अधिकारियों के लिए आरक्षित है. सान्याल देश के अकेले अधिकारी हैं, जो आईएएस न होते हुए भी इस पद पर बने हुए हैं.

पूर्व डीजीपी पुरकायस्थ के लिए, जो 2018 में रिटायर हो गए थे, सीएम ने उसी साल मई में राज्य सुरक्षा सलाहकार (एसएसए) का एक नया पद तैयार किया. एसएसए को सुरक्षा और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के ऊपर व्यापक शक्तियां दी गईं हैं. पुरकायस्थ देश में एकमात्र एसएसए हैं और वो सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं.

बनर्जी ने एक और अपवाद पूर्व आईपीएस अधिकारी रीना मित्रा के लिए किया, जो 2019 में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) भारत सरकार से रिटायर हुईं थीं. फरवरी 2019 में मित्रा को आंतरिक सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री का प्रमुख सलाहकार नियुक्त कर दिया गया.

पिछले साल जारी आदेश में, उनकी भूमिका परिभाषित नहीं की गई थी लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि मित्रा, राज्य की कई सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी करती हैं.

मुख्यमंत्री के साथ काम कर चुके सिविल सर्वेंट्स का कहना है कि ये व्यवस्था सेवारत आधिकारियों को ‘हतोत्साहित’ करती है लेकिन उनके कैबिनेट सहयोगियों का दावा है कि ममता ‘विशेषज्ञ’ अधिकारियों पर भरोसा करती हैं और उन्हें रोक कर रखती हैं.

इस तरह की नियुक्तियों को समझाते हुए, एक शीर्ष आईएएस अधिकारी ने कहा कि ये सब ‘विशिष्ट पद’ हैं जो ‘विशेषज्ञ अधिकारियों’ के लिए सृजित किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘ये सरकार का विवेक है कि वो क्या नए पद बनाना चाहती है’. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन ये कुछ अभूतपूर्व मिसालें हैं, जो सिर्फ बंगाल में हुईं. लेकिन ममता बनर्जी के राज में, एक्सपर्ट्स रिटायर नहीं होते’.

ममता बनर्जी के सबसे पुराने कैबिनेट सहयोगियों में से एक और राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, सुब्रत मुखर्जी ज़ोर देकर कहते हैं कि सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है.

‘नए पद बनाना सरकार पर निर्भर करता है. ये कानून में परिभाषित नहीं है और नियमावली में भी इसपर कोई प्रतिबंध नहीं है’. उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ ऐसे कुशल नौकरशाह हैं, जो भले ही रिटायर हो गए हों लेकिन उनकी बौद्धिक प्रतिभा मज़बूत रहती है. वो शारीरिक रूप से फिट होते हैं, ममता बनर्जी उनकी विशेषज्ञता पर भरोसा करती हैं. ये उनका फैसला है कि वो किसे रखना चाहती हैं. उस अधिकारी विशेष का काम वही तय करती हैं. ये मुख्यमंत्री का निर्णय होता है’.


यह भी पढ़ें: भारत में एक ओर तो इनोवेशन की अपेक्षा है लेकिन तत्काल टिकटों की तेज़ बुकिंग का एप बनाने वाले को गिरफ्तार कर लिया जाता है


सेवारत अधिकारी हतोत्साहित होते हैं

मुख्यमंत्री के साथ काम कर चुके एक रिटायर्ड सिविल सर्वेंट का कहना है कि इस व्यवस्था से सेवारत अधिकारी ‘हतोत्साहित’ होते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘इस सरकार ने संस्थाओं को पूरी तरह तबाह कर दिया है, जिसके नतीजे में नौकरशाही पूरी तरह हतोत्साहित हो गई है’. उन्होंने आगे कहा, ‘तय मानकों, प्रथाओं और नियमों को ताक पर रखते हुए, कुछ चहेते अफसरों को ख़ास जगहों पर बिठा दिया गया है. योग्यता का कोई मानदंड नहीं है और जो लोग जी हुज़ूरी करते हैं, उन्हें ख़ास ज़िम्मेदारियां दे दी गईं हैं’.

उन्होंने ये भी कहा, ‘इससे न सिर्फ सच्चे और ईमानदार अधिकारियों का उत्साह ठंडा पड़ा है, बल्कि सरकार की कारगुज़ारी पर भी काफी असर पड़ रहा है, क्योंकि नीचे के अधिकारी इस मनमाने और अनौपचारिक तरीके को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिसमें सच्चे और ईमानदार अधिकारियों को दरकिनार करके, कुछ चहेते अधिकारियों को पुरस्कृत किया जा रहा है’.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार इन अधिकारियों को एक तय वेतन, बंगला और ऑफिस के साथ नियुक्त करती है, जो उनके रिटायरमेंट के बाद के फायदों, और पेंशन के अतिरिक्त होता है.

उनके रोल पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी सवाल उठाए हैं जिन्होंने 29 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद कहा कि बंगाल को कुछ ‘सुपर-बॉसेज़’ चला रहे हैं.

उन्होंने कोलकाता में एक प्रेस वार्ता में पूछा, ‘एसएसए और आंतरिक सुरक्षा सलाहकार क्या कर रहे हैं, जब बंगाल में बम बनाने की अवैध फैक्ट्रियां फल फूल रही हैं?’ उन्होंने आगे कहा, ‘वो पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और वैधानिक रूप से गठित पुलिस तंत्र के ऊपर, सुपर-बॉस की भूमिका कैसे निभाते हैं? अगर हमारे पास एक एसएसए और आंतरिक सुरक्षा एक्सपर्ट्स हैं, तो अल-कायदा सदस्य बंगाल में अपने मॉड्यूल कैसे चलाते हैं? ये और कुछ नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन का खुला राजनीतिकरण है’.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, इन चार अधिकारियों को ‘बनर्जी की कठपुतलियां’ कहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया, ‘ये अधिकारी कोई नियम कायदे नहीं मानते. ये वही करते हैं जो इनके राजनीतिक आका इनसे कहते हैं. नबाना अब एक वृद्धाश्रम बन गया है’.

वरिष्ठ सीपीएम लीडर सुजान चक्रबर्ती ने भी यही विचार व्यक्त किए.

उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ सालों में बंगाल की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है’. उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा तब होता है जब पूरी सरकारी मशीनरी हर मायने में राजनीतिक हो जाती है. ये ताकत का खुला दुरुपयोग है. ये अनैतिक और असमर्थनीय है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘फडणवीस कैंप’ बनाम भाजपा के बुजुर्ग नेता- कोई खुली बगावत नहीं, लेकिन नाराजगी के सुर तेज


 

share & View comments