करगिल (लद्दाख), नौ अक्टूबर (भाषा) नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस गठबंधन ने सोमवार को एलएएचडीसी-करगिल चुनाव के नतीजों को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक ‘जनमत संग्रह’ करार दिया।
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी)-करगिल चुनाव में कुल 26 सीट में से नेकां और कांग्रेस ने मिलकर 22 सीट जीत लीं। चुनाव परिणाम रविवार को घोषित किये गये थे।
पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यह पहला चुनाव था।
करगिल के नेकां जिला अध्यक्ष हनीफा जान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ यह निश्चित रूप से एक जनमत संग्रह है, करगिल के लोगों ने इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ी। हमारी पहली मांग लद्दाख में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली है। यह सरकार पर निर्भर है कि वे ऐसा कैसे करेंगे। क्या वे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे? यदि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो हमारी पूर्व स्थिति (जम्मू-कश्मीर के साथ) बहाल करें।’’
जान ने कहा कि करगिल के लोग उपराज्यपाल के प्रशासन के तहत नौकराशाही की गुलामी से मुक्त होना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन ने 22 सीट जीतीं, दो सीट निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं जो वैचारिक रूप से हमारी ओर हैं। भाजपा ने दो सीट जीती जिनमें से एक हमारी लापरवाही के कारण उसने जीती। इसलिए, हमने प्रभावी रूप से 24 सीट पर जीत दर्ज की है। पूरे जिले ने अगस्त 2019 में लिए गए फैसलों और हमसे लोकतंत्र छीनने और हमें नौकरशाही प्रणाली में धकेलने के खिलाफ आवाज बुलंद की है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस्सा अली शाह ने कहा कि कारगिल के लोग हमेशा से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ रहे हैं और चुनाव परिणाम भी इसे दर्शाते हैं।
परिषद की 26 सीटों के लिए चार अक्टूबर को चुनाव हुए थे। प्रशासन ने 30 सदस्यीय परिषद में चार सदस्यों को वोट देने के अधिकार के साथ नामांकित किया है। 26 सीट में से 12 सीट पर नेकां ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस ने 10 सीट पर जीत हासिल की। भाजपा को दो सीट से संतोष करना पड़ा और दो सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते।
भाषा संतोष नरेश
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