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Thursday, 7 November, 2024
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तेलुगू-उपदेशक से राजनेता बने के.ए पॉल कौन हैं और BJP को उनमें इतनी दिलचस्पी क्यों

सौ से ज्यादा देशों में 'शांति यात्रा' करने का दावा करने वाले पॉल, अमित शाह समेत कई भाजपा नेताओं से मिले हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह 'मिशन साउथ की रणनीति का हिस्सा' है.

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हैदराबाद: देश-विदेश में घूमकर इसाई धर्म का प्रचार करने वाले उपदेशक और आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के तेलुगु राज्यों के ईसाई समुदायों में अपने दबदबे के चलते राजनेता बने के.ए. पॉल के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मई में बैठक ने दक्षिणी राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. बाद में पॉल ने जुलाई में केंद्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से भी मुलाकात की.

हालांकि रूपाला ने बाद में कहा कि यह सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात थी लेकिन इस मुलाकात ने बहुत से लोगों की भौहें चढ़ा दीं.

पॉल की टीम ने दिप्रिंट को बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में शाह ने तेलुगू राजनेता को सरकारी सुरक्षा देने के लिए कहा था क्योंकि पॉल ने अपनी जान को खतरा बताया था. ईसाई उपदेशक पॉल ने दिप्रिंट के साथ बातचीत में दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन पर कई बार बातचीत की है. पॉल अपने फेसबुक पेज पर 2016 की एक तस्वीर में मोदी से हाथ मिलाते हुए भी नज़र आ रहे हैं.

तो, कौन हैं के.ए. पॉल और बीजेपी को उनमें इतनी दिलचस्पी क्यों है?

आंध्र प्रदेश के किलारी आनंद पॉल एक ईसाई धर्म के वैश्विक प्रचारक हैं, जो दावा करते हैं कि उन्होंने कई युद्धग्रस्त देशों का दौरा किया और विश्व के नेताओं को सलाह दी है. 58 साल के पॉल के पास खुद का बोइंग 747 विमान हैं और वह सौ से ज्यादा देशों में ‘शांति दौरों’ पर गए हैं.

पॉल की टीम के अनुसार, वह यूएस के दो स्वतंत्र संगठनों- ग्लोबल पीस इनिशिएटिव और गॉस्पेल टू अनरीच्ड मिलियंस के प्रमुख हैं. गॉस्पेल टू अनरीच्ड मिलियंस ईसाई धर्म के प्रचार में लगा हुआ है.

मई में तेलुगु चैनल को दिए एक इंटरव्यू में पॉल ने रूस-यूक्रेन युद्ध संघर्ष पर चर्चा करने के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने का दावा किया था. साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास 100 ट्रिलियन डॉलर के मूल्य की संपत्ति है और उन्होंने कई मौकों पर राजनीतिक दलों को पैसे भी मुहैया कराए हैं. इसमें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का अलग तेलंगाना राज्य के लिए किया गया आंदोलन भी शामिल है.

उन्होंने 2008 में प्रजा शांति पार्टी की स्थापना की और कई पीएसपी उम्मीदवारों के साथ 2019 आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट जीत पाने में सफल नहीं हो पाए.

बीजेपी नेता और तेलंगाना विधान परिषद के पूर्व सदस्य रामचंदर राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘अमित शाह ने पॉल के साथ एक औपचारिक बैठक की होगी क्योंकि उन्होंने खुद को एक निश्चित समुदाय के एक मजबूत नेता के तौर पर पेश किया होगा.’ वह आगे कहते हैं, ‘शाह व्यक्तिगत रूप से तेलंगाना में पूरे कामकाज की निगरानी कर रहे हैं, जहां भाजपा आक्रामक रूप से खुद को स्थापित करना चाहती है. राजनीतिक रूप से तेलंगाना और आंध्र में उनका आधार काफी कम है.’

दिप्रिंट से बात करते हुए पॉल ने कहा कि उन्होंने शाह से कहा कि प्रजा शांति पार्टी के उम्मीदवार तेलंगाना में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है.

पॉल ने कहा, ‘सिर्फ भाजपा ही क्यों? प्रजा शांति पार्टी भी केसीआर (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव) का कड़ा विरोध करते हुए मैदान में उतरना चाहती है. मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं न सिर्फ तेलंगाना में बल्कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर-पूर्व और केरल सहित अन्य लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर कितना गंभीर हूं. शाह और रूपाला जी दोनों उस बात पर सहमत थे कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए.’

पॉल ने कहा, ‘मैंने अमित शाह से यहां तक कह दिया था कि मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं.’

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक तेलकापल्ली रवि के अनुसार, पॉल को भाजपा ‘मोहरे’ के रूप में इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा, ‘पॉल के पास बहुत सारा पैसा है और भाजपा हमेशा फ्रिंज तत्वों को प्रोत्साहित करने की कोशिश करती है- चाहे वह किसी भी समुदाय से हो. यह उनकी रणनीति है. ऐसा प्रतीत होता है कि वे उसे मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और ये बैठकें लोगों को भ्रमित करने के लिए सिर्फ डायवर्सन तकनीक हैं. मुझे नहीं लगता कि राजनीतिक रूप से इसके कोई मायने हैं.’


