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Thursday, 21 November, 2024
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याकूब की कब्र पर LED लाइट्स, टाइगर मेमन का ‘दबदबा’ – मुंबई के बड़े कब्रिस्तान ‘कांड’ की ये है कहानी

जहां एक पूर्व ट्रस्टी का आरोप है कि याकूब के चचेरे भाई ने कब्रगाहों पर अतिक्रमण कर रखा है, वहीं दूसरे का कहना है कि टाइगर मेमन ने बड़ा कब्रिस्तान को ढेर सारा दान दिया है.

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मुंबई: मुंबई के ‘बड़ा कब्रिस्तान’ – जो हाल ही में 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की कब्र के सौंदर्यीकरण के लिए चर्चा में आया था – के दो पूर्व ट्रस्टियों (न्यासी) ने आरोप लगाया है कि याकूब का भाई, और भगोड़ा गैंगस्टर टाइगर मेमन कब्रिस्तान, पर अपना ‘प्रभाव’ डाल रहा है और संपन्न परिवारों को कब्रगाह भारी कीमत पर बेचे जा रहें हैं .

अपने परिवार के सदस्यों के दफन हेतु जगह सुरक्षित करवाने वालों में भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के परिजन भी शामिल हैं. एक खबर के अनुसार, दाऊद के परिवार ने साल 1982 में ‘बड़ा कब्रिस्तान’ में दफनाए जाने के लिए स्लॉट (जगह) बुक करवाए थे.

बड़ा कब्रिस्तान पिछले महीने तब सुर्खियों में छा गया था जब एक वायरल वीडियो में याकूब की कब्र पर संगमरमर की टाइलें और एलईडी लाइटें लगी दिखाई गई थीं. कब्रिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि याकूब के चचेरे भाई रऊफ मेमन के कहने पर मार्च में ये लाइटें लगाई गई थीं और संगमरमर की टाइलें करीब तीन साल पहले लगाई गई थीं. याकूब को 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में उसकी भूमिका के लिए साल 2015 में फांसी दे दी गई थी.

याकूब की कब्र के सौंदर्यीकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एक-दूसरे पर जमकर हमला बोला था. जहां भाजपा ने दावा किया था कि इस तब अंजाम दिया गया था जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी, वहीं शिवसेना का कहना है कि यह केंद्र सरकार थी जिसने याकूब की लाश उसके परिवार को सौंप दी थी.

जनवरी 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में, ‘बड़ा कब्रिस्तान’ का संचालन करने वाले जुमा मस्जिद ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी हनीफ नलखंडे ने ट्रस्ट के रोजाना के मामलों में टाइगर मेमन के परिवार द्वारा दखल दिए जाने का आरोप लगाया था.

नलखंडे ने कहा कि हाई कोर्ट ने जुलाई में उनकी शिकायत का संज्ञान लिया था और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को उनके दावों की जांच करने और छह महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.

इस बीच, जुमा मस्जिद ट्रस्ट के एक और ट्रस्टी शोएब खतीब ने दिप्रिंट को बताया कि याकूब की कब्र के बारे में किये गए दावों की पड़ताल के लिए ‘आंतरिक जांच’ चल रही है.

हालांकि, उन्होंने नलखंडे के लगाए आरोपों का खंडन किया. शोएब ने आगे दावा किया कि ये आरोप ट्रस्ट के पूर्व और वर्तमान सदस्यों के बीच की अंदरूनी कलह का नतीजा हैं.

साल 2018 में, जुमा मस्जिद ट्रस्ट के प्रबंधक नजीब तुंगेकर ने एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गयी एक शिकायत में ट्रस्ट के रिकॉर्ड (अभिलेख) की चोरी और जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था. तुंगेकर ने कुछ ट्रस्टियों पर मौजूदा रिकॉर्ड को बर्बाद करके या ‘सालाना रखरखाव की रसीद’ जारी करके कुछ परिवारों को अवैध रूप से ओट्टा (दफनाने की जगह) आवंटित करने का आरोप भी लगाया था.

उन्होंने कहा था कि इन मुद्दों को कई बार ट्रस्ट के साथ उठाये जाने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.


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‘अवैध आवंटन, कोविड के दौरान वसूले गए ज्यादा पैसे’

मरीन लाइन्स पर स्थित बड़ा कब्रस्तान लगभग 8.5 एकड़ के रकबे में फैला हुआ है. महान अभिनेत्री नरगिस दत्त और माफिया गिरोह के कुख्यात नेता हाजी मस्तान और करीम लाला यहां दफन होने वालों में शामिल हैं.

