पणजी, 25 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार की ‘मानसिक संतुलन खोने संबंधी’ टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शुक्रवार को कहा कि यह बयान कांग्रेस की संस्कृति को दर्शाता है।
शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सावंत ने “मानसिक संतुलन खो दिया है” और कर्नाटक महादेई नदी परियोजना पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि सावंत संघीय ढांचे से अनभिज्ञ हैं।
शिवकुमार की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब सावंत ने विधानसभा में कहा कि गोवा राज्य महादेई नदी पर कर्नाटक द्वारा कार्य जारी रखने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाएगा।
पणजी में संवाददाताओं से बात करते हुए सावंत ने शुक्रवार को कहा, “शिवकुमार का बयान कांग्रेस की संस्कृति को दर्शाता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम महादेई नदी का जल मोड़ने से बचाने की अपनी मांग को उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार के समक्ष गंभीरता से रख रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “वह (शिवकुमार) कांग्रेस की संस्कृति दिखा रहे हैं। हम इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं और केंद्र के साथ संवाद जारी रखेंगे।”
सावंत ने कहा, “जब कोई व्यक्ति निराश होता है तो वह इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करता है। कर्नाटक के कांग्रेस नेता आपस में यह प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं कि कौन कितना नीचे गिर सकता है।”
गोवा सरकार कर्नाटक की कलसा-बंदूरी परियोजना का विरोध कर रही है। इस परियोजना के तहत कर्नाटक सरकार धारवाड़, बेलगावी, बागलकोट और गडग जिलों में पेयजल आपूर्ति बढ़ाने के लिए महादेई नदी का जल मालाप्रभा नदी की ओर मोड़ने का प्रस्ताव लेकर आई है।
महादेई नदी कर्नाटक और गोवा से होते हुए अरब सागर में जाकर मिलती है। गोवा में इसे मांडवी नदी के नाम से जाना जाता है और यह राज्य की दो प्रमुख नदियों में से एक है।
महादेई नदी का जल मोड़ने का मामला लंबे समय से गोवा और कर्नाटक के बीच विवाद का विषय रहा है।
गोवा का कहना है कि इससे राज्य की वनस्पति और जीव-जंतुओं पर गंभीर असर पड़ेगा।
वर्ष 2018 में महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण ने अंतर-राज्यीय जल विवाद पर फैसला सुनाते हुए कर्नाटक को 13.42 टीएमसी फीट, महाराष्ट्र को 1.33 टीएमसी फीट और गोवा को 24 टीएमसी फीट जल आवंटित किया था। इस निर्णय को केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में अधिसूचित किया था।
भाषा राखी वैभव
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