बेंगलुरु, 14 फरवरी (भाषा) कर्नाटक में कांग्रेस विधायकों ने सोमवार को राज्य विधानमंडल की संयुक्त बैठक में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान काली पट्टी पहनी। उन्होंने हिजाब विवाद के अलावा नई दिल्ली में हुई गणतंत्र दिवस परेड में समाज सुधारक नारायण गुरु की झांकी को शामिल न किए जाने के विरोध में यह कदम उठाया। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि हिजाब विवाद में भाजपा सरकार की भूमिका है।
मुख्य विपक्षी दल ने राज्य विधानसभा में ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा के हालिया बयान को लेकर उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि लाल किले पर भविष्य में राष्ट्रीय ध्वज की जगह ‘भगवा झंडा’ फहराया जा सकता है।
सदन में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने कहा, ‘हम काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं, क्योंकि हिजाब का मुद्दा उन्होंने (भाजपा सरकार) खड़ा किया है, उन्होंने ही छात्रों को भगवा शॉल के साथ (कॉलेजों में) भेजा। यह हम नहीं कह रहे हैं, उन्होंने खुद इसे स्वीकार किया है, ईश्वरप्पा (मंत्री) ने इसे स्वीकार किया है।’
यहां संवाददाताओं से बातचीत में सिद्धरमैया ने कहा, ‘काली पट्टी गणतंत्र दिवस परेड के लिए नारायण गुरु की झांकी खारिज किए जाने के विरोध में भी पहनी गई।’
उन्होंने ईश्वरप्पा के विवादित बयान को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई और आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग करते हुए कहा, ‘देशभक्त ऐसी बातें नहीं बोलते हैं।’
कर्नाटक विधानमंडल का दस दिवसीय संयुक्त सत्र जो 25 फरवरी तक चलेगा, सोमवार को राज्यपाल थावर चंद गहलोत द्वारा विधानसभा और विधान परिषद की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ शुरू हुआ।
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी हिजाब विवाद को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पार्टी राजनीति के लिए छात्रों का इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध के प्रतीक के रूप में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान काली पट्टी बांध रखी थी।
शिवकुमार ने आरोप लगाया कि राज्य में कोई कानून व्यवस्था नहीं है और पुलिस सहित सरकारी अधिकारियों का भी राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्यपाल थावर चंद गहलोत से ईश्वरप्पा को राज्य कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ईश्वरप्पा के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
भाषा पारुल उमा
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