scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेश‘नियंत्रित करने का प्रयास नहीं’, फर्जी खबरों की जांच के लिए कर्नाटक सरकार नियुक्त करेगी 'फैक्ट चेकर्स'

‘नियंत्रित करने का प्रयास नहीं’, फर्जी खबरों की जांच के लिए कर्नाटक सरकार नियुक्त करेगी ‘फैक्ट चेकर्स’

सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फैक्ट चेक कंपनियों को नियुक्त करने की योजना बना रही है जो ऑनलाइन जानकारी का पता लगाने और खबरों को वर्गीकृत करने के लिए एआई का उपयोग करती हैं.

Text Size:

बेंगलुरु: कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सोशल मीडिया पर पोस्ट होने वाले कंटेट की जांच और उसके सत्यापन करने तथा फर्जी खबरें फैलाने वाले लोगों पर नकेल कसने के लिए “फैक्ट चेकर्स” की नियुक्ति की योजना बना रही है.

कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने दिप्रिंट को बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने वाली फैक्ट चेक कंपनियों की एक सूचि बनाई जा रही है जो राज्य सरकार को इससे जुड़ी जरूरी जानकारी प्रदान करेगी.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सोशल मीडिया पर मौजूद कंटेट को तीन तरीकों से वर्गीकृत किया जाएगा- सूचना, गलत सूचना और दुर्भावनापूर्ण जानकारी.

मंत्री ने कहा, “इन कंपनियों की सेवाओं का उपयोग न केवल ‘प्रतिक्रियाशील’ कार्रवाई बल्कि ‘पूर्व-निवारक’ कार्रवाई के लिए भी किया जाएगा. मान लीजिए कि बकरीद का त्यौहार आ रहा है. इसी तरह भारत-पाकिस्तान का मैच आ रहा है. साथ ही मणिपुर वाला मुद्दा भी चर्चा में है. हम जानते हैं कि इसमें एक पैटर्न है. इन तमाम चीजों की निगरानी की जरूरत है.”

सोमवार को अपने मंत्रियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने फर्जी खबरों, फर्जी ईमेल और साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कर्नाटक में एक फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना को मंजूरी दे दी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सीएमओ ने ट्वीट कर लिखा, “फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए इसे बनाने वाले सिंडिकेट का पता लगाकर और उन्हें सजा दिलाने के लिए त्रि-स्तरीय उपाय को मंजूरी दी गई है.”

फैक्ट चेक यूनिट में कथित तौर पर एक निगरानी समिति और तथ्य-जांच विश्लेषण टीम शामिल होगी और इसके लिए एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा.

राज्य सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘फैक्ट चेक’ विभाग के लिए दिशानिर्देशों की तैयारी चल रही है और कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की अधिकांश धाराएं इसके दायरे में होंगी. इसके अलावा, राज्य का गृह विभाग आईटी विभाग के सहयोग से इसके लिए दिशानिर्देशों को लागू करेगा.

कर्नाटक सरकार “ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करने की योजना बना रही है जिसके पोस्ट या जानकारी (गलत सूचना) से राज्य में अशांति फैलती है”.

खड़गे ने कहा, “दुर्भावनापूर्ण इरादे से गलत सूचना फैलाना एक अपराध होगा. हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वह कानून और व्यवस्था बनाए रखना और फर्जी पोस्ट को खारिज करना है. हम केंद्र सरकार की तरह इसे नियंत्रित करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.”

मंत्री के अनुसार, राज्य मशीनरी फर्जी या दुर्भावनापूर्ण जानकारी के प्रसार पर निरंतर निगरानी रखने के लिए एक्स, मेटा और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के संपर्क में रहेगी.

