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Saturday, 20 April, 2024
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सैनिकों के अधिकारों के पैरोकार नवदीप सिंह अब राष्ट्रमंडल सचिवालय के सैन्य न्याय पैनल में शामिल

सिंह, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक वकील, संवैधानिक और सेवा कानून के विशेषज्ञ हैं और टेरीटोरियल आर्मी में एक मेजर के रूप में सेवा दे चुके हैं.

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नई दिल्ली: पिछले साल पांच सदस्यीय सैन्य न्याय सलाहकार समिति के गठन के बाद, राष्ट्रमंडल सचिवालय, जो कि 56 देशों की एक अंतर-सरकारी एजेंसी है, ने अब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील नवदीप सिंह को वैश्विक विशेषज्ञों में से एक घोषित किया है जो समिति का गठन करेंगे.

एजेंसी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मेजर नवदीप सिंह, जिनकी समिति में नियुक्ति की घोषणा राष्ट्रमंडल सचिवालय ने 12 जनवरी को की थी, सक्रिय रूप से सैनिकों के अधिकारों और ट्रिब्यूनलाइजेशन से जुड़े हुए हैं और संवैधानिक और सेवा कानून के विशेषज्ञ हैं. वह 2009 में चंडीगढ़ में स्थापित सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं और टेरीटोरियल आर्मी में एक मेजर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं.

इसके अतिरिक्त, वह विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के सदस्य थे, जिसे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध पर रक्षा कर्मियों से जुड़े सेवा संबंधी मुकदमेबाजी को कम करने के लिए स्थापित किया गया था.

वह सैन्य न्याय प्रक्रियाओं में स्वतंत्रता, क्षमता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए 2018 में तैयार किए गए येल ड्राफ्ट के सदस्य भी थे और ब्रसेल्स में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मिलिट्री लॉ एंड द लॉ ऑफ वॉर और वाशिंगटन में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मिलिट्री जस्टिस में फेलो हैं.

नागरिक और आपराधिक न्याय सुधार कार्यालय (ओसीसीजेआर) के तहत राष्ट्रमंडल सचिवालय “लोकतंत्र, सुशासन, शांति और कानून के शासन को बढ़ावा देता है”. यह सदस्य देशों को सैन्य न्याय सुधार और विधायी परिवर्तन लाने में भी मदद करता है.

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सदस्य देश एशिया, अफ्रीका, यूरोप, कैरेबियन और अमेरिका में फैले हुए हैं. इसे संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है और यह लंदन, यूनाइटेड किंगडम में स्थित है.


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सिंह के साथी सदस्य कौन हैं

राष्ट्रमंडल सचिवालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि सैन्य न्याय सलाहकार समिति के सभी सदस्य मानद आधार पर काम करेंगे.

सिंह के अलावा, समिति में प्रोफेसर यूजीन फिडेल शामिल हैं, जिन्होंने यूएस कोस्ट गार्ड में जज एडवोकेट के रूप में काम किया है, केविन रिओर्डन, न्यूजीलैंड में सशस्त्र बलों के जज एडवोकेट जनरल, डॉ. मिशेल नेल, दक्षिण अफ्रीका के स्टेलनबोश विश्वविद्यालय में सैन्य विज्ञान फैकल्टी में वाइस डीन हैं और यूनाइटेड किंगडम के जज एडवोकेट जनरल एलन लार्ज भी हैं.

सदस्यों में, जज लार्ज सरकार की सैन्य सेवाओं को प्रभावित करने वाले कानूनी मुद्दों के पर्यवेक्षक हैं, फिडेल सैन्य न्याय सुधार में एक वैश्विक नेता है, रिओर्डन ने परिचालन कानून, सशस्त्र संघर्ष कानून और युद्ध अपराधों पर कई मैनुअल लिखे हैं और नेल की विशेषज्ञता अंतरराष्ट्रीय कानून, सैन्य कानून और समुद्री सुरक्षा पर है.

राष्ट्रमंडल सचिवालय मॉडल सैन्य न्याय अवधारणाओं के विकास पर विचार कर रहा है.

एजेंसी की विज्ञप्ति में सैन्य ट्रिब्यूनल के माध्यम से न्याय के प्रशासन को नियंत्रित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का हवाला दिया गया है (जिसे “द डिकॉक्स प्रिंसिपल्स” के रूप में जाना जाता है), जिसे मार्च 2018 में येल लॉ स्कूल में आयोजित एक बैठक में और बेहतर बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप येल का संकलन हुआ.

इन दिशानिर्देशों का जोर सैन्य न्यायिक प्रणालियों की निष्पक्षता, योग्यता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने पर रहा है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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