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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) पहलगाम हमले के जवाब में भारत के मिसाइल हमले के कुछ घंटे बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को नष्ट करने और भविष्य में ऐसे किसी हमले को रोकने के लिए ‘नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, संतुलित और जिम्मेदाराना’ कार्रवाई की।
मिसरी ने यहां प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले आतंकियों और इसकी साजिश रचने वालों को न्याय के दायरे में लाना जरूरी माना जा रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमले के बाद एक पखवाड़ा गुजरने पर भी पाकिस्तान की सरजमीं पर और उसके नियंत्रण वाले क्षेत्र में आतंकी ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उसकी ओर से कोई कदम उठता नहीं दिखा। इसके बजाय वह आरोप लगाने और सचाई को नकारने में लगा रहा।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया में आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह के रूप में कुख्यात हो गया है।
मिसरी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को लेकर हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया कि भारत के खिलाफ और हमलों की आशंका है। इसलिए इन्हें रोकने और धता बताने की अनिवार्यता थी।’’
उनके साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भी संवाददाताओं को संबोधित किया।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों ने मंगलवार देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित जिन आतंकी ठिकानों पर हमला किया उनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीदके शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 नागरिकों के नरसंहार के दो सप्ताह बाद ये मिसाइल हमले किए गए।
पहलगाम हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य का जिक्र करते हुए मिसरी ने कहा कि इसमें “आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता” को रेखांकित किया गया।
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘भारत की ताजा कार्रवाई को इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।’’
पहलगाम हमले को लेकर जम्मू कश्मीर और शेष भारत में आक्रोश की स्थिति को स्वाभाविक बताते हुए विदेश सचिव ने कहा, ‘‘जैसा कि आपको पता होगा कि भारत ने आज सुबह ऐसे और सीमापार हमलों पर जवाब देने, उन्हें रोकने तथा धता बताने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।’’
मिसरी ने कहा, ‘‘ये कार्रवाई नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, संतुलित और जिम्मेदाराना थीं। उन्होंने आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने और आतंकियों को निष्क्रिय करने पर ध्यान केंद्रित किया जिन्हें भारत में भेजा जा सकता था।’’
पहलगाम हमले के संबंध में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी और पाकिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने भारतीय पर्यटकों पर हमला किया था और 26 लोगों की जान ले ली थी।
उन्होंने कहा, ‘‘पहलगाम हमला अत्यंत क्रूरता के साथ किया गया जिसमें अधिकतर लोगों को उनके परिवार के सामने करीब से सिर में गोली मारकर उनकी जान ली गई।’’
मिसरी ने कहा कि पहलगाम हमले को जिस तरह अंजाम दिया गया, उसका मकसद जम्मू कश्मीर में और देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देना भी था।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की सोच को नाकाम करने का श्रेय सरकार और भारत की जनता को जाता है।’’
उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पहलगाम हमले का मकसद जम्मू कश्मीर के सामाजिक माहौल में खलल डालना था जहां प्रगति और विकास हो रहा है। मिसरी ने कहा कि पहलगाम हमले का मकसद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना भी था।
विदेश सचिव ने कहा कि पहलगाम हमले की जांच में पाकिस्तान के तार इससे जुड़े होने का खुलासा हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे खुफिया तंत्र ने पहलगाम हमले में शामिल और इसकी साजिश रचने वालों की पहचान की।’’
अधिकारी ने कहा कि पहलगाम हमले के जरिए, वहां घूमने आए लोगों के परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आतंकित किया गया।
विदेश सचिव ने कहा कि पहलगाम हमला स्पष्ट रूप से जम्मू कश्मीर में लौटती सामान्य स्थिति को कमजोर करने की मंशा से किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘खासतौर पर इसे अर्थव्यवस्था, पर्यटन के मुख्य केंद्र को प्रभावित करने के लिए रचा गया था जहां पिछले साल घाटी में रिकॉर्ड 2.3 करोड़ पर्यटक आए थे।’’
मिसरी ने कहा, ‘‘संभवतः, यह अनुमान लगाया गया होगा कि केंद्र शासित प्रदेश में तरक्की और विकास को नुकसान पहुंचाने से इसे पिछड़ा बनाए रखने में मदद मिलेगी और पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद जारी रखने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार होगी।’’
हमले के तार सीमापार से जुड़े होने का संकेत देते हुए मिसरी ने कहा कि ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) नामक समूह ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है।
उन्होंने कहा, ‘‘गौरतलब है कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति के निगरानी दल को अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट में टीआरएफ के बारे में जानकारी दी थी जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों की ढाल के तौर पर उसकी भूमिका सामने आई थी।’’
मिसरी ने कहा, ‘‘प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर हमलावरों की पहचान करने के साथ-साथ कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास उपलब्ध अन्य जानकारी के आधार पर भी प्रगति हुई।’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे खुफिया तंत्र ने हमला करने वालों और उनके आकाओं की सटकी तस्वीर बनाई।’’
कर्नल सोफिया कुरैशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि नौ आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इन आतंकी ठिकानों को प्रामाणिक खुफिया जानकारी और सीमापार आतंकवाद में आतंकियों के शामिल होने के आधार पर चुना गया।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में किसी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया।
वहीं, विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस से निपटने को भारत तैयार है।
भाषा वैभव नरेश
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