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Saturday, 22 June, 2024
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CBI नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में दो से तीन हफ्ते में फाइल करेगी सप्लीमेंटरी चार्जशीट

विशेष जज गीतांजलि गोयल ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को निर्देश दिया कि मामले में सभी आरोपियों को लेकर फाइल की गई चार्जशीट उपलब्ध कराए. कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 8 मई, 2023 को करेगी.

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नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट को बताया कि वह नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में दो से तीन हफ्ते में सप्लीमेंटरी चार्जशीट (पूरक आरोप पत्र) दाखिल करेगी.

विशेष जज गीतांजलि गोयल ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को निर्देश दिया कि मामले में सभी आरोपियों को लेकर फाइल की गई चार्जशीट उपलब्ध कराए. कोर्ट 8 मई, 2023 को मामले की सुनवाई करेगी.

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, राजद की सांसद मीसा भारती कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में बुधवार को अदालत की कार्यवाही में उपस्थित रहीं. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने मेडिकल वहजों से पेशी से छूट मांगी.

15 मार्च को इसी अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और बाकी आरोपियों को मामले में जमानत दी थी.

विशेष जज गीतांजलि गोयल ने सभी आरोपियों को नियमित तौर पर जमानत देते हुए कहा था कि सीबीआई ने मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया था और चार्जशीट बिना गिरफ्तारी के फाइल की गई थी.

अदालत ने सभी आरोपियों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि जमानत के तौर पर भरने का निर्देश दिया था.

सीबीआई ने अपनी पहले की चार्जशीट में कहा था सेंट्रल रेलवे में अनियमित भर्तियां की गईं, जो भर्ती के लिए भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने वाली थीं.

सीबीआई ने इसमें कहा है कि, (प्रतिदान के रूप में) बदले में, उम्मीदवारों ने सीधे या अपने करीबी रिश्तेदारों/परिवार के सदस्यों के जरिए, लालू प्रसाद यादव (उस समय के केंद्रीय रेलमंत्री) के परिवार के लोगों को तब के बाजार से भारी रियायती दर 1/4th से 1/th पर जमीन बेची.

सीबीआई ने आगे कहा कि जांच से पता चला है कि यादव 2007-2008 की अवधि के दौरान, जब वह भारत सरकार में रेलमंत्री थे, तब उन्होंने ग्राम-महुआबाग, पटना एवं ग्राम-कुंजवा, पटना में स्थित भू-खण्डों को, जो पहले से ही उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली भूमि के नजदीक स्थित थी; को हासिल करने के इरादे से पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, केंद्रीय रेलवे के अधिकारियों- उस समय की जनरल मैनेजर सौम्या राघवन, पटना के ग्राम महजबाग निवासी तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी कमल दीप मैनराई, पटना सिटी के राजकुमार सिंह, मिथलेश कुमार, अजय कुमार, संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विकास कुमार, अभिषेक कुमार, रवींद्र राय, किरन देवी, अखिलेश्वर सिंह, रामाशीष सिंह के साथ मिलकर यह आपराधिक साजिश रची.

सीबीआई के मुताबिक सब्सीच्यूट के तौर पर शामिल सभी उम्मीदवारों को बाद में नियमित कर दिया गया.

लालू प्रसाद यादव ने उन्हें रेलवे में नियुक्ति दिलाने के एवज में ये जमीनें उम्मीदवारों और उनके पारिवारिक सदस्यों से, जो उस समय की सर्कल दरों के साथ-साथ बाजार दरों से बहुत कम पर अपनी पत्नी राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर हासिल की.

सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और 13 अन्य के खिलाफ चार्जशीट फाइल किया था.

चार्जशीट में कहा गया है कि जांच के दौरान, यह पाया गया है कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और केंद्रीय रेलवे के सीपीओ के साथ मिलकर साजिश रची थी और जमीन के बदले उनके नाम पर या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया था.

सीबीआई ने एक प्रेस बयान में दावा किया कि यह भूमि प्रचलित सर्किल रेट से कम दर और बाजार दर से काफी कम कीमत पर हासिल की गई थी. इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि उम्मीदवारों ने गलत टीसी का इस्तेमाल किया और गलत अटेस्टेड दस्तावेज भारतीय रेल मंत्रालय को प्रस्तुत किए.

यह कथित घोटाला तब हुआ था जब यादव 2004 और 2009 के दौरान रेलमंत्री थे. आरजेडी नेता के अलावा चार्जशीट में रेलवे के जनरल मैनेजर का नाम भी शामिल है.

सीबीआई ने कहा है कि जांच से सामने आया कि बिना किसी सब्सिच्यूट्स की जरूरत के उम्मीदवार लिए गए और उनकी नियुक्ति की कोई अर्जेंसी नहीं थी जो सब्सिच्यूट्स की नियुक्ति के पीछे मुख्य मानदंडों में से एक था और उनकी नियुक्ति की मंजूरी के बहुत बाद में वे ड्यूटी में शामिल हो गए और उन्हें बाद में नियमित कर दिया गया.

अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों और संलग्न दस्तावेजों में कई विसंगतियां पायी गयीं जिसके कारण आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिये थी और उनकी नियुक्ति स्वीकृत नहीं होनी चाहिये थी लेकिन ऐसा किया गया.

इसके अलावा, ज्यादातर ने बाद की कई तारीखों में अपने संबंधित डिवीजनों में नौकरी ज्वाइन की, जिसने कुछ मामलों में सब्सिच्यूट्स की नियुक्ति के मकसद को विफल कर दिया, उम्मीदवार उस आवश्यक कटेगरी के तहत अपनी चिकित्सा परीक्षा को पास नहीं कर सके थे.


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