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Saturday, 12 October, 2024
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उतर रहा IPO-2021 का बुखार? ज़ोमैटो, पेटीएम, नायका के निवेशकों की डूबी नैया, लुटे पैसे

2021 के 6 प्रमुख बिग टेक आईपीओ लॉन्च - ज़ोमैटो, पेटीएम, नायका, फिनो पेमेंट्स बैंक, पॉलिसी बाज़ार और कारट्रेड टेक - का विश्लेषण यह दिखाता है कि निवेशकों का अति-उत्साह अब फीका पड़ गया है.

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नई दिल्ली: करीब एक साल पहले, रेस्टोरेंट एग्रीगेटर और फूड डिलीवरी फर्म ज़ोमैटो ने अपनी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) लॉन्च की थी, जिसके तहत इसने पहली बार अपने शेयरों को जनता के लिए खोल दिया था.

इस आईपीओ का निवेशकों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया और इसे 38 गुना तक ओवरसब्सक्राइब किया गया – जिसका अर्थ है कि कंपनी द्वारा उस समय पेशकश किये जा रहे शेयरों की तुलना में इसके लिए कई गुना अधिक बोली लगाने वाले इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी की तलाश में थे.

शेयर बाजार में कारोबार वाले अपने पहले दिन – 23 जुलाई 2021 – को इसका समापन मूल्य (क्लोजिंग प्राइस) 126 रुपये था. अब 2022 की बात करें तो ज़ोमैटो के इक्विटी शेयरों की कीमत इस मंगलवार (26 जुलाई) को 41.6 रुपये तक गिर गई थी.

दलाल स्ट्रीट पर हुआ यह खूनखराबा ज़ोमैटो के लिए बहुत निर्मम साबित हुआ है – इसके शेयर की कीमत सोमवार को 14 प्रतिशत और मंगलवार को 12.6 प्रतिशत गिर गई.

ज़ोमैटो, नए जमाने की बिग टेक से संबंधित उन कई कंपनियों में से एक है जिन्होंने 2021 में अपने आईपीओ लॉन्च किए थे. लेकिन उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि पिछले साल के इस सबसे बड़े आईपीओ लॉन्च के लिए निवेशकों का अति उत्साह अब फीका पड़ गया है.

यह रिपोर्ट 2021 के 6 प्रमुख टेक आईपीओ लॉन्च – ज़ोमैटो, पेटीएम, नायका, फिनो पेमेंट्स बैंक, पॉलिसी बाजार और कारट्रेड टेक – के विश्लेषण पर आधारित है.

इस विशेलषण में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में इन शेयरों के लिए उपलब्ध पहले की कीमतों को नोट किया गया है, और फिर 26 जुलाई 2022 को शेयर के क्लोजिंग प्राइस की तुलना शेयर बाजार में इसके पहले दिन के क्लोजिंग प्राइस से की गई है.


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यह सिर्फ ज़ोमैटो की ही बात नहीं है

इन 6 कंपनियों में से ज़ोमैटो के शेयर की कीमतों में गिरावट सबसे तेज है क्योंकि निवेशकों ने एक साल पहले किए गए कुल निवेश का लगभग 66 प्रतिशत गंवा दिया है.

इसके बाद, पीबी फिनटेक – जिसे पॉलिसी बाजार के रूप में जाना जाता है – का शेयर मूल्य आता है. सब्सक्रिप्शन के अंतिम दिन इस बीमा एग्रीगेटर के शेयरों के लिए 16 गुना से अधिक की बोली लगी थी.

इसके लॉन्च के दिन (15 नवंबर 2021 को) पॉलिसी बाजार के प्रत्येक शेयर का मूल्य 1,202.3 रुपये था. 26 जुलाई 2022 को इसी शेयर की कीमत सिर्फ 471 रुपये थी.

इसके बाद आता है पेटीएम, जो भारत के शुरुआती डिजिटल मनी ट्रांसफर प्लेटफॉर्म में से एक है. शेयर बाजार में कारोबार के अपने पहले दिन (18 नवंबर 2021 को), वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड – पेटीएम की मूल कंपनी – के एक शेयर की कीमत 1,560 रुपये थी. 26 जुलाई को इसकी कीमत 692 रुपये पर आ गई है.

कारट्रेड टेक – एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जहां लोग सेकेंड हैंड कारों की खरीद बिक्री कर सकते हैं – ने पिछले साल अगस्त में शेयर बाजार में पहले दिन 1,501 रुपये प्रति शेयर के मूल्य साथ अपना आईपीओ लॉन्च किया था. अभी कारट्रेड टेक के एक शेयर का मूल्य 671 रुपये है.

फिनो पेमेंट्स बैंक, जो मूल रूप से बैंकिंग से संबंधित तकनीकी समाधान प्रदान करती है, के शेयर की कीमतें भी एक साल में आधी हो गईं हैं. शेयर बाजार में उतरने के इसके पहले दिन (12 नवंबर 2021) को) इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 543 रुपये थी, जो 26 जुलाई तक गिरकर 259 रुपये पर आ गई थी.

