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Thursday, 25 April, 2024
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‘लश्कर-ए-तैय्यबा पाकिस्तानी सेना की एक स्पेशल ऑपरेशन रेजिमेंट जैसी है’

दक्षिण एशिया कॉन्क्लेव में पैनल चर्चा के दौरान, क्रिस्टीन फेयर ने कहा पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों के संबंध में 'प्रशंसनीय खंडन' में महारत हासिल की है.

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नई दिल्ली: अमेरिका के राजनैतिक वैज्ञानिक क्रिस्टिन फेयर ने कहा है, ‘पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों के लिए किसी अन्य आतंकी संगठन की अपेक्षा लश्कर-ए-तैय्यबा (एलईटी) सबसे निष्ठावान है.’

उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि यह पाकिस्तान के आईएसआई और सेना के लिए दो कारणों से अधिक फायदेमंद है. क्रिस्टिन ने दक्षिण एशिया कॉन्क्लेव 2019 के पैनल डिस्कशन में कहा, ‘लश्कर केवल इसीलिए नहीं काम का है कि वो बहुत मारक और अनुशासित संगठन है. जैश-ए-मोहम्मद के साथ आपको पता नहीं लगेगा कि उसके सदस्य अच्छे आतंकवादी है या बुरे आतंकवादी. लश्कर के साथ ये समस्या नहीं है.’

दूसरी बात है कि पाकिस्तान में एलईटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह कहती हैं, ‘सभी देवबंद संगठनों के लिए यह एक जोरदार प्रतिद्वंदी है. जबकि देखा जाए तो पाकिस्तान ने लंबे समय तक देवबंदी को संरक्षण दिया है. लेकिन यह देवबंदियों का समर्थन है जो पाकिस्तान को मार रहा है.

‘बहुत से लोग इसे नहीं जानते हैं लेकिन आईएसआई देवबंदी समूहों के साथ एक घातक युद्ध में है. और एलईटी उस युद्ध में उसका सहयोगी है.’ अन्य देवबंदी समूहों में जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और लश्कर-ए-झांगवी शामिल हैं.

यह पैनल क्रिस्टिन फेयर की हालिया किताब, ‘इन द ओन वर्ड्स: अंडरस्टैंडिंग लश्कर-ए-तैयबा‘ पर आधारित था. जिसमें दिप्रिंट के एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता, द साउथ एशिया ब्यूरो ऑफ द इकोनॉमिस्ट के प्रमुख मैक्स रोडेनबेक, और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज में एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद शामिल थे. इसका संचालन पत्रकार बरखा दत्ता ने किया था.

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लश्कर के बारे में

अगर ठीक से देखा जाए तो, एलईटी अन्य सभी देवंबद समूहों से अलग है. उनका मानना है कि वो (एलईटी) पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद रखने में विश्वास नहीं रखता है. इसलिए वो तकफीरी के उस विचार को नकारता है, जिसमें एक मुस्लिम दूसरे को काफिर घोषित कर देता है.
फेयर ने बताया कि लश्कर ने अक्सर आईएसआईएस से कहा है कि हमारा इस्लामिक न्यायशास्त्र का मानक आपसे बहुत अधिक है और हमें आपकी बात सुनने की जरूरत नहीं है.

एक अन्य आकर्षक अंतर्दृष्टि में, फेयर ने टिप्पणी की कि लश्कर के 10 सदस्यों में से केवल एक ही लड़ाकू अभियानों में शामिल होता है. बाकी का उपयोग घरेलू प्रचार उद्देश्यों के लिए किया जाता है.


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पाकिस्तानी गैर-राज्य अभिनेताओं का उपयोग

पैनल ने भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ आतंकवादी संगठनों के प्रसार और उपयोग में पाकिस्तानी “गहरे राज्य” की भूमिका पर चर्चा की।

शेखर गुप्ता ने कहा, ‘मैं 2001 से यह कह रहा हूं कि लश्कर पाकिस्तानी सेना का रेजिमेंट है, जो बहुत सस्ती कीमत पर चलता है. और भारतीय सेना कभी भी ऐसा कुछ नहीं बना सकती है.’

गुप्ता ने यह भी कहा कि पाकिस्तानियों की बहुत अच्छी सामरिक सोच और बहुत खराब रणनीतिक सोच है. उन्होंने कहा कि विद्वान स्टीफन पी कोहेन ने एक बार उनसे कहा था, पाकिस्तानी सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेना है जिसने कभी युद्ध नहीं जीता है.

पाकिस्तान ने इस तरह के आतंकी संगठनों से खुद को दूर करने के लिए, मैक्स रोडेनबेक ने एक साक्षात्कार को दोहराया जो उन्होंने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल क़मर बाजवा के साथ किया था.

रोडेनबेक ने कहा, ‘जनरल बाजवा ने मेरे से कहा, हम इन गुंडों (उग्रवादियों) को हमारी विदेश नीति तय नहीं करने देंगे,’  इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, फेयर ने कहा कि जब तक पंजाब (पाकिस्तान) पुलिस ने इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तब तक बाजवा पर विश्वास करना संभव नहीं था और राज्य ने उन्हें सुरक्षा प्रदान करना बंद कर दिया.

पाक ने ‘प्रशंसनीय खंडन’ करने की कला में महारत हासिल की है

फेयर ने कहा कि पाकिस्तान को ‘प्रशंसनीय खंडन’ की कला में महारत हासिल है.

जब पूछा गया कि हाल ही में पुलवामा-बालाकोट प्रकरण ने भारत और पाकिस्तान के बीच की गतिशीलता को कैसे बदल दिया है, तो शेखर गुप्ता ने कहा, ’26 फरवरी को भारत-पाकिस्तान संबंधों के इतिहास को ताज़ा किया गया था. भारत पर हर बड़े हमले का अब जल्द ही माकूल जवाब दिया जाएगा.’

(यह खबर अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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