रायपुर: लॉकडाउन के दौरान क्वारेंटाइन सेंटरों में पिछले 14 दिनों में एक दर्जन श्रमिकों की मौत पर सरकार का कहना है कि ये कि मृतक कोरोना पीड़ित नहीं थे. इन मौतों का कारण अन्य बीमारियां, हृदयघात, सांप काटना या फिर आत्महत्या है.
दिप्रिंट द्वारा की गई पड़ताल में अधिकारियों ने बताया है कि मृत श्रमिकों में कुछ की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है जबकि दूसरों की टेस्ट रिपोर्ट का अभी इंतजार है.
लेकिन ये स्पष्ट है कि क्वारेंटाइन केंद्रों में सुविधाओं का अत्यधिक अभाव है. इन मौतों के पीछे इन सेंटर्स में भीषण गर्मी के इस मौसम में पीने के पानी की कमी और अन्य परेशानियां बीमारी और मौत का कारण बन रहीं हैं.
क्वारेंटाइन सेंटर्स में न पीने को पानी, न पंखा, न सोने या टायलेट की ठीक व्यवस्था है. बदहाल इंतज़ामी ने मज़दूरों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
जिन जिलों में क्वारेंटाइन केंद्रों में श्रमिकों की मौत हुई हैं वहां के अधिकारियों ने नाम जाहिर ना होने की शर्त पर यह माना कि केंद्रों में व्यवस्थाएं खस्तहाल हैं.
इस बात की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने भी की है. चिकित्सक ने दिप्रिंट से नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘गर्मी बहुत अधिक पड़ रही है और क्वारेंटाइन केंद्रों में सुविधाओं के अभाव में वहां रह रहे श्रमिक गंभीर दस्त, खांसी, बुखार के शिकार हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में हृदयघात या डिहाइड्रेशन मौत का कारण हो सकता है.’
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तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कालेज भेजा युवक, लगाई फांसी
सरगुजा जिले के जरहाडीह गांव के रहने वाला एक युवक 18 मई से अपने ही गांव के पास ही पत्नी और बच्चों के पास क्वारेंटाइन में था लेकिन 23 मई को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज मैं शिफ्ट किया गया. युवक ने 25 मई को फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया.
सरगुजा के पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि मृतक की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है लेकिन उसने इलाज के दौरान ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सिंह का कहना है ‘मृतक परिवार सहित मध्य प्रदेश के सीधी जिले में ईट-भट्ठे का काम करता था. लॉकडाउन में बेरोजगारी के कारण उसको अपने गांव वापस लौटना पड़ा जहां उसे 18 मई को पत्नी और बच्चों के साथ क्वारेंटाइन में रखा गया था. 23 मई को उसको सर्दी खांसी, दस्त और बुखार की शिकायत के साथ पेट में दर्द हुआ और तबीयत ज्यादा खराब होने पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया गया जहां उसने 25 मई को आत्महत्या कर ली.
जांच में मृतक के एक साथी ने बताया, ‘वह पेट के दर्द से अक्सर परेशान रहता था. कोविड-19 आरटी पीसीआर जांच का सैंपल ले लिया गया है लेकिन टेस्ट रिपोर्ट अभी प्राप्त नही हुई है.’ सिंह के अनुसार मृतक की पत्नी और बच्चे अभी भी क्वारेंटाइन में हैं.
क्वारेंटाइन किए गए अर्जुन निषाद ने की आत्महत्या
क्वारेंटाइन किए गए श्रमिकों के मौत का सिलसिला 14 मई को तेलंगाना के सिद्धिपेठ से लौटे रायगढ़ के 27 वर्षीय अर्जुन निषाद द्वारा आत्महत्या करने से शुरू हुआ. अमलीडीह गांव का रहने वाला निषाद तीन दिन पहले ही एक अन्य साथी के साथ तेलंगाना से किसी तरह अपने गृह क्षेत्र सारंगढ़ तहसील पहुंचा था. यहां दोनों को तहसील स्थित क्वारेंटाइन केंद्र के एक अलग कमरे में रखा गया था.
सारंगढ़ थानाध्यक्ष आशीष वासनिक के मुताबिक मृतक ने 13 और 14 मई के बीच रात 2 बजे क्वारेंटाइन केंद्र में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वासनिक के अनुसार मृतक के अंदर कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे लेकिन वह कुछ दिनों से विक्षिप्तों जैसा व्यवहार कर रहा था, ऐसा उन्हें उसके साथी ने बताया. हालांकि मौत की जांच अभी चल रही है. सारंगढ़ थानाध्यक्ष के अनुसार निषाद की कोविड-19 जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी थी.
