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Thursday, 26 December, 2024
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रूस-यूक्रेन जंग, ईरान पर प्रतिबंधों के कारण 60% तक बढ़ सकता है भारत का उर्वरक सब्सिडी बिल

केंद्र ने पिछले वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी पर करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे. रूस से अमोनिया की आपूर्ति बाधित होने से इस साल यह बिल 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.

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नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले से उपजी स्थिति भारत के उर्वरक सब्सिडी बिल को 60 फीसदी तक बढ़ा सकती है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

नरेंद्र मोदी सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, शुरुआती अनुमान बताते हैं कि सब्सिडी बिल, जो पिछले साल करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये था, इस साल 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.

सूत्रों ने आगे बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया की कीमत बढ़कर 3,700 रुपये प्रति बोरी (करीब 49 डॉलर) हो गई है, जबकि डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमत 4,200 रुपये (करीब 56 डॉलर) हो गई है. हालांकि, भारत में यूरिया की एक बोरी 266 रुपये में बिक रही है, जबकि डीएपी की एक बोरी करीब 1,350 रुपये की है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम कीमतें स्थिर रखने को प्रतिबद्ध हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम ने उर्वरकों के बहुत महंगा कर दिया है. वैसे यह ईरान और एक प्रमुख डीएपी आपूर्तिकर्ता के तौर पर ईरान की स्थिति पर अमेरिकी प्रतिबंधों का मामला है लेकिन प्रतिबंधों ने खरीद को मुश्किल बना दिया है. अब रूस के हालात और उर्वरक उत्पादन के लिए रूस से अमोनिया और गैस की खरीद में मुश्किलों से चुनौतियां और बढ़ गई हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘कई अन्य चीजें भी चल रही है. चीन कभी खाद का निर्यात करता था लेकिन अब उसने आयात करना शुरू कर दिया है. हम ही नहीं, पूरी दुनिया उर्वरकों के लिए अधिक भुगतान कर रही है. हमें लग रहा है कि इससे सब्सिडी बिल काफी बढ़ जाएगा, जो पिछले साल के 1.25 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.’

पिछले कई महीनों से जहां देश में उर्वरक की कमी की खबरें आ रही हैं, वहीं केंद्र सरकार कई मौकों पर इससे इनकार करती रही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘कोई कमी नहीं है. दरअसल होता यह है कि जब बारिश होती है तब गांवों को खाद की जरूरत होती है और सभी को एक ही समय इसकी जरूरत पड़ती है. तो पूरे गांव के गांव लोग खाद खरीदने के लिए निकलते हैं, और जाहिर है कि ऐसे में कतारें तो लगेंगी ही. मीडिया कतारों को देखकर कहता है कि कमी हो गई है, जबकि ऐसा होता नहीं है.

‘खरीफ सीजन के लिए तैयार’

खरीफ सीजन के दौरान फसलों की बुवाई में इस्तेमाल के लिए उर्वरक की मांग मई से शुरू हो जाएगी, सूत्रों ने बताया कि इसे देखते हुए सरकार पहले ही लगभग 30 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 70 लाख मीट्रिक टन यूरिया का प्रारंभिक स्टॉक खरीद चुकी है.

एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आने वाले दिनों में इसकी और खरीद होगी.

अधिकारी ने आगे कहा कि खरीफ सीजन के दौरान सामान्य तौर पर उर्वरक की मांग लगभग 80-85 लाख मीट्रिक टन होती है, लेकिन इस साल यह और भी अधिक रहने की उम्मीद है.

अधिकारी ने कहा, ‘कई यूरिया संयंत्र शुरू हो रहे हैं. हम तीन साल में यूरिया की उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएंगे.’

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पांच उर्वरक संयंत्रों—हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), बरौनी (बिहार) और सिंदरी (झारखंड) स्थित संयंत्र, रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (आरएफसीएल) के रामागुंडम (तेलंगाना) और तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) के अंगुल (ओडिशा) संयंत्र—को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें) 


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