रांची, 25 अगस्त (भाषा) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने झारखंड सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि राज्य प्रशासन 1.33 लाख करोड़ रुपये की अनुदान राशि के उपयोग का प्रमाणपत्र जमा करने में विफल रहा है।
झारखंड विधानसभा में सोमवार को पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक कुल 47,367 उपयोग प्रमाणपत्र लंबित थे।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऑडिट में पाया गया कि वित्त वर्ष 2022-23 तक भुगतान किए गए कुल 1,33,161.50 करोड़ रुपये के अनुदान के संबंध में 47,367 उपयोग प्रमाणपत्र मार्च 2024 के अंत तक लंबित थे।’’
अनुदान 2012-13 से 2022-23 की अवधि के लिए था।
झारखंड कोषागार संहिता में प्रावधान है कि विभागीय अधिकारियों को अनुदान प्राप्तकर्ताओं से उपयोग प्रमाणपत्र प्राप्त करना चाहिए तथा सत्यापन के बाद अनुदान वापसी की तिथि से 12 महीने के भीतर इन्हें राज्य के प्रधान महालेखाकार (ए एंड ई) को भेजना चाहिए।
रिपोर्ट में बताया गया कि 2023-24 में राज्य सरकार ने कुल 30,038.20 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, जिसमें से 8,549 करोड़ पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए था लेकिन संबंधित उपयोग प्रमाणपत्र जमा नहीं किए गए, जिससे परिसंपत्तियों के निर्माण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी।
भाषा राखी नेत्रपाल
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