सारंगढ़ तहसील के क्वारेंटाइन केंन्द्र के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘क्वारेंटाइन सेंटर में खाने-पीने की अव्यवस्था है, वहां उचित स्वास्थ्य सुविधाएं भी नही हैं लेकिन इन्हें ठीक किया जा रहा है.’ इस अधिकारी के अनुसार ‘केंद्र में रहने वालों को डॉक्टर भी शायद ही निरंतर मॉनिटर करते होंगे.‘
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क्वारेंटाइन सेंटर में सांप के काटने से मौत
17 मई को मुंगेली जिले के किरना गांव के क्वारेंटाइन सेंटर में 31 साल के योगेश वर्मा की सोते वक्त सांप के काटने से मौत हो गई. पुणे में कंस्ट्रक्शन श्रमिक का काम करने वाले योगेश किसी तरह एक हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी पैदल चलकर अपने गांव आए थे जहां उसे ग्राम पंचायत के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था.
गर्मी अधिक होने के कारण उसने थोड़ा हवादार स्थान देखकर बरामदे में सो गया था. बिना बिस्तर के फर्श पर सोये योगेश को एक जहरीले सांप ने काट लिया. योगेश की चीख सुनकर उसके दूसरे साथियों ने किसी तरह सरपंच से संपर्क कर जिला अस्पताल भिजवाया लेकिन वहां उसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई.
मुंगेली के एसडीएम चित्रकांत चार्ली ठाकुर ने बताया कि योगेश की मौत क्वारेंटाइन केंद्र में कमरे के बाहर सोने के कारण हुई जिसके बाद अब श्रमिकों को बरामदे में सोने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है. उनका कहना था, ‘कोविड-19 के संक्रमण की जांच के लिए मृतक का सैंपल लिया गया था लेकिन उसकी जांच रिपोर्ट अभी तक नही आई है.’
ठाकुर से जब जानना चाहा की इतने दिनों से टेस्ट रिपोर्ट ना आ पाने के क्या मायने हैं तो उनका कहना था, ‘मैं नहीं बता सकता कि क्या कारण हैं, पूरे प्रदेश में 25 हजार से ज्यादा टेस्ट रिपोर्ट अभी पेंडिंग हैं. मैं कैसे बता सकता हूं की रिपोर्ट कब तक आएगी लेकिन मृतक श्रमिक में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए थे.’
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के एक स्थानीय अधिकारी का आरोप है, ‘व्यवस्था के नाम पर इन केंद्रों में कुछ नही हैं. चाय नाश्ता तो भूल जाएं, भोजन की कोई रेगुलर व्यवस्था नहीं है, पीने के पानी की भी गारंटी नहीं है. गर्मी अपने चरम पर है और इन केंद्रों में टॉयलेट में शायद ही साफ-सफाई होती होगी. सब कुछ सरपंचों के ऊपर छोड़ दिया है और वह भी बिना संसाधनों के. सरकार का कोई कर्मचारी या अधिकारी शायद ही वहां आता है.’
क्वारेंटाइन सेंटर पत्नी के लिए फांसी लगाकर जान दी
अधिकारियों के अनुसार 18 मई को बालोद जिले के परसवाली गांव के क्वारेंटाइन सेंटर में सूरत, गुजरात से लौटे 27 साल के सूरज यादव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अधिकारी कहते हैं कि यादव क्वारेंटाइन केंद्र में थे लेकिन उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिले थे.
बालोद के एसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने बताया, ‘यादव जब सूरत से लौटा उस समय उसके साथ एक महिला भी थी जिसे उसने अपनी पत्नी बताया था. कोटवानी के अनुसार यह महिला पहले से शादीशुदा थी और वापस आने के बाद वह अपने पति के घर कांकेर चली गयी थी जहां वह अभी क्वारेंटाइन में रह रही है. जांच में हमें पता चला है कि मृतक इस बात से काफी क्षुब्ध था.’
बालोद एसपी का कहना है कि यादव की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है.
क्वारेंटाइन सेंटर में सांप के काटने से मौत
इसी दिन क्वारेंटाइन सेंटर में राजनांदगांव जिले के सीताकसा गांव के 28 साल के बुधारु राम की सांप के काटने से मौत हो गई. अधिकारियों के अनुसार बुधारूकी भी कोविड-19 जांच रिपोर्ट निगेटिव ही आई थी लेकिन एक स्थानीय अधिकारी ने हमें बताया कि बदइंतजामी का ही परिणाम है कि बुधारू सर्पदंश का शिकार हुआ. वहां के अधिकारियों के अनुसार ‘क्वारेंटाइन केंद्र में श्रमिकों को फर्श पर बिना किसी बिस्तर के सोना पड़ता है. कूलर तो दूर यदि किसी क्वारेंटाइन केंद्र में कोई पंखा मिल जाए तो वे अपना भाग्य समझे.‘
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क्वारेंटाइन सेंटर में हार्ट अटैक से मौत
इसके बाद 19 मई को बलरामपुर जिले के सेमली लेंजुआ क्वारेंटाइन सेंटर में ड्यूटी कर रहे शिक्षक सियारत भगत की मौत हो गई. भगत क्वारेंटाइन केंद्र के पास अपने मोटरसाइकिल पर बैठकर मोबाइल फोन देख रहे थे कि अचानक ही बाइक से गिर पड़े. उनको गिरते देख वहां पर मौजूद ग्रामीणों ने शिक्षक को जल्द ही जिला अस्पताल पहुंचाया लेकिन वहां उनकी मौत हो गयी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार भगत की मौत हार्ट अटैक से हुई थी.
