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Wednesday, 13 August, 2025
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भारत में प्रति एक हजार प्रसवों में से छह में मृत शिशु पैदा हुए, उत्तर भारत में सबसे अधिक दर: शोध

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नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय सर्वेक्षणों और नागरिक पंजीकरण प्रणाली के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार अनुमान है कि 2020 में भारत में प्रति एक हजार में से छह महिलाओं के प्रसव के दौरान शिशु मृत पैदा हुआ और ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में यह दर अधिक रही।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गोरखपुर और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, नयी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि ऐसे मामले मुख्य रूप से उत्तरी और मध्य भारत से सामने आए।

‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया’ पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, उत्तर भारत के चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर तथा राजस्थान में इसकी दर सबसे अधिक दर्ज की गई।

टीम ने पांचवे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) और नागरिक पंजीकरण प्रणाली की 2020 की रिपोर्ट से एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण किया।

शोधकर्ताओं ने लिखा, “2020 में राष्ट्रव्यापी दर प्रति 1,000 पर 6.548 थी। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में यह दर अधिक थी।”

शोधकर्ताओं के अनुसार उच्च दर उन जिलों में भी पाई गई जहां गर्भवती महिलाएं ‘एनीमिया’ से पीड़ित और कम वजन वाली थीं।

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्वच्छ मासिक धर्म पद्धतियों और ‘सीजेरियन’ (सी-सेक्शन) की वजह से यह दर कम रही।

शोधकर्ताओं ने कहा कि असम, मेघालय, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्राप्त साक्ष्यों से पता चला है कि प्रसव से पूर्व कम से कम चार जांच कराने और गर्भावस्था के दौरान आयरन व फोलिक एसिड की खुराक लेने से मृत शिशु के जन्म का जोखिम काफी कम हो सकता है।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, मृत शिशुओं के जन्म की दर उन क्षेत्रों में अधिक पाई गई जहां गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं।

भाषा जोहेब सुरभि

सुरभि

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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