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Thursday, 27 February, 2025
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मप्र : कड़ी सुरक्षा के बीच यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट को जलाने के परीक्षण की तैयारी

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धार/इंदौर, 27 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के धार जिले में यूनियन कार्बाइड संयंत्र के 337 टन अपशिष्ट में से 10 टन को परीक्षण के आधार पर जलाने की तैयारी शुरू हो गई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को धार जिले के पीथमपुर में स्थानांतरित करने और उसका निपटान करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से आज इनकार कर दिया।

इसके साथ ही न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने ‘यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड’ के संयंत्र से निकले अपशिष्ट के निपटान के आज होने वाले परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने अपशिष्ट निपटान का विरोध करने वाले नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है, जो मामले की सुनवाई कर रहा है।

एक अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद, प्रशासन ने औद्योगिक शहर पीथमपुर में सुरक्षा बढ़ा दी है।

उन्होंने बताया कि इलाके में 24 थानों के करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं।

कचरे के निपटान का विरोध करने वालों ने कहा कि वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उनकी बात सुनी और उन्हें उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने को कहा।

प्रदर्शनकारियों में से एक संदीप रघुवंशी ने कहा, ‘हमारे वकीलों ने कहा है कि वे उच्च न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। आंदोलन जारी रहेगा। हम अपने वकीलों के जरिए पीथमपुर के लोगों से बात करेंगे और उनके बताए तरीके से आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे।’

इस मामले में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने कहा, ‘पीथमपुर की कचरा निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के कचरे को जलाने के पहले परीक्षण की तैयारी शुरू हो गई है।’

उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, इस परीक्षण के पहले चरण में 10 टन कचरा जलाया जाएगा।

दो और तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस गैस के दुष्प्रभाव से करीब 5,479 लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

अधिकारियों ने दो जनवरी को मध्यप्रदेश की राजधानी में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने से 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे लगभग 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक भस्मीकरण संयंत्र में पहुँचाया। छह जनवरी को उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कचरे के निपटान के लिए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया था।

जब से यह कचरा पीथमपुर लाया गया है, तब से इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने आशंका जताई है कि अगर कचरे को यहीं जलाया गया तो मानव आबादी और पर्यावरण को नुकसान पहुँच सकता है।

राज्य सरकार का कहना है कि कार्बाइड कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए पीथमपुर इकाई में पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। राज्य सरकार ने कचरे के निपटान की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पीथमपुर और उसके आसपास के इलाकों में ‘जन संवाद’ कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।

राज्य सरकार के अनुसार, इस कचरे में अब बंद हो चुकी भोपाल फैक्ट्री की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ़थल अवशेष और ‘अर्ध-प्रसंस्कृत’ अवशेष शामिल हैं।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, इस कचरे में सेविन और नेफ़थल का प्रभाव अब ‘लगभग नगण्य’ हो गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस या रेडियोधर्मी कणों का अस्तित्व नहीं है।

भाषा सं हर्ष दिमो नरेश मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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