नई दिल्ली: कर्नाटक से निकलकर उफान लेने वाले हिजाब विवाद पर आज कर्नाटक हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. कर्नाटक उच्च न्यायालय उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों के लिए हिजाब प्रतिबंध पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर आज सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगा.
फैसले के आने से पहले ही कर्नाटक की राजधानी में किसी भी तरह के आंदोलन करने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया है. बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त के मुताबिक 15 से 21 मार्च तक शहर में सार्वजनिक स्थानों पर सभी प्रकार की सभा, आंदोलन, विरोध या समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इसके अलावा जिला प्रशासन ने आज रात 8 बजे से 19 मार्च की सुबह 6 बजे तक प्रभावी धारा 144 लागू कर दी है. सभी शैक्षिक संस्थान भी बंद रहेंगे.
शिवमोग्गा में कल (15 मार्च) सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे. जिले में 21 मार्च तक धारा 144 लागू कर दी गई है
इस मामले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, और जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जेएम खाजी की तीन-न्यायाधीशों की पीठ 5 फरवरी को प्रतिबंध का समर्थन करने वाले कर्नाटक सरकार के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
उडुपी के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छात्राओं के एक समूह की कक्षाओं में उन्हें हिजाब पहनने देने की मांग से तब एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था जब कुछ हिंदू विद्यार्थी भगवा शॉल पहनकर पहुंच गये. यह मुद्दा राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गया जबकि सरकार वर्दी संबंधी नियम पर अड़ी रही.
उडुपी जिले से याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से पेश होने वाले वकीलों के अनुसार हिजाब मामले से जुड़े मामले को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है तथा अदालत पूर्वाह्न साढ़े दस बजे से फैसले का क्रियान्यवन वाला हिस्सा सुना सकती है.
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित एवं न्यायमूर्ति जे एम काजी की पूर्ण पीठ उडुपी की लड़कियों की याचिका पर गठित की गयी है. इन लड़कियों ने अनुरोध किया था कि उन्हें कक्षाओं में स्कूली वर्दी के साथ-साथ हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए क्योंकि यह उनकी धार्मिक आस्था का हिस्सा है.
एक जनवरी को उडुपी के एक महाविद्यालय की छह लड़कियों ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इसका आयोजन कॉलेज प्रशासन द्वारा इन लड़कियों को हिजाब में कक्षाओं में जाने से रोके जाने के विरूद्ध किया गया था.
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