प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए, इस दफन वाली जगह को तीन भागों में विभाजित किया गया है – पंजीकृत ओट्टा धारकों के लिए, बागे रहमत (आम मुसलमानों के लिए दफन स्थान) और गंज-ए-सहीदान (लावारिस शवों को दफनाने के लिए आरक्षित).

An otta at Bada Kabrastan | Nazia Sayed | ThePrint
बड़ा कब्रस्तान के करीब ओट्टा/नाजिया सैयद/दिप्रिंट

इससे पहले, पंजीकृत ओट्टा धारकों को वार्षिक रखरखाव शुल्क का भुगतान करना पड़ता था और उनके नाम के साथ एक रजिस्टर ट्रस्ट कार्यालय में सुरक्षित रखा जाता था.

यह उन परिवारों के लिए एक व्यवस्थित प्री-बुकिंग या दफन की जगह का आवंटन था जो भविष्य में इस्तेमाल के लिए दफन की जगह का रखरखाव करना चाहते थे. शोएब ने बताया कि 1984 के बाद इस परिपाटी को ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन ट्रस्ट ने पंजीकृत ओट्टा धारकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए यह सेवा जारी रखी.

ट्रस्ट के कुछ पूर्व सदस्यों के अनुसार, कोविड की महामारी के दौरान कई परिवारों ने आरोप लगाया था कि कब्रिस्तान के अधिकारी सिर्फ एक दफन की जगह के लिए 25,000 रुपये से 30,000 रुपये वसूल रहे थे. उन्होंने कहा कि परिवार आमतौर पर मामूली शुल्क का भुगतान करते हैं, जिसमें कब्र खोदने वाले का मेहनताना भी शामिल होता है.

नलखंडे ने दावा किया, ‘उन मुश्किल भरे दिनों में, कोई भी अपनी रजामंदी से इतनी बड़ी रकम का भुगतान नहीं करता, लेकिन उन्होंने ऐसा अपने प्रियजनों को दफन करने वास्ते किया, और वह भी, बिना किसी वैध रसीद के. लोग मुझे फोन कर रहे थे और मुझसे दखल देने की गुहार लगा रहे थे क्योंकि वे इतनी बड़ी रकम का भुगतान करने में नाकाबिल थे. मैं हर रोज ट्रस्ट कार्यालय को फोन करता, उन्हें इस कदाचार के बारे में जानकारी देता, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया है.‘

इन आरोपों को खारिज करते हुए, शोएब ने दिप्रिंट को बताया: ‘कोविद के दौरान किसी से भी दफनाने की जगह के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया था, और ट्रस्ट ने अपने दम पर सब चीजों का इंतजाम किया था.’

ट्रस्ट के इस सदस्य ने कहा, ‘जो लोग दान करना चाहते थे, उन्होंने अपनी रजामंदी के मुताबिक ऐसा किया, और किसी ने उन्हें किसी भी तरह से मजबूर नहीं किया. ओट्टा का आवंटन ट्रस्टी के रूप में मेरे कार्यकाल से पहले ही किया गया था, और किसी को कोई नया ओट्टा नहीं दिया गया है.’

महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वजाहत मिर्जा ने भी इस बात की पुष्टि की कि बोर्ड को बड़ा कब्रिस्तान में हो रहीं कथित अनियमितताओं के बारे में शिकायतें मिली हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हाई कोर्ट के एक आदेश में, बोर्ड को जुमा मस्जिद ट्रस्ट के खिलाफ की गईं विभिन्न शिकायतों की जांच करने और छह महीने के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था. आरोपों की तहकीकात की जा रही है और इसके बाद जरुरी कार्रवाई की जाएगी.’

‘रऊफ मेमन ने कब्रगाहों पर जबरिया कब्जा कर रखा है’

नलखंडे ने आरोप लगाया कि टाइगर मेमन के चचेरे भाई रऊफ ने उन्हें पहले से आवंटित चार के बजाय 18-20 दफन स्थानों पर जबरिया कब्जा कर लिया है. साथ ही, उनका कहना है कि मेमन परिवार को ये सभी आवंटन सितंबर 2019 के बाद किये गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि रऊफ ने अपने नाम से बिजली मीटर जारी करवा कर इसे कब्रिस्तान में लगवा दिया है.

याकूब की कब्र के सौंदर्यीकरण के संबंध में नलखंडे ने कहा कि ऐसी मंजूरी बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज द्वारा खास गुजारिश किये जाने पर दी जाती है. उन्होंने कहा कि मरने वाले के रिश्तेदार को संगमरमर या ग्रेनाइट को काटने और चमकाने के लिए अस्थायी बिजली कनेक्शन हेतु निर्धारित शुल्क का भुगतान करना पड़ता है.

