(ज्ञानेश चव्हाण)
मुंबई, 18 मई (भाषा) दक्षिण एशिया के सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक ‘ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज’ (जीएमसी) उर्फ सर जेजे अस्पताल ने 15 मई को अपनी स्थापना के 180 साल पूरे किये। यह मेडिकल कॉलेज भारत में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में लगभग दो शताब्दियों के अग्रणी योगदान का प्रतीक है।
बंबई प्रेसीडेंसी के तत्कालीन गवर्नर सर रॉबर्ट ग्रांट द्वारा परिकल्पित इस प्रतिष्ठित संस्थान की परिकल्पना मूल भारतीयों को आधुनिक चिकित्सा में प्रशिक्षित करने के लिए की गई थी।
उल्लेखनीय रूप से, इसके निर्माण के लिए चंदे के रूप में 44,000 रुपये जुटाए गए थे।
मार्च 1838 में ब्रिटिश सरकार ने ग्रांट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, लेकिन दुर्भाग्य से इस मंजूरी की खबर पुणे के दापोडी में ग्रांट के निधन के नौ दिन बाद भारत पहुंची थी।
मुंबई में निगम के एक नेता जगन्नाथ शंकरशेठ के नेतृत्व में एक स्मारक बैठक में ग्रांट के दृष्टिकोण को याद किया गया।
यहीं पर उन्होंने आगामी मेडिकल कॉलेज का नाम सर ग्रांट के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा।
परोपकारी जमशेदजी जीजीभाय ने कॉलेज के साथ एक अस्पताल बनाने के लिए एक लाख रुपये का योगदान दिया।
मध्य भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में जाना जाने वाला ‘ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं सर जेजे अस्पताल’ हजारों चिकित्सकों का विद्यालय है।
अस्पताल की आधारशिला तीन जनवरी, 1843 को रखी गई थी और ‘स्कूल ऑफ प्रैक्टिस’ की शुरुआत 15 मई, 1845 को हुई थी।
कॉलेज भवन की नींव 30 मार्च, 1843 को रखी गई थी और इसका निर्माण उसी वर्ष अक्टूबर तक पूरा हो गया था, जिससे स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत हुई।
सर जेजे अस्पताल 44 एकड़ में फैला है और इसमें 2,800 बिस्तर हैं।
इस अस्पताल में सालाना 12 लाख से अधिक बाह्य रोगी आते हैं, जबकि 80 हजार रोगियों को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।
भाषा जितेंद्र संतोष
संतोष
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