कॉस्मेटिक (सौंदर्य प्रसाधन) उत्पाद बेचने वाली ई-कॉमर्स कंपनी ‘नायका’ ने पिछले साल नवंबर में अपना आईपीओ लॉन्च किया था और इसके शेयर मूल्य में इन सभी कंपनियों की तुलना में सबसे धीमी गिरावट देखी गई है. बाजार में इसके पहले दिन (10 नवंबर 2021 को) इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 2,205 रुपये थी, जो 26 जुलाई को गिरकर 1,447 रुपये पर आ गई थी.

सीधे शब्दों में कहें तो यदि आपने पिछले साल भारतीय तकनीकी कंपनियों के आईपीओ लांच की भीड़चाल में इनके कारोबार के पहले दिन में 10,000 रुपये का निवेश किया था, तो ज़ोमैटो में निवेश करने पर इसका मूल्य वर्तमान में 3302 रूपये है. पॉलिसी बाजार के लिए यह राशि 3,597 रुपये और पेटीएम के मामले में 4,434 रुपये है. कारट्रेड के लिए यह निवेश 4,470 रुपये पर होता और फिनो पेमेंट्स बैंक में निवेश करने पर यह मूल्य 4,478 रुपये बनता. नायका के साथ जाने पर यही निवेश 6,137 रुपये होता.

ऐसा हुआ क्यों?

दिल्ली स्थित निवेश कंपनी ‘कम्प्लीट सर्कल कैपिटल’ में साझेदार और इस फर्म के उपाध्यक्ष आदित्य कोंडावर का कहना है कि इस तरह की घटना के पीछे कई सारे कारक हैं.

उन्होंने कहा, ‘आईपीओ के लिए मची पागलपन वाली भीड़चाल कोई नई बात नहीं है. आईपीओ के प्रति अति उत्साह का भारत में अपना एक इतिहास रहा है. हमारे साथ ऐसा ही कुछ वाई2के (साल 2000) के दौरान भी हुआ था, जब इंटरनेट कंपनियां अपने आईपीओ के साथ आई थीं. 2007-08 में रियल एस्टेट, 2015 में पैथोलॉजी और अस्पताल, 2016 में एमएफआई माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस और बैंक, 2017 में बीमा क्षेत्र, 2018 में रक्षा, रसायन, फार्मा और फिर 2021 में नए जमाने की कंपनियां / स्टार्ट-अप, इसी प्रवृत्ति के उदहारण हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आईपीओ की प्रकृति ही ऐसी है कि यह हमेशा बाजार में आई तेजी या अति उत्साह के समय में आता है. अगस्त 2020 में 30 डीआरएचपी (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) की फाइलिंग देखी गई, जिसका अर्थ है 1 डीआरएचपी प्रतिदिन!’

डीआरएचपी तब दायर किया जाता है जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लॉन्च करना चाहती है. यह मूल रूप से इस पेशकश के लिए आधिकारिक पंजीकरण के रूप में कार्य करता है.

इसके अलावा, कोंडावर ने बिग टेक आईपीओ में आई बड़ी गिरावट के कारण के रूप में मैक्रोइकॉनॉमिक (वृहत् अर्थशास्त्र संबंधी) कारकों का भी हवाला दिया.

उन्होंने कहा, ‘सब कुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. साल 2020-21 में, केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की थी और बड़ी मात्रा में बाजार में मौद्रिक तरलता (लिक्विडिटी) पैदा की थी, ताकि उन अर्थव्यवस्थाओं को मदद पहुंचाई जा सके जो कोविड के कारण दबाव में थीं. स्वाभाविक रूप से, यह लिक्विडिटी संपत्ति निर्माण के पीछे लगी और इसने उस पागलपन को जन्म दिया जिससे मूल्यांकन संबंधी बुलबुले (वैल्यूएशन बबल्स) पैदा हुए.’

उनका यह भी कहना था, ‘हालांकि, इस साल, दुनिया भर के केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को कम करने और अर्थव्यवस्था के अन्य मुद्दों को संभालने के मकसद से ब्याज दरों में वृद्धि के चक्र में चले गए हैं, इससे शेयरों का मूल्यांकन (इक्विटी वैल्यूएशन) प्रभावित हो रहा है क्योंकि मुक्त तरलता (फ्री लिक्विडिटी) बाजार से बाहर जा रही है और निवेशक मूल्यांकन पर सवाल उठा रहे हैं. ब्याज दरों और इक्विटी वैल्यूएशन के बीच विपरीत संबंध होता है.‘

हालांकि, बिग टेक कंपनियों के संबंध में, कोंडावर ने कहा कि इन फर्मों का मूल्यांकन शुरू से हीं उचित नहीं था.

वे कहते हैं, ‘बिग टेक कंपनियों के साथ जुडी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक उनका मूल्यांकन था. इनके मूल्य में आई यह गिरावट उसी चीज को परिलक्षित करता है. एक समय था ऐसा जब पॉलिसी बाजार के शेयर का मूल्य भारत की कुछ बीमा कंपनियों की तुलना में भी अधिक था. मेरा मतलब है कि कोई एग्रीगेटर इनके लिए उत्पाद बेचने वाली वास्तविक कंपनियों से बड़ा कैसे हो सकता है?’

डिस्क्लोजर : पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा दिप्रिंट के प्रतिष्ठित संस्थापक-निवेशकों में से एक हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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