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Wednesday, 17 April, 2024
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सुरक्षा को लेकर कश्मीरी पंडितों को पुलिस-सरकार की जिम्मेदारी न होने की देनी पड़ रही ‘अंडरटेकिंग’

अंडरटेकिंग में कहा गया है कि पंडितों की सुरक्षा में किसी तरह की चूक पर पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा. हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस इस पर हस्ताक्षर के लिए लोगों पर दबाव डाले जाने की बात से इनकार कर रही है.

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श्रीनगर: घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडित पिछले एक महीने में नागरिकों की हत्या की घटनाओं में आई तेजी के कारण पहले से ही परेशान हैं और इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से एक ‘अंडरटेकिंग’ पर हस्ताक्षर करके देने के लिए कहे जाने से उनका पारा चढ़ गया है.

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के प्रमुख संजय टिक्कू के मुताबिक, पुलिस ने पहले तो कश्मीरी पंडितों से कहा कि परिवारों की रक्षा के लिए सुरक्षा कर्मियों को अपने घर में तैनात करने दें और जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो उस अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करने को कहा जिसके मुताबिक उनकी सुरक्षा को लेकर सुरक्षा बलों को कतई जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा.

दिप्रिंट की तरफ से ऐक्सेस किए गए 18 अक्टूबर के इस डिक्लेरेशन में कहा गया है, ‘जिला पुलिस शोपियां की तरफ के गांव (सुरक्षा कारणों से गांव का नाम नहीं दिया गया है) में रहने वाले कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के लिए गांव में ही पुलिस गार्ड की व्यवस्था की गई है.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘हम गांव के कश्मीरी पंडित नीचे उल्लिखित गवाहों की उपस्थिति में बिना किसी दबाव या धमकी के स्वेच्छा से घोषित करते हैं कि हमें पुलिस गार्ड की आवश्यकता नहीं है. हम पुलिस गार्ड के बिना सुरक्षित हैं… हम सुरक्षा नहीं देने के लिए कभी पुलिस या सरकार को दोषी नहीं ठहराएंगे और इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार होंगे.’

54 वर्षीय टिक्कू ने दिप्रिंट को बताया कि यह अंडरटेकिंग दक्षिण और उत्तरी कश्मीर के गांवों में रहने वाले कम से कम 500 परिवारों को भेजी गई थी, जिनमें से करीब 250 ने ‘दबाव’ में आकर इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं.

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उन्होंने आगे कहा, ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस (जेकेएपी) के 10 सुरक्षाकर्मियों के लिए परिवारों को अपने घरों के अंदर कम से कम दो कमरे देने को कहा था. लेकिन परिवार ऐसा नहीं कर सकते. वे खुद ही दो कमरों के अपार्टमेंट में रहते हैं, साथ ही घर में महिला सदस्य और बच्चे भी होते हैं. आप उनसे यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वे चौबीसों घंटे सुरक्षा कर्मियों को अपने घरों के अंदर रहने दें.’

उन्होंने कहा, ‘जब परिवारों ने मना किया तो पुलिस ने उनसे इस अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करवाए. सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हमारी रक्षा के अपने कर्तव्य और अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं. वे चाहते हैं कि हम यह लिखकर दे दें कि अगर कल मार दिए गए तो इसके लिए वे दोषी नहीं होंगे.

कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर पांडुरंग कोंडबाराव पोले ने माना कि कश्मीरी पंडित परिवारों को इस तरह की अंडरटेकिंग भेजी गई थी लेकिन इस बात से इनकार किया कि उस पर हस्ताक्षर करने का कोई दबाव था.

उन्होंने कहा, ‘आपको यह समझना होगा कि हमारे पास सीमित बल है और हर परिवार के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात नहीं किए जा सकते.’

पोले ने कहा, ‘जहां तक अंडरटेकिंग का संबंध है, यह सिस्टम की जरूरत है. हमारा कोई गलत इरादा नहीं था लेकिन हमारे पास इस समय उन गांवों में सुरक्षा बलों को रखने के लिए कोई बंकर उपलब्ध नहीं है. जब तक हम सुरक्षा बलों के लिए जगह नहीं बनाते, तब तक कुछ समय के लिए हमें उन्हें परिवारों के साथ समायोजित करने के लिए कहना पड़ा. यह व्यवस्था स्थायी नहीं होती है.’

उन्होंने कहा, ‘हम समझते हैं कि परिवारों के लिए एक असहज स्थिति होगी लेकिन ऐसे में उन्हें यह अंडरटेकिंग देनी होगी. यह दिल्ली या मुंबई नहीं है, यह कश्मीर है. हम यहां आतंकवाद से लड़ रहे हैं. सब कुछ ऑन रिकॉर्ड होना चाहिए.’

कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा बढ़ाने की कवायद 5 अक्टूबर को चार लोगों की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद नागरिकों की हत्या की घटनाओं में आई तेजी के मद्देनजर शुरू की गई थी. उस दिन मारे गए लोगों में श्रीनगर की सबसे प्रसिद्ध फार्मेसी बिंदू मेडिकेल के मालिक माखन लाल बिंदू और बिहार का एक दुकानदार शामिल था. कुछ दिनों बाद श्रीनगर के एक स्कूल में एक सिख और एक हिंदू टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. तब से, अन्य घटनाओं में आतंकी कम से कम पांच और नागरिकों की हत्या कर चुके हैं.


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‘मुसलमान हमारा साथ दें

कश्मीरी पंडितों का यह भी दावा है कि उनकी सुरक्षा चिंताओं का समाधान नहीं किया जा रहा है.

घाटी में रह रहे एक कश्मीरी पंडित 50 वर्षीय रतन चाको ने दावा किया, ‘हम कश्मीर के एलजी और आईजी को पत्र लिखकर सुरक्षा खतरों पर चर्चा के लिए समय मांग रहे हैं, लेकिन पांच महीने होने के बाद भी हमें अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.’

दिप्रिंट ने इस पर प्रतिक्रिया के लिए एलजी कार्यालय को ईमेल भेजा और आईजी विजय कुमार और श्रीनगर के एसएसपी संदीप चौधरी को टेक्स्ट मैसेज भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं आया.

पराग मिल्क फूड्स के लिए काम करने वाले 29 वर्षीय कश्मीरी पंडित युवक संदीप कौल ने घाटी के मुसलमानों से आह्वान किया है कि वे उनके साथ खड़े हों.

‘मुझे घाटी के बहुसंख्यकों से शिकायत है. मैं समझता हूं कि सिस्टम ने उन्हें अलग-थलग कर रखा है, लेकिन उन्हें हमारा समर्थन करते हुए एक स्पष्ट और मुखर संदेश भेजना चाहिए. मैं मुसलमानों से शांति मार्च निकालने की अपील करता हूं, जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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