बेंगलुरु, 17 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम से संबंधित मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने पर भी इसके खिलाफ प्रदर्शन किए जाने की अनुमति देने पर बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में जारी कार्यवाही को देखते हुए इस तरह के प्रदर्शन की अनुमति देना अनुचित है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कर्नाटक को यह ध्यान में रखना चाहिए कि वक्फ अधिनियम में संशोधन के संबंध में मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और इस तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’
अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसे विरोध-प्रदर्शनों से सार्वजनिक सड़कें बाधित न हों तथा इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शन केवल निर्धारित स्थानों पर और आधिकारिक अनुमति के साथ ही किए जाने चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि अनुमति नहीं है तो कोई प्रदर्शन भी नहीं होना चाहिए।’’
मंगलुरु निवासी राजेश ए द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने ये टिप्पणियां कीं।
याचिका में शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा जारी एक पत्र को चुनौती दी गई थी, जिसमें निजी बस चालकों और कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम को निर्देश दिया गया था कि वे वक्फ अधिनियम संशोधन के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन के मद्देनजर शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से रात नौ बजे तक राष्ट्रीय राजमार्ग 73 के एक हिस्से पर सेवाएं संचालित न करें।
भाषा प्रीति वैभव
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