नई दिल्ली: कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्विटर को केंद्र सरकार द्वारा अकाउंट, ट्वीट और यूआरएल पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में जारी विभिन्न आदेशों को सीलबंद लिफाफों में उसके समक्ष रखने की अनुमति दी.
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने सोशल मीडिया कंपनी को यह भी निर्देश दिया कि इसे केंद्र सरकार के वकील के साथ साझा किया जाए.
केंद्र सरकार के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में की जाए. इसका मतलब मामले से असंबद्ध पक्षों को सुनवाई में शामिल होने की अनुमति न दी जाएगी.
अदालत ने कहा कि अनुरोध पर विचार किया जाएगा. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रोक के संबंध में जारी किए गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर ने हाई कोर्ट का रुख किया है.
असल में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से रोक के संबंध में जारी किये गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर कंपनी ने हाई कोर्ट का रुख किया.
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ट्विटर की दलील
ये आदेश दो फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच के हैं. इनमें अकाउंट, ट्वीट, यूआरएल और हैशटैग को ब्लॉक करने से जुड़े आदेश शामिल हैं.
ट्विटर के वकील मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को एकल न्यायाधीश की पीठ को बताया कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अकाउंट को बंद करने का आदेश देने की वजह दर्ज कराने में नाकाम रहा है.
वहीं, रोहतगी ने कहा, ‘सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम 2009 की प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों के मद्देनजर कारणों को दर्ज करने की जरूरत है और चूंकि ट्विटर अकाउंट धारकों के प्रति जवाबदेह है, ऐसे में ‘अगर यह जारी रहा तो पूरा व्यवसाय बंद हो जाएगा.’
याचिका के संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के बाद मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई.
माइक्रोब्लॉगिंग कंपनी ट्विटर की दलील है कि सरकार अपनी ताकत बेजा इस्तेमाल कर रही है. वहीं सरकार भी इसी सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई के लिए तैयार है. कुछ समय पहले एक ट्वीट में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि हर किसी को अदालत का रुख करने का अधिकार है मगर कंपनियों को भारतीय कानूनों को मानना ही होगा.
(पीटीआई के इनपुट्स के साथ)
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