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Thursday, 17 July, 2025
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कश्मीरी पंडितों की हत्या: सर्वोच्च न्यायालय में जांच की मांग को लेकर क्यूरेटिव याचिका दायर

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नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के कथित नरसंहार की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर दोबारा विचार करने के लिए बृहस्पतिवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका दायर की गई।

याचिका में वर्ष 1989-90 के दौरान किये गए कथित नरसंहार की जांच की मांग की गई थी, जिसे वर्ष 2017 में खारिज कर दिया गया था। यह याचिका कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ द्वारा दायर की गई है।

याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2017 में रिट याचिका का खारिज किया जाना न्यायसंगत नहीं था। इसमें यह भी कहा गया है कि याचिका को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि 1989-90 की अवधि से संबंधित घटनाओं का सबूत इतने दिनों बाद अब मिलने की संभावना नहीं है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक अदालत ने यह भी कहा था कि इससे किसी फलदाई मकसद की प्राप्ति नहीं होगी। अब इस याचिका में कहा गया, ‘‘यह वाकई न्याय करने में नाकामी के बराबर है या न्याय की पूरी तरह अवहेलना है।’’

याचिका में मांग की गई है कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ 1989-90, 1997 और 1998 में किये गये हत्या समेत अन्य अपराधों की जांच अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआईए) जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाये।

संगठन ने यह भी कहा कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस नाकाम रही है, क्योंकि सैकड़ों एफआईआर अब भी अधर में हैं। उपचारात्मक याचिका में कहा गया है कि गोधरा दंगे के बाद अदालत ने विशेष जांच दल का गठन किया था, इसी तरह अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में 33 साल बाद संज्ञान लिया था।

इस याचिका में दावा किया गया कि शीर्ष अदालत यह आंकने में नाकाम रही कि 1989 से 1998 के बीच 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी और 200 से अधिक मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन किसी भी प्राथमिकी में आरोपपत्र नहीं दाखिल किया जा सका।

भाषा संतोष उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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