Division of burial spaces at Bada Kabrastan | Nazia Sayed | ThePrint
बड़ा कब्रस्तान में दफन स्थानों का विभाजन/ नाजिया सैयद/दिप्रिंट

नलखंडे ने आरोप लगाया, ‘यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि याकूब के चचेरे भाई [रऊफ] को 18-20 दफन की जगहों के पूरे इलाके के लिए संगमरमर प्रदान करने की मंजूरी दे दी गई, जिनमें से कुछ सामान्य सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किये जाने के वास्ते हैं. और किन हालत में बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज ने याकूब की कब्र पर एलईडी लाइट और अलग से मीटर लगाने की मंजूरी दी? यह ट्रस्टीज की मिलीभगत से ही हुआ होगा.‘

एक अन्य पूर्व ट्रस्टी जज़ील नौरंग ने दावा किया कि मेमन परिवार को अतिरिक्त दफन की जगहें आवंटित किये जाने का विरोध करने की वजह से अगस्त 2020 में उन्हें ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया था.

उन्होंने दावा किया, ‘रऊफ मेमन खुद कहता हैं कि उसने दफनाने की जगह के लिए पैसे दिए हैं. उन्हें और क्या सबूत चाहिए?’ टाइगर मेमन द्वारा दान के रूप में ढेर सारा पैसा दिए जाने का दावा करने वाले नौरंग ने दिप्रिंट को बताया: ‘अगर कोई शिकायत करता है, तो उसे तुरंत पैसे या ताकत से चुप करा दिया जाता है.’

उन्होंने दावा किया, ‘टाइगर [मेमन] इन कब्रों के रखरखाव के लिए पैसे भेजता है. ट्रस्ट के नाम से की जा रही इन अवैध गतिविधियों पर मैंने एतराज जताया. मेरी जिंदगी बदतर हो गयी थी. मुझे धमकी भरे फोन आए. … मैंने एलटी मार्ग पुलिस से इसकी शिकायत भी की, लेकिन महामारी अपने चरम पर थी, इसलिए कुछ नहीं किया गया.’

लेकिन, ऊपर उल्लिखित ट्रस्टी शोएब खतीब ने इस सभी आरोपों से इंकार किया. उन्होंने दावा किया, ‘कब्रिस्तान को टाइगर मेमन के साथ जोड़ना गलत है. हमारा उससे कोई लेना-देना नहीं है. हम विदेशी चंदा स्वीकार नहीं करते हैं. ट्रस्ट के पास अपनी कई संपत्तियां हैं जो पर्याप्त राजस्व पैदा करती हैं. हमें किसी के पैसे की दरकार नहीं है. दूसरे, नौरंग द्वारा ही रऊफ को [ट्रस्ट से] मिलवाया गया था. उसी ने कब्रों को उसे (रउफ को) बेच दिया था और बाद में उन्हें एक दूसरे परिवार को भी काफी अधिक कीमत पर बेच दिया था. नौरंग और नलखंडे [जिन्हें एक अलग मामले में आरोपी बनाया गया था] के खिलाफ एफआईआर (प्राथमिकियां) दर्ज हैं. कब्रों की प्री-बुकिंग लेने वाले उनके एक दलाल को साल 2020 में गिरफ्तार किया गया था.‘

उन्होंने बताया कि बड़ा कब्रिस्तान ने महामारी के समय 1,200 कोविड वाली लाशों को स्वीकार किया.

खतीब ने कहा, ‘अगर किसी को शिकायत थी तो कोई पुलिस या अन्य अधिकारियों के पास क्यों नहीं गया? और अगर हम अंडरवर्ल्ड (मुंबई की माफिया की दुनिया) से जुड़े हैं तो सरकारी एजेंसियां क्या कर रही हैं? वे कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?’

शोएब ने दावा किया कि शब-ए-मिराज की रात पूरे कब्रिस्तान को सजाया गया था, जबकि [मीडिया में] केवल याकूब की कब्र दिखाई गई थी.

इस ट्रस्टी ने दावा किया, ‘उन्होंने [मीडिया ने] अन्य कब्रों को क्यों नहीं दिखाया? ग्रेनाइट का काम 2016 में शुरू हुआ था और इसे पूरे कब्रिस्तान के सौंदर्यीकरण कार्यक्रम के तहत किया गया था. हमने क्या गलत किया? हमारा ट्रस्ट एक कानूनी ढांचे के भीतर काम करता है और यहां कुछ भी अवैध नहीं होता है,’ साथ ही, उनका कहना था कि जुमा मस्जिद ट्रस्ट किसी भी एजेंसी द्वारा जांच के लिए तैयार है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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