नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त छात्रों के दाखिले की अनुमति रद्द करने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के समक्ष सोमवार को बॉलीवुड फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ जैसी स्थिति सामने आयी।
एक औचक निरीक्षण के आधार पर अतिरिक्त दाखिले की अनुमति रद्द की गई है, जिसमें कहा गया है कि वार्ड में सभी ‘चुस्त-तंदुरूस्त’ थे और ‘‘बच्चों के वार्ड में किसी मरीज की हालत गंभीर नहीं थी।’’
राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) ने शीर्ष अदालत को बताया कि अतिरिक्त छात्रों के दाखिले की अनुमति इसलिए रद्द कर दी गई, क्योंकि अन्य कमियों के अलावा कॉलेज में कोई ऑपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं थी।
न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है। यह मुन्ना भाई फिल्म की तरह है। वार्ड में भर्ती सभी मरीज चुस्त-तंदुरूस्त हैं। बच्चों के वार्ड में किसी मरीज की हालत गंभीर नहीं है। हमें निरीक्षण रिपोर्ट में और क्या-क्या मिला है, यह नहीं बता सकते हैं। हम आश्चर्य में हैं।’’
अन्नासाहेब चूड़ामन पाटिल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एनएमसी ने बिना किसी नोटिस के औचक निरीक्षण किया और वह भी सार्वजनिक अवकाश, ‘मकर संक्रांति’ के दिन, जिस दिन ऐसा करना मना है।
पीठ ने सिंघवी को बताया, ‘‘बीमारी मकर संक्रांति के दिन रूक नहीं जाती है। आपके मुव्वकिल (कॉलेज) ने यह नहीं कहा कि वहां कोई मरीज नहीं था।’’
पीठ बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एनएमसी और मेडिकल कॉलेज द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में आयोग द्वारा कॉलेज का नये सिरे से निरीक्षण करने और छात्रों को दाखिले की अनुमति देने को कहा था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि कानून के तहत एनएमसी औचक निरीक्षण कर सकता है और उच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया उसके अनुसार ‘‘इस प्रकार के कॉलेज’’ में उसकी शुरुआती क्षमता के अनुरुप 100 एमबीबीएस छात्रों के दाखिले की अनुमति मिली है।
मेहता ने कहा, ‘‘वहां कोई ऑपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि छात्रों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार की सलाह के बाद उन्हें दूसरे कॉलेजों में भेज दिया जाएगा।
मेहता ने कहा, ‘‘मुझे सिर्फ एक बात की ओर इंगित करना है, 100 को अनुमति दी गई थी और 50 नये थे। इस आदेश के अनुसार 100 यहां काम करते रह सकते हैं, लेकिन वे नये का दाखिला नहीं कर सकते, ताकि नये बैच को ऐसी हालात का सामना ना करना पड़े। अब अगर आप मान्यता रद्द करते हैं तो उन छात्रों को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि सरकार के साथ चर्चा के बाद हम उन्हें दूसरे कॉलेजों में भेज देंगे। लेकिन ऐसे संस्थान में और नये छात्रों का दाखिला जारी नहीं रख सकते हैं।’’
भाषा अर्पणा सुरेश
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