नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में रविवार को आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने औली रोपवे, मनोहरबाग, शंकराचार्य मठ, जेपी कालोनी आदि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया. उनके साथ भू-वैज्ञानिक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
सिन्हा ने औली रोपवे तथा शंकराचार्य मठ के निकट के क्षेत्र तथा घरों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि मकानों में पड़ी दरारों तथा भू-धंसाव के पैटर्न रूट की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए.
बीते कुछ हफ्तों से जोशीमठ लगातार दरक रहा है जिसके बाद से सभी की नज़रें इसकी तरफ पड़ी है. हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यहां का दौरा किया था.
रंजीत कुमार ने कहा, ‘राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है. एनजीआरआई अंडर ग्राउंड वाटर चैनल का अध्ययन कर रही है. अध्ययन के बाद एनजीआरआई द्वारा जियोफिजिकल तथा हाइड्रोलाॅजिकल मैप भी जारी किया जाएगा. यह मैप जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान तथा स्टेबलाइजेशन प्लान में काम आएंगे.’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी उत्तराखंड के जोशीमठ की उपग्रह छवियों से पता चलता है कि हिमालयी शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया. हालांकि इसरो ने अपनी वेबसाइट से रिपोर्ट को हटा लिया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, आर के सिंह, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत व शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में हुई एक बैठक में जोशीमठ की स्थिति और लोगों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का आकलन किया था. अब तक 589 सदस्यों वाले कुल 169 परिवारों को राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है.
बता दें कि बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली के प्रवेश द्वार जोशीमठ को भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
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‘राज्य की प्राथमिकता है लोग’
सिन्हा ने बताया कि भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं बचाव पहुंचाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. प्रभावित परिवारों को तात्कालिकता के साथ सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘प्रभावित भवनों के चिन्हीकरण का कार्य निरंतर जारी है. भूवैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों की टीमें भूधसांव के कारणों की जांच के कार्य में लगी है. प्रशासन प्रभावितों के निरंतर संपर्क में है. राहत शिविरों में उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है.’
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ के परिवारों के लिए 45 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी. बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में हुए भू-धंसाव संकट के मद्देनजर शुक्रवार को क्षेत्र के 99 प्रभावित परिवारों को 1.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करने की बात कही थी.
इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी धामी से मुलाकात की और जोशीमठ में प्रभावित परिवारों के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा की थी.
डॉ. रंजीत सिन्हा से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई जोशीमठ में कार्य कर रही है.
इससे पहले शनिवार को रंजीत सिन्हा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि बेहतर सर्वेक्षण परिणाम प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग पूरे जोशीमठ में 10 स्थानों पर भू-भौतिकीय सर्वेक्षण करने का लक्ष्य बना रहा है.
सिन्हा ने बताया, ‘वे जोशीमठ के जल निकासी सिस्टम पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं और इस पर काम चल रहा है. चार कंपनियों ने जल निकासी अनुबंध के लिए बोली लगाई है और आवश्यक तकनीकी क्षमताओं वाली कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.’
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सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
पिछले कुछ समय से जोशीमठ में बने घरों की दरारें तेज़ी से बढ़ने के बाद लोगों को वहां से सुरक्षित जगह विस्थापित किया गया है. अचानक अपना घर छोड़ने के वजह ने लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है.
घरों में पड़ रही दरारों को देखते हुए कई निवासियों ने पहले ही अपने घर खाली कर दिए थे और शहर के बाहर रह रहे अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले लिया है.
बढ़ती दरारों को देखते हुए जोशीमठ में कई मकान एवं होटलों को भी गिराया गया. हालांकि होटल मालिकों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सरकार से सही मुआवज़े की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड 16 जनवरी की वाद सूची के अनुसार प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिसपी एस नरसिंह और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की बेंच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था कि स्थिति से निपटने के लिए ‘लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं’ हैं और सभी महत्वपूर्ण मामले उसके पास नहीं आने चाहिए. अदालत ने सरस्वती की याचिका को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.
बता दे इससे पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से जोशीमठ में निर्माण पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने को कहा था.
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