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Saturday, 4 May, 2024
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मध्य प्रदेश में बाबुओं, मंत्रियों का नाम आने के बाद अब पत्रकारों पर भी है नज़र

नौकरशाहों और राजनेताओं के बाद पत्रकारों की कथित संलिप्तता से मामला बहुत आगे बढ़ गया है और लोगों में इसमें शामिल लोगों की वास्तविक पहचान जानने के बारे में उत्सुकता बढ़ गई है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश में हाई प्रोफाइल मामले में और जबरन वसूली मामले में भोपाल के कई पत्रकारों के नाम उभरकर सामने आए हैं. मामले में कथित भूमिका वाले पत्रकारों में हिंदी समाचार पत्र का एक रेजिडेंट एडिटर, न्यूज चैनल का एक कैमरामैन और क्षेत्रीय सैटेलाइट टीवी चैनल का मालिक शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि पत्रकार स्पष्ट रूप से मुख्य मध्यस्थों के तौर पर नौैकरशाहों और उसकी सरगना महिला के बीच सौदा करा रहे थे.

मामले में पत्रकारों की संलिप्तता पर प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा कि मामले में जो भी शामिल है, विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा सबूत इकट्ठे करते ही उस पर मामला दर्ज किया जाएगा.

मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले मिश्रा ने ही सबसे पहले इस मामले को हाईलाइट किया था.

उन्होंने कहा, ‘जहां तक मैं जानता हूं, नौकरशाहों के करीबी कुछ पत्रकारों ने उनकी तरफ से सौदा किया. वे इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के साथ सीधे तौर पर संलिप्त नहीं थे.’

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि उनके पास ब्लैकमेलिंग मामले में संलिप्त तीन-चार पत्रकारों की पक्की सूचना है. एसआईटी ने भी अभी तक विजयवर्गीय के आरोपों का खंडन नहीं किया है.

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नौकरशाहों और राजनेताओं के बाद पत्रकारों की कथित संलिप्तता से मामला बहुत आगे बढ़ गया है और लोगों में इसमें शामिल लोगों की वास्तविक पहचान जानने के बारे में उत्सुकता बढ़ गई है. मामले में कुछ पत्रकारों की संलिप्तता पर इंदौर से प्रकाशित एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र के प्रधान संपादक हेमंत शर्मा ने कहा कि भोपाल में कई सालों से कुछ पत्रकार ऐसे मामलों में संलिप्त पाए गए हैं.

हेमंत शर्मा ने कहा, ‘वास्तव में यह उन पत्रकारों का एक कथित समूह है जो भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाहों या राजनेताओं से धन वसूलने के ही उद्देश्य से सत्ता के गलियारों में दखल देते हैं. हालांकि फिलहाल तो एसआईटी ने किसी पत्रकार का नाम नहीं लिया है. मैं सिर्फ यह कह सकता हूं कि श्वेता और आरती ने नौकरशाहों या मंत्रियों से सौदा करने के लिए कुछ पत्रकारों का उपयोग किया.’

एसआईटी के सूत्रों ने आईएएनएस से कहा कि अभी तक की जांच का फोकस सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात नौकरशाहों और अन्य (राजनेताओं) की भूमिका का पता लगाने पर है.

मामले की सरगना और उसका पति स्वप्निल जैन और उसकी सहयोगी को गिरफ्तार किया जा चुका है. पूछताछ के दौरान यह बात प्रकाश में आई कि दो महिलाओं द्वारा शिकार प्रभावशाली लोगों ने उनके एनजीओ को फंड दिया है.

इसके अलावा जैन दंपत्ति को सेक्सुअल फेवर के बदले आकर्षक सरकारी ठेकों का भी प्रस्ताव दिया गया.

मध्य प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘अगर ऐसे ठेकों के दस्तावेज मिल गए, तो हम सरकारी कर्मियों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे.’

उन्होंने कहा कि भोपाल में सेक्स-स्कैंडल 7-8 साल से चल रहा था.

इस बीच एसआईटी प्रमुख संजीव शामी ने मीडिया कर्मियों को बताया कि अगर सबूतों में पाया गया कि नौकरशाहों ने सेक्स स्कैंडल के सरगनाओं की बात मानने के लिए अपने पद का दुरोपयोग किया है कि उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) रैंक के मध्य प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी शामी ने कथित रूप से विभिन्न टीमें गठित कर उन्हें अलग-अलग काम सौंप दिए हैं. सबसे महत्वपूर्ण कामों में नौकरशाहों और नेताओं द्वारा सेक्स-स्कैंडल के सरगना को आवंटित ठेकों का पता लगाना है.

उन्होंने कहा कि सरकारी पदों के दुरुपयोग की पुष्टि होने के बाद अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे.

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