मुंबई, दो अगस्त (भाषा) साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात लोगों को बरी करने वाली एक विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि दक्षिणपंथी चरमपंथी समूह अभिनव भारत ने विस्फोट को अंजाम दिया था। अदालत ने कहा कि सरकार ने इस संगठन को आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित नहीं किया है।
विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने 1,000 से अधिक पृष्ठ के फैसले में कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने जांच निष्कर्षों में दावा किया था कि सभी आरोपी व्यक्ति अभिनव भारत के सदस्य थे, जो एक संगठित आपराधिक गिरोह था।
न्यायाधीश ने कहा कि इस संगठन को केंद्र सरकार द्वारा आज तक आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया गया है, और “यहां तक कि अभिनव भारत ट्रस्ट, संस्था, संगठन, फाउंडेशन भी प्रतिबंधित नहीं है।”
अदालत ने कहा कि अभियोजन एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के चरण से लेकर अंतिम सुनवाई तक, अभिनव भारत शब्द का इस्तेमाल लगातार एक सामान्य संदर्भ या आम बोलचाल में किया गया था।
फैसले में कहा गया है, ‘यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अभिनव भारत एक प्रतिबंधित संगठन नहीं है। आज तक, यह गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत इसपर प्रतिबंध नहीं लगा है।’
फैसले में कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार को लगता है कि कोई संघ गैरकानूनी है, तो अधिसूचना के माध्यम से उसे प्रतिबंधित घोषित कर सकती है।
अदालत ने कहा, ‘लेकिन आज तक ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं रखा गया, जिससे पता चले कि अभिनव भारत ट्रस्ट या अभिनव भारत संगठन को केंद्र सरकार ने किसी अधिसूचना के माध्यम से प्रतिबंधित या गैरकानूनी घोषित किया है।”
फैसले में कहा गया है कि जब 2007 में अभिनव भारत ट्रस्ट का गठन किया गया था, तो यह पुणे चैरिटी कार्यालय में पंजीकृत था, और ट्रस्ट डीड के अवलोकन से पता चला कि इसके उद्देश्यों में कुछ भी गलत या अवैध नहीं था।
ट्रस्ट डीड के अनुसार, अभिनव भारत ट्रस्ट का उद्देश्य देशभक्ति और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना था।
अदालत ने कहा, ‘इसमें (ट्रस्ट डीड में) उल्लिखित उद्देश्य कानूनी हैं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी अभिनव भारत ट्रस्ट के सदस्य थे।’
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि पुरोहित ने 2007 में अलग संविधान वाले हिंदू राष्ट्र की स्थापना का प्रचार करते हुए अभिनव भारत नामक संस्था की स्थापना, क्योंकि इस संस्था के सदस्य भारतीय संविधान से असंतुष्ट थे।
भाषा जोहेब माधव
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