चेन्नई, 18 मई (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्देशक सुसी गणेशन द्वारा कवयित्री एवं फिल्म निर्माता लीना मनीमेकलाई, विभिन्न फिल्मी हस्तियों और अन्य सोशल मीडिया मंचों के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में ट्विटर को आरोप-मुक्त करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर की अर्जी खारिज कर दी।
मूल रूप से सुसी गणेशन ने सैदापेट की नौवीं मट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष मानहानि की याचिका दायर कर उनके खिलाफ 2019 में ‘मी टू’ के आरोपों के लिए मनीमेकलाई और पार्श्वगायिका चिन्मई को सजा देने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि आरोप निराधार थे और ये आरोप फिल्म जगत में उनके नाम एवं प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए लगाये गये थे।
मामले में ऑनलाइन न्यूज मीडिया कंपनी ‘न्यूजमिनट’, फेसबुक, गूगल, ट्विटर और इस तरह के विभिन्न संस्थानों को आरोपी बनाया गया था। इन सभी ने कथित तौर पर अपमानजनक बयान प्रकाशित किये थे।
गणेशन ने उच्चतम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था, जिसने गत वर्ष दिसम्बर में सैदापेट की निचली अदालत को सुनवाई चार माह के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था।
इस बीच, उन्होंने उच्च न्यायालय में भी एक अर्जी दायर की थी और प्रतिवादियों को उनके खिलाफ कोई अन्य आरोप लगाये जाने से रोकने की मांग की थी। उन्होंने सभी प्रतिवादियों से संयुक्त रूप से एक करोड़ 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
जब यह मामला आज उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आया, ट्विटर के वकील ने न्यायमूर्ति वेलमुरुगन से कहा कि उनका मुवक्किल केवल एक सोशल मीडिया संस्थान है, जिसका काम जानकारी को प्रसारित करना है और इसे इसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। लेकिन अदालत ने यह दलील खारिज कर दी।
प्रतिवादियों को लिखित रूप से अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 13 अप्रैल तक स्थगित कर दी।
भाषा सुरेश सुभाष
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