दिप्रिंट ने इस विषय पर बात करने के लिए कर्नाटक गृह विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों से फोन पर संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें: बिहार में मल्लाह वोटों पर दांव, ‘जबरदस्त सौदेबाजी’ करने वाले मुकेश सहनी बीजेपी के लिए एक कठिन चुनौती हैं


‘समाज में पैदा की जा रही है अशांति’

मई में बीजेपी को हराकर सत्ता हासिल करने वाली सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने प्रशासन संभालने के तुरंत बाद घोषणा की थी कि वह कर्नाटक में गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाएगी.

सीएमओ ने जून में कहा था, “जैसे-जैसे (2024) लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, फर्जी खबरें फैलाने के अधिक प्रयास किए जा रहे हैं और समाज में अशांति पैदा की जा रही है.”

उसी महीने, प्रियांक खड़गे ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और उसके वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाने वाली दुर्भावनापूर्ण, झूठी और माहौल खराब करने वाली सामग्री के प्रसार के लिए बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और चंडीगढ़ बीजेपी प्रमुख अरुण सूद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में कहा गया कि उनके पोस्ट से लोगों के बीच शत्रुता को बढ़ावा मिलेगा और इससे लोग भड़क सकते हैं.

मामला 17 जून को मालवीय द्वारा शेयर किए गए एक एनिमेटेड वीडियो से संबंधित है. शिकायत में, खड़गे ने वीडियो को “वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के उत्थान को रोकने के लिए एक राष्ट्र-विरोधी उद्देश्य को रेखांकित करने वाला एक विदेशी वॉयसओवर” बताया.

इसमें रेखांकित किया गया, “उक्त वीडियो कांग्रेस के साथ-साथ हमारे पार्टी के वरिष्ठ नेता, श्री राहुल गांधी को बदनाम करने और इस विनाशकारी एजेंडे में साजिशकर्ता के रूप में कांग्रेस और उसके नेताओं को चित्रित करके बदनामी के स्पष्ट इरादे से बनाया और प्रकाशित किया गया है. यह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है और भारतीय दंड संहिता के तहत एक दंडनीय अपराध है.”

गुरुवार को खड़गे ने कहा, “लंबे समय से बीजेपी के आईटी हैंडल जहर उगल रहे हैं, सांप्रदायिक वैमनस्य और झूठी खबरें फैला रहे हैं. इसलिए, अब समय आ गया है कि इन लोगों पर लगाम लगाई जाए. इस काम में उनके आईटी प्रमुख भी शामिल हैं. उन्होंने 17 जून को जो कुछ भी डाला वह बेहद दुर्भावनापूर्ण है और हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं.”

इससे पहले, 2020 में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट के विरोध प्रदर्शन के बाद बेंगलुरु में दंगा भड़क गया था. यह पोस्ट कथित तौर पर कांग्रेस के पुलकेशीनगर विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन द्वारा डाला गया था, जिन्होंने दावा किया था कि मेटा पर उनका अकाउंट हैक हो गया था.

दिसंबर 2017 में, पिछले सिद्धारमैया के नेतृत्व वाले कांग्रेस प्रशासन ने उत्तर कन्नड़ जिले के होन्नावर शहर में मछुआरे परेश मेस्टा की मौत पर बीजेपी नेता शोभा करंदलाजे द्वारा किए गए दावों को खारिज करने की कोशिश की थी. पड़ोसी उडुपी-चिकमंगलूर से बीजेपी सांसद करंदलाजे ने सोशल मीडिया पर कहा था कि मेस्टा को “जिहादियों द्वारा प्रताड़ित किया गया और उन्हें मार डाला गया”.

आरोप के बाद, राज्य पुलिस ने 11 दिसंबर, 2017 को मणिपाल (उडुपी जिले) में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा जारी एक रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें कहा गया था कि “इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि मेस्टा को प्रताड़ित किया गया था”.

सीबीआई ने पिछले साल मेस्टा मामले में दायर अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मौत का कारण “मृत्यु पूर्व डूबना” बताया था.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कोर्ट के आदेश के बावजूद पति नहीं दे रहा गुजारा भत्ता? बकाया के लिए सिविल मुकदमा दायर किया जा सकता है: HC


 

share & View comments