क्वारेंटाइन सेंटर में थकावट के कारण हार्ट अटैक से जान गई
20 मई को बेमेतरा जिले के सेमरिया क्वारेंटाइन सेंटर में 35 साल के आदिवासी राजू गौड़ की मौत हो गई. स्थानीय एसडीएम आशुतोष चतुर्वेदी का कहना था, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार राजू गौड़ की मौत हृदयघात से हुई है. क्वारेंटाइन सेंटर में मृतक थकावट के चलते काफी एक्सर्शन में था जिसके कारण उसको हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई. उसकी हालत देखकर ऐसा लगा था कि मृतक संक्रमित हो लेकिन उसकी आरटी पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आयी है.’
थकावट और अत्यधिक गर्मी से बीमार शख्स की हार्ट अटैक से मौत
21 मई को जांजगीर-चांपा जिले के 35 वर्षीय बीरबल माहेश्वरी की मुलमुला क्वारेंटाइन सेंटर में अधिकारियों के अनुसार हृदयघात से मौत हो गई थी. जिले की एडिश्नल एसपी मधुलिका सिंह ने बताया, ‘माहेश्वरी की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट अभी देखी नहीं है लेकिन प्रथमदृष्टया उसकी मृत्यु का कारण हृदयघात था.’ इसी संबंध में हमने जब एक स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी से बात किया तो पता चला कि माहेश्वरी भी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के कारण थकावट और अत्यधिक गर्मी के कारण, दस्त, सर्दी, खांसी का शिकार हो गया था.
बीमार मूक श्रमिक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत
इसी प्रकार 23 मई को मुंगेली जिले के छीतापुर क्वारेंटाइन सेंटर में 22 वर्षीय मूक श्रमिक पुनीत राम टंडन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.
एक शख्स ने बताया टंडन की मौत का मुख्य कारण सेंटर में बेसिक सुविधाओं का अत्यधिक अभाव था जिससे उसकी तबीयत खराब हुई. क्वारेंटाइन की मियाद पूरी कर घर जाने की तैयारी कर रहे कंस्ट्रक्शन श्रमिक पुनीत टंडन की तबीयत तीन दिन पहले अचानक सर्दी, खांसी और दस्त के कारण खराब हुई. सेंटर में मौजूद अन्य साथियों के बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उसे समय पर अस्पताल नहीं ले जाया गया. बल्कि पंचायत सचिव ने पास के एक पीएचसी में उसे ले जाकर बुखार की दवाई दिलाई. कुछ आराम मिलने के बाद टंडन की तबीयत दूसरे दिन फिर बिगड़ गई लेकिन उसे जिला अस्पताल लेकर जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिल पायी.
एक दिन किसी तरह बीमारी की हालात में पीएचसी में बिताने के बाद भी जब उसे चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पायी तो उसके पिता और भाइयों ने उसे ऑटो रिक्शा में बिठाकर जिला अस्पताल ले जाना चाहा लेकिन रास्ते में उसकी मृत्यु हो गयी.
पुनीत की 20 वर्षीय पत्नी हीरा बाई पर कुदरत की यह दोहरी मार थी जिसके सदमे से वह अभी उबर नहीं पायी है. हीरा बाई जो इसी सेंटर में पुनीत के साथ रह रही थीं के नवजात शिशु के जन्म के 3 घंटे बाद ही मौत हो गई थी, बाद में उसे अधिकारियों द्वारा होम क्वारेंटाइन में रख दिया गया है.
क्वारेंटाइन सेंटर में बदइंतजामी, केस के डर से बता नहीं सकते हालात
क्वारेंटाइन सेंटरों में रखे गए श्रमिकों से वहां के हालात के बारे में हमने जब जानना चाहा तो हमें पता चला कि मुंगेली जिले के छीतापुर क्वारेंटाइन सेंटर में एक ही स्थान पर करीब 50 लोगों को एक साथ ठहराया गया है जिसकी वजह से वहां अव्यवस्था फैल गई.
