नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच ने उत्तराखंड में पिछले साल निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने वाली टीम में शामिल रहे वकील हसन के घर को ढहा दिये जाने की शुक्रवार को निंदा की।
उत्तर-पूर्व दिल्ली के खजूरी खास इलाके में बुधवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अतिक्रमण हटाओ (तोड़फोड़) कार्रवाई के दौरान हसन का घर ढहा दिया गया था। इस अभियान के दौरान कई अन्य मकान भी गिरा दिये गये थे। हसन ने अपनी पत्नी एवं दो बच्चों के साथ सारी रात फुटपाथ पर गुजारी थी।
सेंट्रल ट्रेड यूनियंस और फेडरेशंस के संयुक्त मंच ने आरोप लगाया कि हसन का मकान डीडीए ने चुनिंदा ढंग से गिराया। मंच ने उन्हें हर्जाना दिये जाने और रिहायशी पुनर्वास की मांग की।
उसने कहा, ‘‘ श्री वकील हसन मशहूर ‘रैट-होल माइनर’ हैं जिनके नेतृत्व में एक दल ने सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकाला था। ये निर्माण श्रमिक उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से फंस गये थे और आधुनिक मशीनों की मदद से उन्हें बाहर निकालने की सभी कोशिशें विफल हो गयी थीं।’’
उसने कहा, ‘‘ यह जान कर आश्चर्य हो रहा है कि उस क्षेत्र में रह रहे दो लाख से अधिक लोगों में से केवल वकील हसन के आवास, जहां वह अपने तीन नाबालिग बच्चों समेत परिवार के साथ पिछले 12 साल से रह रहे हैं, को डीडीए ने तोड़फोड़ कार्रवाई के लिए चुना और वह भी बिना किसी अग्रिम नोटिस के। डीडीए केंद्र सरकार द्वारा संचालित है और उपराज्यपाल उसके अध्यक्ष हैं।’’
मंच ने भी कहा कि उपराज्यपाल और डीडीए के अध्यक्ष वी के सक्सेना को ‘इस चुनिंदा और प्रतिशोधात्मक तोड़फोड़ अभियान’’ के पीछे के कारण एवं मकसद पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
हसन के साथ एकजुटता एवं उनके प्रति समर्थन प्रकट करते हुए श्रमिक संगठनों ने मांग की कि डीडीए और केंद्र सरकार को सुधार के कदम उठाने चाहिए तथा उनके वास्ते हर्जाने एवं उनके परिवार के रिहायशी पुनर्वास का तत्काल इंतजाम करना चाहिए।
इस बीच, डीडीए के अधिकारियों ने कहा कि हसन का मकान गिराये जाने के कुछ घंटे बाद प्राधिकरण ने उन्हें और उनके परिवार को नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट में चले जाने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया था।
डीडीए ने कहा कि यह ‘नियमित अतिक्रमण हटाओ अभियान’ था। उसने कहा कि उसकी कार्रवाई ‘किसी खास व्यक्ति के विरूद्ध नहीं’ थी तथा तोड़फोड़ कार्रवाई के दौरान उसके अधिकारियों को उत्तराखंड के बचाव अभियान में हसन की भूमिका की कोई जानकारी नहीं थी।
भाषा राजकुमार अविनाश
अविनाश
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