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पॉल के बड़े-बड़े दावे

दिप्रिंट से बातचीत में पॉल ने कहा कि शाह और रूपाला के साथ उनके संबंध उस समय के हैं जब वे गुजरात में थे. उन्होंने गुजरात में 2001 के भूकंप के दौरान ‘फंड’ देकर राज्य की मदद की थी और तब से, शाह और कुछ अन्य भाजपा नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं. पॉल ने कहा कि शाह के साथ उनकी हालिया बैठक में ‘फंड अरेंज’ करने के बारे में भी चर्चा हुई थी.

आंध्र के चित्तिवलासा गांव में जन्मे, पॉल ने आर्थिक रूप से मुश्किल भरे शुरुआती सालों की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनकी यात्रा को ‘बोग्गुलानुंडी बोइंग वरकू’ कहा जा सकता है, इसका मतलब है ‘कोयले से बोइंग तक का उनका सफर’. उन्होंने 1980 के दशक के अंत में लोकप्रियता हासिल कर ली थी.

एक इंजीलवादी के रूप में उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से दो दशक पहले, इतनी बड़ी थी कि उनके और महान अमेरिकी इंजील प्रचारक बिली ग्राहम के बीच समानताएं खींची जा रही थीं.

कथित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के विश्वास सलाहकार बोर्ड में होने और अध्यक्ष बनने से पहले पॉल ने 2016 में एक अभियान बैठक के दौरान ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप और बेटी इवांका ट्रंप के साथ तस्वीरें खिंचवाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह और पूर्व पाकिस्तानी पीएम बेनजीर भुट्टो, सूडान के राष्ट्रपति उमर अल-बशीर और 39वें अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर से मुलाकात की.

पॉल के दावों की सूची लंबी है. उनके मुताबिक, उन्होंने ट्रंप को भारतीय अप्रवासी छात्रों पर कोई कठोर निर्णय नहीं लेने के लिए मनाया था, पीएम मोदी से सर्जिकल स्ट्राइक के साथ आगे नहीं बढ़ने का अनुरोध किया और पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान से भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा करने के बारे में बात की थी. वह 2019 में देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद थोड़े समय के लिए पाकिस्तानी सेना की हिरासत में थे. पॉल ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अतीत में इराक और लाइबेरिया जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति की दिशा में काम किया है.

सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में पॉल का सबसे हालिया दावा यह है कि उन्होंने यूक्रेन पर हमले को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी अनुरोध किया था. इमोशनल वीडियो में उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में पुतिन से फोन पर बात की थी.

रूपाला ने 2021 में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को लिखे एक पत्र में पॉल को शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था. इसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है. उपदेशक का दावा है कि उन्हें इस सम्मान के लिए सात बार नामांकित किया गया है.


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‘मिशन साउथ का हिस्सा’

तेलुगु राज्यों में वापस आते हैं, यहां पॉल को हमेशा सोशल मीडिया पर बेरहमी से ट्रोल किया गया है. सैकड़ों वीडियो ऑनलाइन उनके कई दावों का मजाक उड़ाते नजर आते हैं.

हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ उनकी राजनीतिक पार्टी को महत्वहीन मानते हैं. उनके मुताबिक, उनकी पार्टी को जिन भी लोगों का थोड़ा-बहुत समर्थन मिलेगा, वह काफी हद तक ईसाई समुदाय से होगा. पॉल तेलुगु राज्यों में कई ईसाई संगठनों से जुड़े हैं और कई पादरियों के संपर्क में भी हैं.

एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘अमित शाह तेलंगाना में अपने पैर जमाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मिल रहे हैं क्योंकि भाजपा राज्य में अगले चुनाव को लेकर बहुत गंभीर है. पॉल ईसाई समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति है, इसलिए शायद राजनीतिक रूप से नहीं लेकिन सामुदायिक रूप से वह एक खास व्यक्ति है. यह सब रणनीति का हिस्सा है और अगर भाजपा सत्ता में आना चाहती है, तो हमें हर तरह के लोगों से सलाह लेनी होगी.’

भाजपा सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के खिलाफ जीत के बाद तेलंगाना पर ध्यान दे रही है, जिसकी शुरुआत 2020 में दुब्बाका उपचुनाव से हुई थी. भाजपा ने पिछले महीने हैदराबाद में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक भी आयोजित की थी ताकि यह दिखाया जा सके कि दक्षिण राज्यों को लेकर भाजपा कितनी गंभीर है. पार्टी अपने ‘मिशन साउथ‘ को लेकर आगे बढ़ रही है जिसमें तेलंगाना पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है.

भाजपा के एक अन्य नेता ने मजाक में कहा कि शाह राज्य के सभी संभावित लोगों से मिल रहे हैं, जिनका साझा दुश्मन केसीआर है. वह बताते हैं, ‘केटीआर (के.टी. रामाराव, सीएम केसीआर के बेटे और आईटी मंत्री) से एक बार पूछा गया था कि राज्य में उनकी पार्टी का मुख्य विपक्ष कौन है और उन्होंने भाजपा और अन्य दलों को नीचा दिखाने के लिए मजाक में के.ए. पॉल का नाम लिया था. इसलिए भाजपा ने केटीआर के मुख्य विपक्ष से मुलाकात की है.’

उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी यह सब शोर-शराबा करने के लिए भी किया जाता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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