इसी सेंटर में मौजूद कंस्ट्रक्शन श्रमिक भाई राम ने बताया, ‘दिन में दोपहर 12 बजे से पहले कभी भोजन नहीं मिलता है. भूल जाइए कि चाय-नाश्ता जैसी कोई बात भी है. सेंटर में रहने वाले करीब 50 लोगों के लिए एक ही टॉयलेट रखा गया है. महिला, पुरुष और छोटे बच्चे सभी को एक ही सेंटर में रहना पड़ रहा है.’
भाई राम जो अपने पत्नी के साथ क्वारेंटाइन में रखे गए हैं ने बताया, ‘सोने के लिए फर्श पर बिछाने के लिए एक दरी भी नहीं दी गयी है. गर्मी इतनी अधिक है कि फर्श पर लेटने की हिम्मत नहीं पड़ती, दिन किसी तरह पेड़ों के नीचे दूर-दूर बैठकर बिताना पड़ता है. यह तो कोरोना बीमारी से भी ज्यादा विकराल स्थिति है. आखिर हमारा कसूर ही क्या है.’ राम कहतें हैं, यहां ऐसा लगता है जैसे हमने कोई अपराध कर दिया है और हमको भेड़-बकरी की तरह एक बाड़े में रख दिया गया है.
कुछ ऐसा ही कहना था इसी क्वारेंटाइन केंद्र में आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से लौटे रोहित टंडन का. मृतक पुनीत टंडन के चाचा रोहित टंडन कहते हैं ‘हमें किसी से कुछ कहने की आजादी नहीं है. दो टाइम भोजन किसी तरह मिल रहा है, वह भी बहुत मुश्किल से. हमारे साथ छोटे बच्चे भी यहीं पर रहने को मजबूर हैं. जीवन जानवरों की तरह बिता रहें हैं यहां. बिजली पानी की व्यवस्था भी बहु कमजोर है. कूलर भी लगा है लेकिन ऐसे जगह पर है जो बहुत दूर है, लगता है बाहर से आने वाले अधिकारियों को दिखाने के लिए किया गया है.’
रोहित के अनुसार ‘सोशल डिस्टेसिंग का पालन वहां पर रहने वाले श्रमिक ही किसी तरह कर रहे हैं लेकिन लगातार बढ़ रही भीड़ के कारण ऐसा कर पाना बहुत ही मुश्किल है. सेंटर में नए आने वाले मजदूरों को भी हमारे साथ ही रखा जाता है जिससे क्वारेंटाइन का उद्देश कैसे पूरा होगा.’
मजदूरों का कहना है कि वे अपनी परेशानी भी किसी को बाता नहीं सकते. ऐसा करने पर उनके ऊपर केस दर्ज कर दिया जा रहा है या फिर बेवजह परेशान किया जाता है.
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नही थम रही राजनीति, भाजपा का आरोप
मुख्य विपक्षी दाल भाजपा का आरोप है कि क्वारेंटाइन सेंटर्स में हो रही मौतों और लोगों के वहां से भागने की खबरों से यह साफ जाहिर है कि राज्य सरकार की व्यवस्था में भारी कोताही हुई है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर आरोप लागया है कि प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले और क्वारेंटाइन सेंटर में व्याप्त अव्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है.’
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘एक सप्ताह में ही प्रदेश में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं, वह चिंतनीय है. प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम की तैयारी को लेकर गंभीर नहीं है. प्रदेश में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर्स में लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं जिस पर सवाल उठना लाजमी है. बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग वहां से भाग भी रहे हैं. प्रदेशभर में क्वारेंटाइन सेंटर्स को पंचायतों के हवाले कर दिया गया है जो केंद्र सरकार की सहयोग राशि से संचालित रहे हैं.’
सरकार का दावा, सब कुछ ठीक-ठाक
प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान फंसे श्रमिकों को राहत पहुंचाने, उनके भोजन एवं आवास की व्यवस्था के लिए राज्य में 19 हजार 184 क्वारेंटाइन सेंटर संचालित किए हैं जहां लगभग 2 लाख श्रमिक ठहरे हुए हैं. सभी क्वारेंटाइन सेंटरों में श्रमिकों के लिए भोजन एवं मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था शासन द्वारा की गई है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा यह बताया गया है कि क्वारेंटाइन सेंटर में ठहरे श्रमिकों की भोजन आदि की व्यवस्था के लिए सभी कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश एवं सहायता राशि भी स्वीकृत की गई है. मुख्यमंत्री के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ में लौटने वाले श्रमिकों को एहतियातन 14 दिन तक क्वारेंटाइन सेंटरों में रहने की बेहतर व्यवस्था की गई है. क्वारेंटीन सेंटर में रह रहे श्रमिकों के चाय, नाश्ता, भोजन के साथ-साथ उन्हें दैनिक उपयोगी वस्तुएं और आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं.
सरकार का यह भी दावा है कि श्रमिकों के स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी रखे जाने के साथ ही उनका स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है.