अहमदाबाद, 24 जनवरी (भाषा) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को कहा कि बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर कर्मियों ने पिछले साल पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास से तीन पाकिस्तानियों, दो बांग्लादेशियों और 24 भारतीयों को पकड़ा और पड़ोसी देश से नशीले पदार्थों की तस्करी के प्रयासों को भी विफल किया।
सीमा सुरक्षा बल गुजरात फ्रंटियर राजस्थान के बाड़मेर जिले से लेकर गुजरात तक 826 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है जिसमें 85 किलोमीटर तटीय क्षेत्र भी शामिल है।
बीएसएफ ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पकड़े गए 24 भारतीय नागरिकों में से दो पंजाब के तस्कर थे जो सीमापार अपराधों में शामिल पाए गए और वे राजस्थान के बाड़मेर सेक्टर में सीमावर्ती इलाके में पाकिस्तानी तस्करों से 15 किलोग्राम हेरोइन की खेप लेने आए थे।
बीएसएफ गुजरात के महानिरीक्षक जी एस मलिक ने सोमवार को गांधीनगर स्थित मुख्यालय में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि इसके अलावा, जून, 2020 से अब तक, बीएसएफ और अन्य एजेंसियों ने गुजरात तट के साथ लगते जखाउ बंदरगाह क्षेत्र से चरस के 1,428 संदिग्ध पैकेट बरामद किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब्त चरस के पैकेट पाकिस्तानी तस्करों द्वारा कराची तट के पास समुद्र में फेंके गए मादक पदार्थ का हिस्सा हैं। इसके अलावा, सीमा के पास से पकड़े गए तीन पाकिस्तानी घुसपैठियों, जिनमें एक बच्चा और एक बुजुर्ग भी शामिल हैं, को विश्वास बहाली उपाय के तहत पड़ोसी देश लौटा दिया गया था क्योंकि यह पता चला कि वे अनजाने में सीमा पार कर गए थे। ’’
उन्होंने कहा कि बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर ने पाकिस्तान की ओर से सीमा पर तैनात रेंजर्स के साथ कार्यात्मक संपर्क के लिए कंपनी कमांडर स्तर पर उचित संचार सुनिश्चित किया और इसमें ईद, दिवाली तथा भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मिठाई का आदान-प्रदान शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कई चुनौतियों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर प्रभावी रूप से अपना वर्चस्व कायम किया है। मछली पकड़ने की पाकिस्तानी नौकाओं और अन्य घुसपैठ की प्रभावी जांच के कारण दस वर्षों में पहली बार, 2021 में पाकिस्तान की ओर से हरामी नाला क्षेत्र और क्रीक से भारत में कोई घुसपैठ नहीं हुई।’’
मलिक ने कहा कि बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर ने पिछले साल कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राशन, दवाएं बांटकर और रोजगार गतिविधियों को बहाल करके सीमांत आबादी की मदद की।
भाषा अमित उमा
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